Last Updated:February 08, 2025, 11:51 IST
Delhi Assembly Results: दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आप पिछड़ती दिख रही है, जिससे उनकी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को झटका लग सकता है. बीजेपी की जीत से एनडीए मजबूत होगी और केजरीवाल की विश्वसनीयता पर सवाल उ...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- दिल्ली चुनाव में आप पिछड़ती नजर आ रही है
- बीजेपी की जीत से एनडीए मजबूत होगा
- केजरीवाल की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को झटका
Delhi Assembly Results: दिल्ली विधानसभा चुनाव के रुझानों में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) पिछड़ती नजर आ रही है. आप इस बार चौका लगाती नजर नहीं आ रही है. हालांकि अभी नतीजे आने में समय लगेगा, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का 27 साल का सूखा खत्म होने के आसार साफ नजर आ रहे हैं. दिल्ली वैसे भी बीजेपी की कमजोरी बना हुआ था. 2014 से यहां सभी सातों लोकसभा सीटें जीतने के बावजूद पार्टी लगभग तीन दशकों से सत्ता से बाहर थी.
फिर दिल्ली के चुनाव नतीजों का प्रभाव ही इसे भारत की राजनीति का केंद्र बनाता है. यहां की जीत बीजेपी के लिए संजीवनी का काम करेगी. क्योंकि इस साल बिहार और पश्चिम बंगाल के अलावा, 2026 में असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में विधानसभा चुनाव होने हैं. जिनमें काफी कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है. दिल्ली में बीजेपी की जीत से उसके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगी न केवल रक्षात्मक हो जाएंगे, बल्कि सौदेबाजी के खेल में भी उन्हें दबा नहीं पाएंगे. खास तौर पर इसलिए क्योंकि हरियाणा और महाराष्ट्र में जीत के बाद यह बीजेपी की जीत की हैट्रिक होगी.
महत्वाकांक्षाओं को झटका
लेकिन ये परिणाम अरविंद केजरीवाल के लिए तगड़ा झटका होंगे. अरविंद केजरीवाल ने जब से राजनीति में कदम रखा है वे अति महत्वाकांक्षी नेता रहे हैं. वह प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा रखते हैं. उन्होंने 2014 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर अपनी महत्वाकांक्षा जाहिर कर दी थी. इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि अरविंद केजरीवाल विपक्षी गठबंधन में अप्रासंगिक हो जाएंगे. वैसे भी आप ने ‘इंडिया’ में रहते हुए गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया. हरियाणा विधानसभा चुनाव में उसने कांग्रेस की मदद करने के बजाय उसके खिलाफ लड़ने का फैसला किया था. वोट बंटने की वजह से जिसका कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था.
स्पष्ट करना होगा रुख
अरविंद केजरीवाल को धर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्यकों के मामले में अपना रुख स्पष्ट ना करने का भी खामियाजा भुगतना पड़ा है. इसी वजह से केजरीवाल को विपक्षी गठबंधन में विश्वसनीयता की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है. भले ही वह दिल्ली का परिणाम जो भी हो, भले वह खुद को मोदी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में स्थापित कर लें, लेकिन उन्हें ममता बनर्जी या समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव या राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव का समर्थन मिलने की संभावना नहीं है.क्योंकि केजरीवाल को भरोसेमंद साथी के रूप में नहीं देखा जाता है. यही कारण है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आप दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के साथ एक साथ लड़ रही है. इस प्रकार, न केवल दिल्ली में बल्कि पंजाब में भी आप दोनों पार्टियों का साझा निशाना बन गई है. जाहिर है इसका असर पंजाब में पड़ेगा.
राजनीतिक अप्रासंगिकता
बीजेपी ने कई क्षेत्रीय दलों को अप्रासंगिक बनाने में सफलता प्राप्त की है, जिनमें असम गण परिषद (एजीपी), आईएनएलडी, जननायक जनता पार्टी और जनता दल (सेक्युलर) शामिल हैं. इसने शिवसेना और एनसीपी को तोड़ दिया है और बीएसपी और बीजू जनता दल को हाशिए पर धकेलने की कोशिश कर रही है. हालांकि पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता में है, लेकिन दिल्ली में सत्ता का नुकसान पार्टी और केजरीवाल की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए घातक साबित हो सकता है. देखना होगा कि अरविंद केजरीवाल बीजेपी की कुचलकर रख देने वाली निष्ठुर और निर्मम राजनीति से अपनी पार्टी को किस हद तक बचा पाते हैं.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 08, 2025, 11:51 IST