महाकुंभ का आयोजन 12 वर्ष पश्चात संगम के तट पर प्रयागराज में हो रहा है। इस दौरान 13 जनवरी से ही यहां साधु-संत समेत श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है। माना जा रहा है कि अब तक 8 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु महाकुंभ के संगम में डुबकी लगा चुके हैं। काफी कम लोगों को ही मालूम होता है कि महाकुंभ के दौरान हमें क्या करना चाहिए जिससे उन्हें पुण्य मिले। तो आइए जानते हैं...
सभी तीर्थो से ज्यादा है महत्व
बता दें कि प्रयाग को सभी तीर्थों का राजा माना जाता है। इसी कारण इन्हें प्रयागराज कहते हैं। यहां तीन नदी गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम है, जो पूरे देश में और कहीं भी नहीं है। यही कारण है कि सभी तीर्थों में प्रयाग की महत्व ज्यादा रहता है। इस तीर्थ में सभी तीर्थ यात्रियों का धर्म और कर्म के नियमों के मुताबिक, स्नान, ध्यान और पूजा करनी चाहिए। इससे आप पाप के भागीदार बनने से बच सकेंगे और पुण्य कमा सकेंगे।
जरूर करने चाहिए ये कार्य
- महाकुंभ में जाकर तीर्थयात्रियों को प्रभु और मां गंगा की भक्ति में ही लीन रहना चाहिए, अनावश्यक घर आदि के विचार मन में कदापि न लाएं।
- तीर्थों में जप, तप, दान, ध्यान, उपवास और पूजा-पाठ के अपने कर्म होते हैं, ऐसे में अपने हिसाब से इसे करने से बचें, अगर समझ न आए तो वहां मौजूद किसी पंडित, साधु-संत से इसके बारे में बात करें वे आपको सही राह दिखाएंगे।
- अगर आपको अपने पितरों के लिए पिंडदान करवाना है तो बिना सिर मुंडवाए यह संस्कार न करें।
- जितने दिन भी महाकुंभ में रहें कोशिश करें कि ब्रह्ममुहूर्त में उठे और मां गंगा तथा तीर्थराज के नमन करें। साथ ही शाम को उनका वंदन करें।
- महाकुंभ में ठहरने के साथ ही वहां मौजूद साधु-संतों के प्रवचन जरूर सुनें, क्योंकि ऐसा सौभाग्य सबको नहीं मिलता कि तीर्थ में प्रवचन सुन सकें।
- यदि हो रहे तो महाकुंभ के दौरान कल्पवास भी रखें भले ही एक दिन के लिए क्यों न हो।
- साथ ही रोजाना गंगा में 5 डुबकी जरूर लगाएं और गंगा मंत्र जरूर जपे।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)