Agency:News18 Rajasthan
Last Updated:January 26, 2025, 13:04 IST
मुस्लिम समुदाय से होने के बाद भी बतूल बेगम गणपति और राम भजन गाती हैं. वे ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं, उन्होंने सिर्फ 5वीं तक की शिक्षा हासिल की है. लेकिन इसके बाद भी अपनी कला के दम पर देश-विदेश में नाम कमाया है.
गायिका बतूल बेगम
राजस्थान की भजन ओर मांड गायिका बेगम बतूल को भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया है. पद्मश्री पुरस्कार विजेता बेगम बतूल नागौर के केराप गांव की रहने वाली है. बेगम बतूल ओलिंपिक और अयोध्या राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा में भी अपनी गायिकी की प्रस्तुति दे चुकी हैं. इनको 2022 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति ने नारी शक्ति पुरस्कार भी दिया था.
मुस्लिम भजन व मांड गायिका बतूल बेगम को भजनों की बेगम भी कहा जाता है. बतूल बेगम जयपुर की प्रसिद्ध मांड व भजन लोक गायिका हैं, जो कि राजस्थानी लोक गीतों को गाने में माहिर हैं. वे मीरासी समुदाय से आती हैं, जो कि सामाजिक और आर्थिक रूप से बेहद पिछड़ा हुआ है. लेकिन, इसके बाद भी उन्होंने अपनी जीवन यात्रा के दौरान छोटी-छोटी सभाओं से लेकर वैश्विक मंचों तक खूब नाम कमाया. बताया जाता है कि जब वे 8 साल की थीं, तब केराप के एक गांव में उन्हें भजन गायकी का शौक लगा. इसके बाद से वो इसी में रम गईं.
मुस्लिम होकर गाती हैं भगवान के भजन
मुस्लिम समुदाय से होने के बाद भी बतूल बेगम गणपति और राम भजन गाती हैं. वे ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं, उन्होंने सिर्फ 5वीं तक की शिक्षा हासिल की है. लेकिन इसके बाद भी अपनी कला के दम पर देश-विदेश में नाम कमाया है. उनकी शादी 16 साल की उम्र में हो गई थी. शादी के बाद तीन बेटे हुए, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के बाद भी गायन को नहीं छोड़ा. बेगम गणपति को कई विदेशी सरकारों से भी सम्मान मिल चुका है.
बतूल बेगम ने ये कहा
पद्मश्री की घोषणा के मौके पर बतूल बेगम ने कहा कि इस बड़े मौके पर मैं केंद्र सरकार, राजस्थान सरकार, मेरे परिवार सहित सभी जनता का तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूं. उन्होंने कहा कि जब मैं 8 साल की थी, तब स्कूल जाया करती थी. इस दौरान रास्ते में एक मंदिर आया करता था. वहां पर मेरी सभी दोस्त भजन गाया करती थी. वहां से मैंने भजन गायन की शुरुआत की थी और मांड गायन में कदम रखा. उन्होंने कहा कि इस कला को जिंदा रखने के लिए महिलाओं को आगे आना होगा. जो अवार्ड मुझे मिला है.
ढोलक और तबला बजाने में भी माहिर बतूल बेगम
गायन कला में निपुण होने के साथ ही साथ बतूल बेगम ढोल, ढोलक और तबला जैसे पारम्परिक वाद्ययंत्रों को भी बजाने में बेहद कुशल हैं. वे आधुनिक विचारों की समर्थक हैं और बालिका शिक्षा के लिए जमकर पैरवी करती हैं. वे ऐसी मुस्लिम मांड और भजन गायिका हैं, जो कि पिछले 5 दशकों से लोगों के बीच आपसी सद्भावना और सौहार्द्र को बढ़ावा दे रही हैं.
Location :
Nagaur,Rajasthan
First Published :
January 26, 2025, 13:04 IST