Agency:News18 Uttar Pradesh
Last Updated:January 22, 2025, 14:10 IST
राजू दास ने बताया कि नागा संन्यासी बनने के बाद नया जीवन शुरू होता है. गुरु द्वारा उन्हें नया नाम मिलता है और आधार कार्ड से लेकर तमाम दस्तावेजों पर पिता की जगह फिर गुरु का नाम दर्ज किया जाता है.
नागा साधु
अयोध्या: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 144 वर्ष बाद ऐसा अद्भुत संयोग बना है जब महाकुंभ का आयोजन हो रहा है. देश-दुनिया के भक्त त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. महाकुंभ में नागा बाबाओं से लेकर कई बड़े प्रमुख साधु संत भी आए हैं. इतनी बड़ी संख्या में नागा साधु और संतों का दर्शन केवल महाकुंभ में ही देखने को मिलता है. महाकुंभ में लोग नागा साधु और संन्यासियों से आशीर्वाद भी लेते हैं. इसके अलावा कुंभ में हजारों की संख्या में नागा संन्यासी नागा साधु भी बनते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नागा साधु कैसे बनते हैं कितना समय लगता है और किन-किन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है, तो चलिए इस रिपोर्ट में विस्तार से बताते हैं..
दरअसल, नागा साधु बनने के लिए कठिन परिश्रम और त्याग भी करना पड़ता है. आज भी नागा संन्यासियों की फौज को शास्त्र के साथ शस्त्र की भी शिक्षा दी जाती है, लेकिन अगर देश पर कोई संकट आता है या फिर माता-बहनों की इज्जत पर कोई संकट देखने को मिलता है, तो नागा संन्यासी पूरी तरह से तैयार रहते हैं. नागा संन्यासी को बेहद कठिन परिश्रम से भी गुजरना पड़ता है. इन्हीं सब सवालों का जवाब जानने के लिए हमने अयोध्या निर्वाणी अनी अखाड़ा के नागा संन्यासी महंत राजू दास से बातचीत की.
नागा संन्यासी बनाने की प्रक्रिया है बेहद कठिन
महंत राजू दास ने बताया कि संन्यासी हमेशा ही शास्त्र के साथ ही शस्त्र की भी शिक्षा लेते हैं और अपने प्राण को न्यौछावर करने के लिए तैयार रहते हैं. राजू दास के मुताबिक नागा संन्यासी बनाने की प्रक्रिया बेहद कठिन भी होती है. जिन्हें सांसारिक जीवन से वैराग्य हो जाता है बाद वह संन्यास धारण करने के लिए गुरु की शरण में जाते हैं. अखाड़े में कई वर्षों तक उन्हें परखा जाता है उसके बाद महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के पहले उन्हें संन्यास की दीक्षा दी जाती है. ऐसा विधान भी है इसके अलावा इसके पहले 3 वर्ष 6 वर्ष और 12 वर्ष संन्यास के बाद उन्हें नागा बनने की दीक्षा दी जाती है.
गुरु ही नागा संन्यासियों का धर्म पिता बन जाता है
राजू दास ने बताया कि नागा संन्यासी बनने के बाद नया जीवन शुरू होता है. गुरु द्वारा उन्हें नया नाम मिलता है और आधार कार्ड से लेकर तमाम दस्तावेजों पर पिता की जगह फिर गुरु का नाम दर्ज किया जाता है. नागा संन्यासी बनने के बाद परिवार से पूरी तरह से संबंध खत्म हो जाता है और पूरा विश्व ही परिवार हो जाता है. गुरु ही नागा संन्यासियों का धर्म पिता बन जाता है.
शस्त्र के साथ शास्त्र की भी दी जाती है शिक्षा
इसके अलावा, नागा सन्यासियों की फौज को आज भी शस्त्र के साथ शास्त्र की भी शिक्षा दी जाती है. उन्होंने कहा कि लेकिन आज भी अगर देश पर कोई संकट आता है या फिर माता-बहनों की इज्जत पर संकट आता है, तो नागा संन्यासी पूरी तरह से तैयार हैं. उन्होंने कहा है कि आज भी सांकेतिक रूप से नागाओं को युद्ध कौशल सिखाया जाता है. उन्होंने कहा कि हमारे देवी देवताओं के हाथों में भी शस्त्र नजर आता है.
Location :
Allahabad,Allahabad,Uttar Pradesh
First Published :
January 22, 2025, 14:10 IST