Last Updated:January 20, 2025, 13:02 IST
Doodhadhari Temple Bhilwara: दूधाधारी मंदिर में भगवान राधा-कृष्ण को भी ऊनी वस्त्रों का चोला चढ़ाया गया है. जिसमें भगवान को ऊनी वस्त्र पहनाकर उन्हें शॉल भी ओढ़ाई गई. इसके साथ उन्हें सर्दी ना लगे इसके लिए आसन के पास सिगड़ी भी जलाकर रखी गई...और पढ़ें
ठाकुर जी को ऊनी वस्त्र पहनाए गए
भीलवाड़ा – इन दिनों भीलवाड़ा में सर्दी अपने चरम पर पहुंच गई है, और तापमान में गिरावट के साथ ठंडक भी बढ़ गई है. जहां सर्दी में लोगों के रहन-सहन में परिवर्तन आया है, तो वहीं भगवान के मंदिर में भी यह परिवर्तन देखा जा रहा है. आपको बता दें, कि वस्त्र नगरी के रूप में विख्यात भीलवाड़ा में अलग-अलग मौसम और सीजन के अनुसार भगवान को विभिन्न प्रकार की पोशाक पहनाई जाती है. ऐसे में सर्दी को देखते हुए भगवान के रहन-सहन और खान-पान सहित पूजा पाठ में भी परिवर्तन किया जा रहा है. जिसके चलते भगवान को सर्दी से बचाने के लिए कई प्रकार के जतन किए जा रहे हैं. अब शहर के दूधाधारी मंदिर में ठाकुर जी को सर्दी से राहत देने के लिए सिगड़ी लगाई गई है. और इसके साथ ही भगवान ठाकुर जी और राधा रानी को ऊनी वस्त्र पहनाए गए हैं. जो शहर वासियों और भक्तजनों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गए है.
भगवान के पास लगाई गई सिगड़ी
आपको बता दें,कि भीलवाड़ा शहर के सांगानेरी गेट के निकट स्थित दूधाधारी मंदिर में भगवान राधा-कृष्ण को भी ऊनी वस्त्रों का चोला चढ़ाया गया है. जिसमें भगवान को ऊनी वस्त्र पहनाकर उन्हें शॉल भी ओढ़ाई गई. इसके साथ उन्हें सर्दी ना लगे इसके लिए आसन के पास सिगड़ी भी जलाकर रखी गई है. भगवान के इस अलौकिक रूप को देखने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है, और भजन कीर्तन करके विशेष पूजा अर्चना की जा रही है.
सेवा में भावना का है बड़ा महत्व
दूधाधारी मंदिर के पुजारी कल्याण शर्मा ने कहा, कि बिना भाव रीझे नहीं नटवर नंदकिशोर यानी कि बिना भाव के ठाकुर जी की सेवा नहीं की जा सकती है, और ठाकुर जी की सेवा में भाव यानी कि भावना का बहुत बड़ा महत्व है. सेवा सुख के तहत जिस प्रकार ऋतु में परिवर्तन होता है, तो उसी तरह ठाकुर जी की सेवा में भी परिवर्तन होता है
400 साल प्राचीन है ठाकुर जी का यह मंदिर
दूधाधारी मंदिर के पुजारी कल्याण शर्मा ने बताया, कि यह मंदिर करीब 400 से अधिक साल पुराना है, और यहां पर हर ऋतु में ठाकुर जी का अलग-अलग प्रकार से श्रृंगार और इनकी देखभाल की जाती है. सर्दी के चलते ठाकुर जी की सेवा में भी कई बदलाव किए गए हैं. जिसमें सुबह के समय पानी गर्म करके नहलाया जाता है, और उसके बाद सिगड़ी जलाकर सर्दी से उनका बचाव किया जाता है. इसके बाद ठाकुर जी को हाथ से सिलाई किए हुए ऊनी वस्त्र पहनाएं जाते है. जिसमें ऊनी वस्त्र के साथ रात में रजाई भी ओढ़ाई जाती है. इसके साथ ही ठाकुर जी को केसर का इत्र भी लगाया जाता है
भगवान के भोग में भी किया परिवर्तन
दूधाधारी मंदिर के पुजारी कल्याण शर्मा ने कहा ने कहा, कि इसके साथ ही भोग में गर्म भोजन प्रदान किया जाता है. जिसमें गाजर का हलवा , तिलपट्टी, गजक के साथ-साथ राजभोग में चावल की जगह खिचड़ी, व घाट की राबड़ी भी दी जा रही है. इसके साथ ही इत्र में भी बदलाव किया जाता है. जहां गर्मी में गुलाब और खस का इत्र लगाया जाता था तो अब हिना और केसर का इत्र लगाया जा रहा है.
Location :
Bhilwara,Rajasthan
First Published :
January 20, 2025, 13:02 IST