उच्चतम न्यायालय ने एक समय में एक व्यक्ति का प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए एटीएम पर सुरक्षा गार्ड के चौबीसों घंटे तैनात रहने के गुवाहाटी उच्च न्यायालय के आदेश को मंगलवार को निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के.विनोद चंद्रन की पीठ ने कुछ बैंकों की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इन दलीलों पर विचार किया कि सभी एटीएम पर चौबीसों घंटे सुरक्षा गार्ड तैनात करना व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘असम में, हमारे पास लगभग 4,000 एटीएम हैं। हम सभी एटीएम पर सुरक्षा गार्ड नहीं रख सकते। दुनिया भर में मान्यता प्राप्त प्रणाली के रूप में सीसीटीवी रखना है।’’
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्देश पर लगाई थी रोक
मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने दिसंबर 2016 में उच्च न्यायालय के निर्देश पर रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक समेत याचिकाकर्ता बैंकों को एटीएम के सुचारू कामकाज के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल के संबंध में दिसंबर 2013 में उच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए अन्य निर्देशों को स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं है। पीठ ने याचिका स्वीकार कर ली और उच्च न्यायालय द्वारा जारी उस निर्देश को निरस्त कर दिया जिसमें कहा गया था, ‘‘सभी एटीएम पर चौबीसों घंटे सुरक्षा गार्ड रखे जाएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एक समय में केवल एक ही ग्राहक एटीएम परिसर में प्रवेश कर सके।’’
हाईकोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
उच्च न्यायालय ने कथित एटीएम धोखाधड़ी पर दिसंबर 2012 में प्रकाशित एक समाचार पर स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें एक व्यक्ति के साथ 35,000 रुपये की धोखाधड़ी होने की बात कही गई थी। इसने ऐसी घटनाओं से बचने के लिए एटीएम ग्राहकों को प्रदान किए जा सकने वाले सुरक्षा उपायों पर निर्णय लेने के लिए केंद्र और असम के पुलिस महानिदेशक के अलावा भारतीय रिजर्व बैंक तथा संबंधित बैंक को नोटिस जारी किया था। उच्च न्यायालय के आदेश में मई 2013 में दायर पुलिस महानिदेशक के हलफनामे पर ध्यान दिया गया, जिसमें राज्य के सभी बैंकों के एटीएम को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक कार्ययोजना का सुझाव दिया गया था। उच्च न्यायालय ने सुझाई गई योजना को स्वीकार कर लिया था और अधिकारियों को इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।
(इनपुट-भाषा)