Agency:News18 Bihar
Last Updated:February 05, 2025, 07:56 IST
Champaran News : डॉ. रंजन बताते हैं कि जहां गाजर घास एवं आइपोमिया की पत्तियों का सेवन मवेशियों में एलर्जी, त्वच संबंधी रोग एवं दूध में विषाक्तता जैसी समस्या को पैदा कर सकती हैं, वहीं ज्वार, खेसारी तथा कास्टर जै...और पढ़ें
प्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स
- गाजर घास और आइपोमिया पत्तियां मवेशियों के लिए हानिकारक हैं.
- ज्वार, खेसारी और कास्टर घास से मवेशियों में अपच और अम्लीयता होती है.
- बरसीम, बीन ग्रास, जई और राई पशु आहार के लिए बेहतर विकल्प हैं.
पश्चिम चम्पारण. यदि आप पशुओं का पालन आर्थिक दृष्टिकोण से कर रहे हैं, तो आपको उनके आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए. खास कर यदि बात दुधारू पशुओं की कि जाए, तो उनको आहार के रूप में दिए जाने वाले हरे चारे और भूसे को बेहद उचित मिश्रण में मिलाना दूध उत्पादन की क्षमता में एक अहम भूमिका निभाता है. जानकारों की मानें तो, कभी कभार चरने के क्रम में मवेशी कुछ ऐसी घास या पत्ते खा लेते हैं, जो उनकी सेहत तथा दूध की उत्पादकता पर बेहद बुरा असर डालता है. कई मामलों में तो मवेशियों की जान तक चली जाती है. इसके पहले कि आपके पशुओं के साथ भी ऐसा कुछ हो, आज हम आपको ऐसे घास तथा पत्ते की पूरी जानकारी देने जा रहे हैं, जिनको खाना पशुओं के लिए बेहद जलनेवा साबित हो सकता है.
मवेशियों के लिए विष समान है यह घास एवं पत्तियां
ज़िले के माधोपुर स्थित देशी गोवंश संरक्षण एवं संवर्धन केंद्र में वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत, डॉ.रंजन बताते हैं कि चरने के क्रम में कई बार मवेशी गाजर घास ( कांग्रेस ग्रास), खेसारी ( लिथियरस), ज्वार (सॉरगम), अरंडी (कैस्टर) तथा बेहया (आइपोमिया) जैसी घास एवं पत्तियों का सेवन कर लेते हैं. भयावह बात यह है कि इनमें से कुछ घास एवं पत्तियां विषाक्त तथा कुछ बेहद ही हानिकारक होती हैं. ऐसे में यदि कोई मवेशी इनका सेवन करता है, तो उन्हें अपच, त्वचा संबंधी रोग तथा एलर्जी जैसी समस्याएं जकड़ सकती हैं. इतना ही नहीं, कई बार तो मवेशियों की जान तक चली जाती है.
पशुओं के लिए उत्तम है बरसीम
डॉ.रंजन बताते हैं कि भारत में सिर्फ मवेशियों के आहार पर करीब 70 प्रतिशत तक खर्च आता है. विडंबना इस बात की है कि इसके बावजूद भी उनमें दूध का उत्पादन पूरा नहीं हो पाता है. अब ऐसे में यदि किसान ‘बरसीम’ नामक हरे चारे को पशु आहार के रूप में उपयोग करेंगे, तो आहार पर किए जाने वाला ये पूरा खर्च बच सकता है. इसमें 18 प्रतिशत तक प्रोटीन तथा डेढ़ प्रतिशत कैल्शियम के साथ अन्य दर्जनों पोषक तत्व पाए जाते हैं.
बीन ग्रास, जई, राई तथा ओजोला है बेहतर विकल्प
इसके अलावे आप बीन ग्रास, जई, राई तथा ओजोला का उपयोग भी पशु आहार के रूप में कर सकते हैं.जई में 7 से 9 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है. सर्दियों में पशु चारे के रूप में इसका उपयोग उत्तम माना जाता है. यह एक अदलहनी फसल है, इसलिए आप इसका उपयोग बरसीम के साथ मिलाकर कर सकते हैं. 20 किलो बरसीम में 40 किलो जई के मिश्रण को पशु चारे के लिए बेहतर माना जाता है.इसी प्रकार बीन ग्रास में 10 से 15 प्रतिशत तक प्रोटीन होता है.जई के साथ बीन ग्रास का मिश्रण पशु चारे में उत्तम माना जाता है.
Location :
Pashchim Champaran,Bihar
First Published :
February 05, 2025, 07:54 IST
मवेशियों के लिए विष समान है यह घास एवं पत्तियां, गलती से भी न करने दें सेवन