बाड़मेर के धरातल पर उतरी 2500 साल पुरानी परंपरा, पारंपरिक शस्त्रों का हुआ पूजन

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2500 साल पुरानी परंपरा धरातल पर उतरती हुई

बाड़मेर:- एक जमाना हुआ करता था, जब समाज की सुरक्षा और लोगों को भय मुक्त रखने का काम क्षत्रिय किया करते थे. आजादी के बाद से यह जिम्मा सरकार पर आ गया. लेकिन क्षत्रिय का अपने अस्त्र और शस्त्र ने नाता नहीं टूटा. यही वजह है कि आज भी देश में विजया दशमी के दिन क्षत्रिय अपने अस्त्रों और शस्त्रों की पूजा करते हैं. राजा-रजवाड़ों के समय विजयदशमी का पर्व हर क्षत्रिय के लिए सबसे बड़ा पर्व होता था. यही वह दिन होता था, जब 365 दिन उनका साथ निभाने वाले रक्षा और सुरक्षा के आधार अस्त्र और शस्त्र की पूजा की जाती थी.

2500 साल पुरानी परंपरा
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे सरहदी बाड़मेर जिला मुख्यालय में आज शस्त्र पूजन की 2500 साल पुरानी परंपरा धरातल पर उतरी नजर आई है. बाड़मेर रावत त्रिभुवन सिंह की अगुवाई में माता नागणेच्या मन्दिर में बाड़मेर और बालोतरा जिले के हजारों लोग इस पूजन के साक्षी बने हैं. लोग अपने घरों से अपने शस्त्र लेकर मन्दिर प्रांगण में पहुंचे और वहां वैदिक मंत्रों के बीच तलवार, पिस्टल, बंदूक, खड्ग, गुप्ती, माउजर, 12 बोर, राइफल सहित विभिन्न शस्त्रों पर कुमकुम, अक्षत, तिलक लगाया गया.

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आज के दिन ही होता था युद्ध का चुनाव
सभी शस्त्रों का रावत त्रिभुवन सिंह ने अपने हाथों से कुमकुम तिलक लगाकर उन्हें उनके मालिकों को दिया. उनके साथ ध्रुव राज सिंह राठौड़ भी मौजूद रहे. रावत त्रिभुवन सिंह ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए कहा कि सनातन परंपरा में शस्त्र और शास्त्र दोनों का बहुत महत्व है. शास्त्र की रक्षा और आत्मरक्षा के लिए धर्मसम्म्त तरीके से शस्त्र का प्रयोग होता रहा है. प्राचीनकाल में क्षत्रिय शत्रुओं पर विजय की कामना लिए इसी दिन का चुनाव युद्ध के लिए किया करते थे. पूर्व की भांति आज भी शस्त्र पूजन की परंपरा कायम है और देश की तमाम रियासतों और शासकीय शस्त्रागारों में आज भी शस्त्र पूजा बड़ी धूमधाम के साथ किया जाता है.

Tags: Barmer news, Dussehra Festival, Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED :

October 12, 2024, 15:26 IST

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