बिना कोचिंग इस बेटी ने गरीबी से लड़कर UPSC में बाजी मारी, जानिए प्रेरक कहानी

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Last Updated:January 19, 2025, 11:49 IST

Shraddha Narwade UPSC Success Story: श्रद्धा नारवड़े ने छत्रपति संभाजीनगर से UPSC द्वारा आयोजित भारतीय आर्थिक सेवा (IES) 2024 परीक्षा में पहले प्रयास में सफलता प्राप्त की. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर 17वीं और राज्य स्तर पर प्रथम रैंक प्राप्त की है.

बिना कोचिंग इस बेटी ने गरीबी से लड़कर UPSC में बाजी मारी, जानिए प्रेरक कहानी

श्रद्धा नरवड़े सफलता की कहानी

छत्रपति संभाजीनगर: सरकारी नौकरी पाना कोई आसान काम नहीं है. इसके लिए कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई करनी पड़ती है. यही मेहनत और लगन की मिसाल पेश की है छत्रपति संभाजीनगर जिले की श्रद्धा नारवड़े ने. श्रद्धा दिलीप नारवड़े ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित भारतीय आर्थिक सेवा (IES) 2024 परीक्षा में पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की है. इस परीक्षा में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर 17वीं और राज्य स्तर पर प्रथम रैंक हासिल की है. अब श्रद्धा को केंद्रीय वित्त मंत्रालय में सहायक निदेशक (Assistant Director successful the Union Ministry of Finance) के रूप में नियुक्त किया गया है.

शिक्षा और कठिनाइयों से भरा रहा सफर
बता दें कि श्रद्धा नारवड़े छत्रपति संभाजीनगर जिले के चितेगांव की रहने वाली हैं. उनके पिता शिक्षक हैं और मां गृहिणी. श्रद्धा ने अपनी स्कूल की पढ़ाई छत्रपति संभाजीनगर शहर में पूरी की. इसके बाद उन्होंने देवगिरी कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर (Masters successful Economics) की पढ़ाई की.

श्रद्धा के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी. मुश्किल हालातों के बावजूद, उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और शिक्षक बनने का फैसला किया. यह संघर्ष उनके जीवन का अहम हिस्सा रहा.

पिता का सपना पूरा करने की ठानी
श्रद्धा के पिता का सपना था कि उनकी बेटी प्रतियोगी परीक्षाओं (Competitive Exams) में सफलता हासिल कर एक सरकारी नौकरी पाए. बचपन से ही उनके पिता उन्हें पढ़ाई और मेहनत के लिए प्रेरित करते थे. श्रद्धा ने भी इस सपने को साकार करने का निश्चय किया और यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला लिया. उन्होंने कॉलेज के समय से ही तैयारी शुरू कर दी और दिन में आठ से दस घंटे पढ़ाई करती थीं.

बिना कोचिंग के पहले प्रयास में मिली सफलता
श्रद्धा ने बिना किसी कोचिंग क्लास के खुद की मेहनत से यह सफलता हासिल की. उनके इंटरव्यू की तारीख 4 दिसंबर को थी. कुछ ही दिनों के भीतर रिजल्ट घोषित हुए और उन्हें चयनित घोषित किया गया.

परिवार और समाज के लिए प्रेरणा
श्रद्धा ने कहा, “मुझे गर्व है कि मैंने अपने पिता का सपना पूरा किया.” उनकी यह उपलब्धि उनके परिवार और समाज के लिए एक प्रेरणा है. यह कहानी दिखाती है कि मेहनत, लगन और आत्मविश्वास से बड़ी से बड़ी चुनौतियों को पार किया जा सकता है.

First Published :

January 19, 2025, 11:49 IST

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