बांस से फर्नीचर बनाते किसान.
बालाघाट: मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में बांस की खेती, जिसे ‘हरित सोना’ कहा जाता है, किसानों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गई है. इसी खेती से हिर्री गांव के किसान हिरदय सिंह ने मात्र दो बांस के पौधों से 95 हजार रुपये की कमाई कर एक नई मिसाल कायम की है. उनके इस प्रयास ने उन्हें आर्थिक लाभ तो दिया ही, साथ ही अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं.
कैसे मिली 95 हजार रुपये की कमाई?
चार साल पहले, हिरदय सिंह ने राज्य शासन की बंबू मिशन योजना के तहत अपने खेत की मेढ़ पर दो बांस के पौधे लगाए थे. उम्मीद तो उन्हें केवल 20-25 हजार रुपये की थी, लेकिन सही देखभाल और मेहनत के परिणामस्वरूप उन्हें 95 हजार रुपये का मुनाफा हुआ. उन्होंने बांस की खेती के साथ-साथ इंटर क्रॉपिंग के जरिए मक्का और धान की खेती भी जारी रखी, जिससे उनकी आय और बढ़ी.
बंबू मिशन से मिली सहायता
बालाघाट जिले के उप वनमण्डल अधिकारी शुभम पूरी ने बताया कि राज्य शासन द्वारा बंबू मिशन योजना के तहत किसानों को बांस की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. पिछले 5 वर्षों (2019-2024) में बालाघाट जिले में 648.982 हेक्टेयर क्षेत्र में 307 किसानों ने 384,762 बांस के पौधे लगाए हैं. इसके लिए सरकार ने प्रति पौधा 120 रुपये की दर से लगभग 10 लाख 66 हजार रुपये का अनुदान दिया है.
बांस से फर्नीचर और शिल्प कला
बालाघाट बांस उत्पादन में मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है, और यहां बांस आधारित उद्योगों के लिए बड़े अवसर उपलब्ध हैं. जिले के तीन संघ—बैहर के नवयुवक वनांचल समिति, बाबा सिहरपाट समिति, और गर्रा शिल्पकला केंद्र—बांस से फर्नीचर और शिल्प कला का निर्माण कर रहे हैं. इन संघों की कला और व्यवसाय ने पूरे प्रदेश में पहचान बनाई है.
बांस को ‘हरित सोना’ क्यों कहा जाता है?
बांस एक तेजी से बढ़ने वाला पौधा है, जो भवन निर्माण, फर्नीचर, और कागज उत्पादन जैसे उद्योगों में उपयोग होता है. इसकी जड़ें मिट्टी के कटाव को रोकने और मृदा को मजबूत बनाने में सहायक होती हैं. साथ ही, यह पौधा वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है और ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है. इन कारणों से बांस को ‘हरित सोना’ कहा जाता है.
बंबू मिशन योजना का लाभ कैसे लें?
सरकार की बंबू मिशन योजना का लाभ उठाने के लिए किसान कृषि या वन विभाग में आवेदन कर सकते हैं. इस योजना के तहत किसानों को प्रति पौधा 120 रुपये का अनुदान, तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है. किसान बांस की खेती करके फर्नीचर और शिल्प उत्पाद बना सकते हैं, जिससे उनकी आय के नए स्रोत खुलते हैं. साथ ही, सरकार उचित दाम दिलाने में भी मदद करती है.
हिरदय सिंह की सफलता की यह कहानी किसानों को बांस की खेती की ओर प्रेरित करती है, जिससे वे न केवल अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित कर सकते हैं.
Tags: Agriculture, Bamboo Products, Local18
FIRST PUBLISHED :
September 24, 2024, 13:52 IST