Agency:News18 Madhya Pradesh
Last Updated:January 26, 2025, 11:35 IST
Padma Awards 2025: मध्य प्रदेश में खरगोन निवासी उपन्यासकार जगदीश जोशीला को पद्मश्री सम्मान 2025 से नवाजा जाएगा. जोशीला जी का जन्म श्रमिक परिवार में हुआ था. उन्होंने जीवन यापन के लिए माहेश्वरी साड़ियों की बुनाई भ...और पढ़ें
जगदीश जोशीला
हाइलाइट्स
- खरगोन के जगदीश जोशीला को पद्मश्री सम्मान
- जोशीला ने निमाड़ी और हिंदी में 65 से ज्यादा पुस्तकें लिखीं
- निमाड़ी बोली को भाषा का दर्जा दिलाने का प्रयास
खरगोन. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या 25 जनवरी 2025 को केंद्र सरकार द्वारा पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई. इसमें खरगोन के उपन्यासकार जगदीश जोशीला (76) को पद्मश्री सम्मान मिला है. बता दें कि निमाड़ की संस्कृति, बोली और लोक कलाओं को संजोए रखने में जोशीला का बड़ा योगदान रहा है. वह 50 साल से साहित्य और निमाड़ लेखन से जुड़े हैं. उनकी निमाड़ी और हिंदी में 60 से ज्यादा पुस्तकें और उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. वहीं, आद्य गुरु शंकराचार्य और टंट्या भील पर भी उनका उपन्यास प्रकाशित हुआ है.
महेश्वर निवासी अखिल निमाड़ लोक परिषद के अध्यक्ष, साहित्यकार, लेखक एवं गीतकार हदीश दुबे ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जगदीश जोशीला को पद्मश्री से सम्मानित किया जा रहा है. इस बात की खुशी है. यह हमारे निमाड़ के लिए गौरव की बात है. आगे बताया कि जगदीश जोशीला खरगोन के गोगावां के रहने वाले हैं. एक श्रमिक परिवार में 3 जून 1949 को उनका जन्म हुआ. 2002 में उन्होंने 70 साल पुरानी संस्था निमाड़ लोक परिषद को पुनर्जीवित किया. वर्तमान में वे इस संस्था के संरक्षक हैं.
टंट्या भील, आदि गुरु शंकराचार्य पर बड़ा उपन्यास
हदीश दुबे ने बताया, जोशीला जी ने 60 के दशक में महेश्वर में माहेश्वरी साड़ियों की बुनाई का काम भी किया है. संत सिंगाजी, अहिल्या बाई होलकर, राणा बख्तावर सिंह आदि पर 65 से ज्यादा किताबें लिखी हैं. आदि गुरु शंकराचार्य पर उपन्यास भी लिखा है. जननायक टंट्या भील उनका एक देशव्यापी उपन्यास 1998-99 में प्रकाशित हुआ था. जिसे शासकीय स्तर पर आदिवासी लोक कला विभाग द्वारा प्रकाशित किया गया है. उनके लेखन में कविताएं, उपन्यास, कहावतें, मुहावरे, दंत कथाएं भी हैं.
निमाड़ी बोली को भाषा का दर्जा दिलाने का प्रयास
हदीश दुबे ने बताया कि जगदीश जोशीला के संगठन में देशभर की विभिन्न निमाड़ी विधाओं से जुड़े 3,000 लोग शामिल हैं. निमाड़ी बोली को भाषा का दर्जा मिले. इसके लिए अधिक प्रयास किए गए हैं. खरगोन में टंट्या भील विश्वविद्यालय के लिए भी उन्होंने कई प्रयास किए थे. आज यह सौगात खरगोन को मिली है.
Location :
Khargone,Khargone,Madhya Pradesh
First Published :
January 26, 2025, 11:35 IST
जगदीश जोशीला को पद्मश्री, श्रमिक परिवार में जन्मे, साड़ी बुनी, फिर रचा इतिहास