Agency:News18 Uttar Pradesh
Last Updated:February 04, 2025, 08:58 IST
Sonbhadra Goat Farming: यूपी के सोनभद्र में बकरी पालन कर किसान तगड़ी कमाई कर रहे हैं. ऐसे में कृषि वैज्ञानिक ने बकरी पालन के कुछ खास टिप्स बताए हैं. इसके माध्यम से किसान मालामाल बन सकते हैं. उन्होंने कहा कि किस...और पढ़ें
बकरी पालन की जानें पूरी विधि विस्तार से
हाइलाइट्स
- बकरी पालन से किसान तिगुनी आय कमा सकते हैं.
- उच्च नस्ल की बकरियों का चयन करें.
- बाड़े की नियमित साफ-सफाई जरूरी है.
सोनभद्र: कम लागत और सामान्य रख-रखाव में बकरी पालन व्यवसाय सबसे बेहतरीन है. यह व्यवसाय गरीब किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए आय का एक अच्छा साधन बन गया है. यूपी समेत कई राज्यों में बकरियां एटीएम के रूप में किसानों की मदद करती हैं. इसके बाद भी किसान जानकारी के अभाव में अधिक लाभ नहीं कमा पा रहे हैं.
कृषि वैज्ञानिक ने बताया
सोनभद्र के कृषि वैज्ञानिक बाबू लाल मौर्या ने लोकल 18 से बताया कि बकरी पालन व्यवसाय से किसानों की आय दोगुनी से तिगुनी की जा सकती है. अगर किसान बकरी पालन को वैज्ञानिक तरीके से करें. बकरी पालन शुरू कर रहे किसानों को सबसे पहले तो उच्च नस्ल की बकरियों का चयन करें. स्टॉल फीडिंग के लिए बरबरी बकरी का पालन करें. अगर चराई लिए रखना है तो सिरोही बकरी का चयन करें.
मेमनों की मृत्युदर ऐसे करें कम
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि अगर किसान बकरी पालन शुरू कर रहे हैं तो प्रशिक्षण जरूर लें. ताकि पशुपालकों को पूरी जानकारी रहे और घाटा न हो.अगर बकरियों को सही समय पर गर्भित कराते हैं तभी किसान को लाभ मिलेगा. यूपी में बकरियों को 15 सिंतबर से लेकर नवंबर और 15 अप्रैल से लेकर जून तक गाभिन कराना चाहिए. सही समय पर बकरियों को गाभिन कराने से नवजात मेमनों की मृत्युदर कम होती है.
साफ सफाई पर दें ध्यान
ऐसे में ज्यादातर किसान बकरी के बाड़े की साफ-सफाई पर ध्यान नहीं देते हैं. जबकि साफ-सफाई बकरियों में होने वाली बीमारियों को कम कर देता है. इसलिए नियमित साफ-सफाई बहुत जरूरी है. जहां पर बकरी को बांधे, वहां की एक या दो इंच परत मिट्टी की समय-समय पर पलट दें, जिससे उसमें जो परजीवी होते हैं, वो निकल जाते हैं. इसके अलावा बाड़े की मिट्टी जितनी सूखी होती है. उतनी ही बकरियों को बीमारियां कम होती है.
बकरियों को खिलाएं हरा चारा
इसके अलावा बकरियों को पानी से दूर रखा जाए. पशुपालक शिकायत करते हैं कि बकरी के 3 बच्चे हुए, उसमें एक ही बचा. ऐसा इसलिए होता है. क्योंकि बकरी का दूध नहीं पचता है. इसलिए जब बकरी गाभिन हो तो उसे अत्यधिक मात्रा में हरा चारा और खनिज लवण देना चाहिए. पशुपालक जेर गिरने तक बच्चे को दूध नहीं पीने देते हैं, ऐसा न करें, जितना जल्दी बच्चे को मां का पहला दूध (खीस) पिलाएंगे उतना ही बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता तेजी से बढ़ती है.
बाबू लाल मौर्या पिछले कई सालों से स्टॉल फेड विधि से बरबरी बकरी का पालन कर रहे हैं. इस व्यवसाय से आज वह न सिर्फ सलाना लाखों की कमाई कर रहे हैं. बल्कि कई राज्यों के लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं.
Location :
Sonbhadra,Uttar Pradesh
First Published :
February 04, 2025, 08:57 IST
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