Agency:News18 Haryana
Last Updated:February 02, 2025, 19:48 IST
हरियाणा की संस्कृति में नगाड़ा एक महत्वपूर्ण पारंपरिक वाद्य यंत्र है जिसकी गूंज मेलों त्योहारों और शादियों में जोश और उमंग भर देती है. पलवल के रोहित और उनकी 10 सदस्यीय टीम हरियाणवी नगाड़ा बजाकर इस विरासत को जीव...और पढ़ें
हरियाणवी नगाड़ा संस्कृति की गूंज और गर्व.
हाइलाइट्स
- हरियाणा की संस्कृति में नगाड़ा एक महत्वपूर्ण पारंपरिक वाद्य यंत्र है.
- पलवल के रोहित और उनकी 10 सदस्यीय टीम पूरे हरियाणा में बजाते हैं.
- 60 वर्षीय महेंद्र के अनुसार यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है.
फरीदाबाद: हरियाणा की संस्कृति उसकी परंपराओं, मेलों और उत्सवों में साफ झलकती है. जब भी कोई त्योहार या खास कार्यक्रम होता है तो नगाड़े की गूंज माहौल में जोश भर देती है. नगाड़ा एक पारंपरिक वाद्य यंत्र है, जिसे खासतौर पर बुजुर्ग और अनुभवी लोग बजाते हैं. वे पारंपरिक हरियाणवी वेशभूषा पहनते हैं, जिसमें रंग-बिरंगी पगड़ी, सफेद धोती-कुर्ता और कमर पर पटका शामिल होता है, जो उनकी अलग पहचान बनाता है.
पलवल के रहने वाले रोहित ने Local18 को बताया कि उनकी 10 लोगों की एक टीम है जो हरियाणा के अलग-अलग इलाकों में होने वाले मेलों और कार्यक्रमों में नगाड़ा बजाने जाती है. उनकी टीम इसे हरियाणवी नगाड़ा के नाम से पहचानती है. इसे बजाकर वे हरियाणवी संस्कृति को जीवंत बनाए रखने का काम कर रहे हैं. वे गर्व से कहते हैं कि नगाड़े की आवाज़ में जो जोश और रौनक होती है वह लोगों को खुद-ब-खुद नाचने पर मजबूर कर देती है.
शादियों में भी बजाया जाता है नगाड़ा
पलवल के रहने वाले महेंद्र बताते हैं कि नगाड़ा केवल मेलों या सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ही नहीं बल्कि शादियों में भी बजाया जाता है. जब बारात निकलती है तो नगाड़े की तेज़ गूंज माहौल को और भी खास बना देती है. उनका मानना है कि यह परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है और आज भी लोग इसे उतना ही महत्व देते हैं.
नगाड़े की गूंज में परंपराओं की दिखती है झलक
हरियाणा की यह सांस्कृतिक धरोहर न सिर्फ मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह हमारी जड़ों से जुड़ाव का प्रतीक भी है. नगाड़े की गूंज में हरियाणा की मिट्टी की खुशबू और परंपराओं की झलक साफ दिखाई देती है. यही वजह है कि यह परंपरा आज भी पूरे गर्व के साथ निभाई जा रही है.
Location :
Faridabad,Haryana
First Published :
February 02, 2025, 19:48 IST