धरती से मंगल का सफर 30 दिनों में होगा पूरा! रूस ने बनाया नया रॉकेट इंजन

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Agency:News18Hindi

Last Updated:February 12, 2025, 15:08 IST

Russia Ukraine: रूस ने एक नया रॉकेट डेवलप किया है. यह एक प्लाज्मा रॉकेट है जो अंतरिक्ष में यात्रा की स्पीड को बढ़ा सकता है. रूसी एक्सपर्ट्स का दावा है कि मंगल ग्रह तक पहुंचने का समय एक से दो महीने हो सकता है.

धरती से मंगल का सफर 30 दिनों में होगा पूरा! रूस ने बनाया नया रॉकेट इंजन

वर्तमान में इस तरह के ज्वलनशील इंजन का इस्तेमाल किया जाता है. (Reuters)

हाइलाइट्स

  • रूस ने नया प्लाज्मा रॉकेट इंजन विकसित किया
  • यह इंजन मंगल तक की यात्रा 30-60 दिनों में कर सकता है
  • प्लाज्मा रॉकेट हाई स्पीड और कम समय में यात्रा संभव बनाता है

मॉस्को: स्पेस रेस में एक बार फिर रूस मैदान में आ गया है. रूस की सरकारी कंपनी रोसाटॉम ने प्लाज्मा इलेक्ट्रिक रॉकेट इंजन के डेवलपमेंट में एक महत्वपूर्ण सफलता की घोषणा की है. यह कंपनी परमाणु ऊर्जा और टेक्नोलॉजी में विशेषज्ञता रखती है. कंपनी का दावा है कि यह इंजन पृथ्वी से मंगल तक की यात्रा को मात्र एक से दो महीने में पूरा कर सकता है. प्लाज्मा रॉकेट पारंपरिक तौर से ठोस या तरल ईंधन दहन की आवश्यकता को खत्म करता है. यह मैग्नेटिक प्लाज्मा एक्सेलेरेटर का इस्तेमाल करता है, जिससे अंतरिक्ष में हाई स्पीड पाई जा सकती है और यात्रा के समय में बड़ी गिरावट आ सकती है. रूस की इजवेस्टिया समाचार पत्र ने इससे जुड़ी जानकारी दी है.

रोसाटॉम के वैज्ञानिक संस्थान ट्रोइट्स्क में जूनियर रिसर्चर एगोर बिरियुलिन के मुताबिक, ‘प्लाज्मा रॉकेट एक तरह का इलेक्ट्रिक मोटर है. यह दो इलेक्ट्रोड पर आधारित होता है. चार्ज्ड पार्टिकल्स को इनके बीच प्रवाहित किया जाता है और साथ ही इलेक्ट्रोड्स पर हाई वोल्टेज भी लगाया जाता है. इससे विद्युत धारा एक चुंबकीय क्षेत्र पैदा करती है, जो कणों को इंजन से बाहर धकेलती है. इस प्रक्रिया से प्लाज्मा को दिशा मिलती है और एक थ्रस्ट पैदा होता है.’ इस टेक्नोलॉजी में हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इंजन इन कणों को 100 किमी प्रति सेकंड की गति तक बढ़ा सकता है.

कितनी हो सकती है स्पीड
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक मंगल और पृथ्वी के बीच लगभग औसतन दूरी 14-22.5 करोड़ किमी की दूरी है. रॉकेट को इतनी दूरी 30 दिनों में पूरा करने के लिए 313,822 किमी प्रति घंटे की स्पीड चाहिए होगी. यूरोपीय स्पेस एजेंसी और नासा समेत कई संगठन सौर मंडल के दूसरे ग्रहों तक जाने में लगने वाले यात्रा समय को कम से कम करने की टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक रूस की ओर से विकसित किए जा रहे प्लाज्मा रॉकेट का थ्रस्ट लगभग 6 न्यूटन होगा जो कणों को 100 किमी प्रति सेकंड की गति तक पहुंचाने में सक्षम होगा.

मंगल तक पहुंचने में कितना समय लगता है?
रूस की यह कामयाबी मानवता को सौरमंडल से बाहर की यात्रा करने का भी अवसर दे सकती है. रोसाटॉम रिसर्च इंस्टीट्यूट, ट्रोइट्स्क के पहले उप महानिदेशक एलेक्सी वोरोनोव का कहना है कि वर्तमान में जो इंजन हमारे पास मौजूद हैं, उसके जरिए मंगल तक पहुंचने में लगभग एक साल तक का समय लग सकता है. इतना समय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरनाक हो सकता है, क्योंकि उन्हें लंबे समय तक ब्रह्मांडीय रेडिएशन का सामना करना पड़ेगा. प्लाज्मा इंजन यात्रा का समय 30-60 दिनों तक सीमित कर सकता है.

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New Delhi,New Delhi,Delhi

First Published :

February 12, 2025, 15:08 IST

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