लखनऊ : डॉ. प्रदीप कुमार सिंह का जन्म 20 जुलाई 1969 को जौनपुर के बदलापुर तहसील के बिछवट नामक गांव में हुआ. प्रदीप एक बेहद सामान्य परिवार से आते हैं. बचपन से ही पढ़ाई में सजग रहे प्रदीप की शिक्षा का सफर बिछवट के ही प्राथमिक विद्यालय से शुरु होकर प्रतापगढ़ जिले से स्नातक और परास्नातक तक पहुंची. उसके बाद प्रदीप ने डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास से पी.एच.डी की उपाधि ली. इसके बाद डॉ. प्रदीप कुमार सिंह ने सन् 1995 में उत्तर प्रदेश राज्य सिविल सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण कर बेसिक शिक्षा अधिकारी बनें. इस नौकरी में आने के बाद डॉ. प्रदीप ने अपनी सेवाएं शिक्षा विभाग के कई अहम पदों पर दी.
इन पदों पर रहते हुए इन्होंने कई महत्त्वपूर्ण बदलाव भी किए. उदाहरण के लिए आपको बता दें कि जिला विद्यालय निरीक्षक, गाजीपुर रहते हुए डॉ. प्रदीप ने नकल जैसी सामाजिक बुराई को रोकने के लिए कई कड़े कदम उठाए. इस मिशन में उन्हें सफलता भी मिली. इसके अलावा डॉ. सिंह ने दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा संस्था उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद में 5.5 साल तक अपर सचिव के पद पर तैनात रहे.
साहित्य में है विशेष रुचि
साहित्य में विशेष रुचि रखने वाले डॉ. प्रदीप कुमार सिंह ने दो यात्रा- वृत्तांत, जिनके नाम धरा का रंग धानी और शैल शिखर की छांव में की रचना भी की. वर्ष 2023- 24 में राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश ने इनकी कृति ‘शैल शिखर की छांव में’ के लिए इन्हें भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार से पुरस्कृत भी किया. अपनी मां शांति सिंह के प्रति अटूट श्रद्धा रखने वाले डॉ प्रदीप कुमार सिंह अपनी बातचीत में बताते हैं कि मां के गुजर जाने के बाद उन्होंने मां गंगा से एक कविता के जरिए अपनी मां का हाल- चाल पूछा, जिनकी लाइनें कुछ इस प्रकार हैं.
गंगा मैया,
डेढ़ बरस पहले तुम्हारी गोद में समर्पित कर दिया था मां को
उस मां को,
जिसकी गोद में मेरी किलकारी की प्रतिध्वनि,
अब भी सुनाई देती है.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 14:07 IST