महाकुंभ में नागा साधुओं के अखाड़ों ने अलग ही रौनक जमा रखी है। हर तरफ बस उन्हीं के चर्चे हैं। काफी कम लोग ही जानते हैं कि नागा के साथ महाकुंभ में अघोरी भी कहीं-कहीं दिख सकते हैं, लेकिन आप उन्हें आसानी से पहचान नहीं कर पाएंगे। कारण है दोनों ही साधु भस्म पूरे शरीर पर लगाए रहते हैं। दोनों ही रुद्राक्ष की माला, शस्त्र या कोई दंड आदि लिए रहते हैं। जिससे दोनों में भेद कर पाना आम इंसान के बस की बात नहीं। हालांकि नागा साधु और अघोरी दोनों ही हिंदू धर्म के साधु हैं, लेकिन उनके जीवनशैली और खान-पान में काफी अंतर है। आइए जानते हैं क्या...
जीवन शैली में भी अंतर
नागा साधु लोगों से दूर-वन, गुफा और पहाड़ों में रहते हैं साथ ही शिव की तपस्या में लीन रहते हैं, जबकि अघोरी साधु अपना ज्यादातर समय श्मशान में तंत्र विद्या हासिल करने में लगे रहते हैं। नागा साधु योग और ध्यान करते हैं, जबकि अघोरी तंत्र-मंत्र और अंधकार की शक्तियों से जुड़े होते हैं।
खान-पान में भी अंतर
ज्य़ादातर नागा साधु शाकाहारी होते हैं, कुछ नागा ही ऐसे हैं जो मांस आदि का भक्षण करते हैं। जो नागा साधु मुख्य रूप से शाकाहारी होते हैं, वे भिक्षा मांगकर भोजन करते हैं और साधारण भोजन ही करते हैं। साथ ही वे सात्विक आहार पर बल देते हैं, जिसमें फल, सब्जियां और अनाज शामिल होते हैं। नागा साधु का नियम है कि वे आमतौर पर दिन में एक बार ही भोजन करते हैं और 7 घरों से अधिक भिक्षा नहीं ले सकते।
अघोरी साधु मांसाहारी होते हैं और किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण कर लेते हैं, जिसमें मांस, मदिरा आदि व्यसन भोजन शामिल है। इसके अलावा, अघोरी कभी-कभी श्मशान में भी भोजन ग्रहण कर लेते हैं और कुछ अजीबोगरीब चीजें भी खाते हैं। इनके खान-पान को लेकर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं होता है। इसके अलावा, ये सभी जानकारी अघोरी और नागा साधुओं के बारे में सामान्य जानकारी है। व्यक्तिगत रूप से, हर साधु के विचार और व्यवहार अलग-अलग हो सकते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)