Agency:भाषा
Last Updated:February 02, 2025, 13:30 IST
NGT connected Invasive and Alien Fish Species: एनजीटी में याचिका दायर कर गम्बूसिया एफिनिस और पोसिलिया रेटिकुलता मछलियों पर प्रतिबंध की मांग की गई है. इन मछलियों का इस्तेमाल विभिन्न राज्यों में मछरों की संख्या को क...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- एनजीटी में विदेशी मछलियों पर प्रतिबंध की याचिका.
- गम्बूसिया और पोसिलिया मछलियों पर प्रतिबंध की मांग.
- केंद्र से एनजीटी ने याचिका पर अपना जवाब देने के लिए कहा है.
नई दिल्ली. क्या मछलियां भी पर्यावरण के लिए खतरनाक हो सकती हैं? सुनने में यह थोड़ा अजीब जरूर लगता है लेकिन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी के सामने हाल ही में एक ऐसा ही मामला आया. एनजीटी के सामने याचिका लगाकर कहा गया कि दो अत्यधिक आक्रामक विदेशी प्रजातियों की मछलियों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. इन मछलियों का उपयोग मच्छरों से संबंधित बीमारियों को काबू में रखने के लिए किया जा रहा है. मछलियों की दो प्रजाति ‘गम्बूसिया एफिनिस’ (मस्कीटोफिश) और ‘पोसिलिया रेटिकुलता’ (गुप्पी) को भारत में बैन करने को लेकर यह याचिका लगाई गई. एनजीटी ने इस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है.
याचिका में कहा गया कि इन मछलियों का इस्तेमाल विभिन्न राज्यों में मच्छरों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए जलाशयों में छोड़कर किया जा रहा है. याचिका में कहा गया है कि ‘मस्कीटोफिश’ को जलाशयों में छोड़ने वाले राज्यों में असम, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश शामिल हैं जबकि गुप्पी प्रजाति को महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब और ओडिशा में छोड़ा गया था.
ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड ने इन मछलियों पर लगाया बैन
याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण ने मछलियों की इन दो प्रजातियों को ‘‘आक्रामक और विदेशी’’ घोषित किया है और इन्होंने स्थानीय जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, जिससे देशी मछली प्रजातियों के लिए भोजन की कमी हो रही है. याचिका में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों द्वारा मस्कीटोफिश पर लगाए गए प्रतिबंध का भी उल्लेख किया गया है. याचिका में ‘इनवेसिव स्पीशीज स्पेशलिस्ट ग्रुप’ की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिसके अनुसार मस्कीटोफिश दुनिया की 100 ‘‘सबसे खराब आक्रामक विदेशी प्रजातियों’’ में से एक है.
केंद्र से मांगा गया जवाब
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की बेंच ने 24 जनवरी के अपने आदेश में कहा, ‘‘प्रतिवादियों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करें.’’ इस मामले के प्रतिवादियों में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र शामिल हैं. मामले में अगली सुनवाई छह मई को होगी.
First Published :
February 02, 2025, 13:26 IST