प्रेमानंद ने याद दिलाई गुरु रविदास की ऐसी प्रेरक घटना, जो है भक्ति की मिसाल

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Last Updated:February 12, 2025, 12:23 IST

Guru Ravidas Jayanti 2025: गुरु रविदास की शिक्षाएं आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हैं. उन्होंने हमें एक ऐसा समाज बनाने का रास्ता दिखाया है, जो समानता, न्याय और प्रेम पर आधारित हो.

प्रेमानंद ने याद दिलाई गुरु रविदास की ऐसी प्रेरक घटना, जो है भक्ति की मिसाल

रविदास जयंती

हाइलाइट्स

  • गुरु रविदास जयंती 5 फरवरी को है.
  • प्रेमानंद महाराज का वीडियो वायरल हो रहा है.
  • गुरु रविदास ने समानता और न्याय का संदेश दिया.

Guru Ravidas Jayanti 2025: 5 फरवरी 2025 को पूरे भारत में गुरु रविदास जयंती मनाई जा रही है. यह दिन संत रविदास की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो 15वीं शताब्दी के एक महान संत, कवि और समाज सुधारक थे. इस मौके पर महाराज प्रेमानंद जी का ये वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वो गुरु रविदास जी की एक अद्भूत घटना का जिक्र करते नजर आ रहे हैं.

प्रेमानंद जी महाराज ने रविदास जी को किया याद

इस वीडियो में प्रेमानंद जी महाराज बता रहे हैं, ‘एक समय की बात है, काशी में कुछ ब्राह्मणों ने गुरु रविदास जी का विरोध किया. उन्होंने कहा कि संत रविदास को ठाकुर जी की पूजा करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने रविदास जी को चुनौती दी और कहा कि उन्हें ठाकुर जी की सेवा नहीं करनी चाहिए.’

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ब्राह्मणों ने रविदास जी को अपने समक्ष बुलाया और उनसे पूछा कि वे ठाकुर जी की पूजा क्यों करते हैं? रविदास जी ने उत्तर दिया कि “वह हमारे ठाकुर जी हैं और वे उनसे सेवा करवाते हैं.” इस पर ब्राह्मणों ने कहा, “रविदास शास्त्रों के विरुद्ध आचरण कर रहे हैं, जिससे राज्य का नाश हो सकता है. रविदास जी ने उत्तर दिया कि जब ठाकुर जी चाहते हैं कि वे उनकी सेवा करें तो वे करते हैं, और यदि वे मना कर दें तो वे कभी सेवा नहीं करेंगे.

ब्राह्मणों ने रविदास जी से पूछा कि उन्हें कैसे पता चलेगा कि ठाकुर जी उनकी बात से सहमत हैं. रविदास जी ने कहा कि आप उस सिंहासन पर ठाकुर जी को रखें और मंत्रों से उन्हें बुलाएं और मैं हाथ फैलाए उन्हें बुलाउंगा. अगर वह आ गए तो मान लेना कि ठाकुर जी चाहते है कि मैं उनकी सेवा करुं !”

ब्राह्मणों ने वैसा ही किया. उन्होंने सिंहासन पर ठाकुर जी को रखा और मंत्रों का उच्चारण करने लगे. रविदास जी सिंहासन से दूर हट गए और उन्होंने भाव भक्ति से अपने हाथ फैला दिए. उन्होंने कहा, “हे प्रभु!” सिंहासन हिलने लगा और ठाकुर जी रविदास जी की छाती से लिपट गए. यह देखकर ब्राह्मण आश्चर्यचकित रह गए.

फिर भी, उन्होंने कहा कि रविदास ने अपने ठाकुर पर जादू-टोना किया है. उन्होंने अपने ठाकुर जी को बुलाया और मंत्रों का उच्चारण किया. रविदास जी ने फिर हाथ फैलाए और कहा, “हे प्रभु!” इस बार भी ठाकुर जी रविदास जी के पास आ गए. ब्राह्मणों को विश्वास हो गया कि रविदास जी की भक्ति सच्ची है और ठाकुर जी उनसे प्रसन्न हैं.

इस घटना से पता चलता है कि ईश्वर किसी जाति या वर्ण में नहीं बंधे होते हैं. वे सच्चे प्रेम और भक्ति के भूखे होते हैं. जो भक्त सच्चे मन से ईश्वर की आराधना करता है, ईश्वर उसे अवश्य स्वीकार करते हैं.

कौन थे गुरु रविदास?
आपको बता दें, गुरु रविदास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था. वे एक गरीब और वंचित परिवार से थे, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से ज्ञान प्राप्त किया. उन्होंने भक्ति आंदोलन में भाग लिया और अपनी कविताओं और उपदेशों के माध्यम से समाज में समानता और न्याय का संदेश फैलाया.

रविदास जी के संदेश
गुरु रविदास की शिक्षाएं बहुत ही सरल और व्यावहारिक थीं. उन्होंने लोगों को प्रेम, भाईचारा और मानवता का संदेश दिया. उन्होंने जातिवाद, छुआछूत और धार्मिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने कहा कि सभी मनुष्य समान हैं और सभी को समान अधिकार मिलने चाहिए.

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गुरु रविदास के कुछ मुख्य उपदेश इस प्रकार हैं:

ईश्वर एक है: गुरु रविदास ने ईश्वर को एक और सर्वव्यापी बताया. उन्होंने कहा कि ईश्वर किसी जाति, धर्म या रंग में नहीं बंटा हुआ है.

सभी मनुष्य समान हैं: गुरु रविदास ने जातिवाद और छुआछूत का विरोध किया. उन्होंने कहा कि सभी मनुष्य समान हैं और सभी को समान अधिकार मिलने चाहिए.

मेहनत और ईमानदारी: गुरु रविदास ने मेहनत और ईमानदारी को सबसे बड़ा धर्म बताया. उन्होंने कहा कि हमें अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए और कभी भी किसी का हक नहीं मारना चाहिए.

प्रेम और भाईचारा: गुरु रविदास ने प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया. उन्होंने कहा कि हमें सभी से प्रेम करना चाहिए और भाईचारे के साथ रहना चाहिए.

First Published :

February 12, 2025, 12:21 IST

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