महाकुंभ में भी गंगा नदी कैसे रखती है खुद को साफ, करोड़ों के स्नान के बाद भी

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Last Updated:January 24, 2025, 11:50 IST

प्रयागराज के महाकुंभ में करोड़ों लोगों ने गंगा और यमुना के संगम पर स्नान किया. ऐसे में उसकी सफाई को लेकर चिंता होती है. लेकिन गंगा नदी की खुद को साफ रखने की एक खास प्रक्रिया है. इसके अलावा नमामि गंगे जैसी परिय...और पढ़ें

महाकुंभ में भी गंगा नदी कैसे रखती है खुद को साफ, करोड़ों के स्नान के बाद भी

गंगा नदी महाकुंभ जैसे आयोजन के बाद भी खुद को साफ रख लेती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

प्रयागराज के महाकुंभ में अब तक करोड़ों लोग स्नान कर चुके हैं. गंगा नदी और युमना नदी के इस संगम पर लोगों ने इस खास मौके पर स्नान किया है जिसे धार्मिक तौर पर बहुत ही अहम संयोग माना जाता है. लेकिन क्या गंगा नदी इस कार्यक्रम के चलते खुद को साफ रख पाती है? वहीं दूसरी तरफ कहा जाता है कि गंगा नदी इतनी पवित्र है कि हमारे पापों को धो देती है. तो आखिर गंगा नदी में ऐसा क्या है जो वह इतनी पवित्र है और वह खुद को इतना साफ कैसे रख पाती है? आइए विज्ञान के नजरिए पड़ताल करते हैं कि आखिर गंगा नदी की खुद को साफ रखने की क्या प्रक्रिया है? उसका पानी दूसरी नदियों के मुकाबले इतना बढ़िया कैसे हैं?

खुद की सफाई का सिस्टम
आमतौर पर हर नदी का खुद को साफ करने के अपना कुदरती सिस्टम होता है. लेकिन जब नदी के किनारे शहरों की आबादी बहुत अधिक हो तो वहां से निकलने वाला पानी ज्यादा गंदा हो जाता है जिससे नदी के इस सिस्टम के चरमराने का खतरा होता है.गंगा नदी में भी हर दूसरी नदी की तरह हर शहर से गंदा पानी मिलता है, लेकिन वह खुद को साफ करने में काफी हद तक सक्षम है.

शहरों का दबाव से निपटना
आज के समय में हर शहर में गंदा पानी सीधी नदी में नहीं मिलने दिया जाता है. गंगा नदी भी अपवाद नहीं है. यहां के शहर का भी गंदा पानी पहले काफी साफ किया जाता है और फिर नदी में छोड़ा जाता है. लेकिन कई बार शहरों की आबादी बढ़ने से वहां के भी नालों के पानी की सफाई के सिस्टम पर दबाव पड़ता है और इसका असर नदी पर पड़ सकता है.

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हर नदी की तरह गंगा नदी में भी खुद को साफ करने का एक कुदरती सिस्टम है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)

कुंभ के मेले में
कुंभ मेलों में लाखों की संख्या में लोगों के आने से प्रयाग राज में भी शहर में दबाव बढ़ना स्वाभाविक है. ऐसे में सरकार ने इस दबाव से निपटने के लिए खास इंतजाम किए हैं. इसके अलावा भी प्रशासन नदी को साफ बनाए रखने और उस पर गंदगी ना जाने की व्यवस्थाएं करता  है. फिर भी लाखों लोगों के स्नान करने से, नदी फूल अर्पण करने से भी नदी पर दबाव बढ़ता होगा. इसके लिए भी कुछ सफाई व्यवस्थाएं की गई हैं जिससे नदी से फूल आदि जैसा कचरा लगातार हटाया जाता रहता है. तो आइए समझते हैं कि इतने दबाव बावजूद नदी इतनी साफ और पवित्र कैसे रह पाती है.

खुद को साफ रखने के सिस्टम
हर नदी की तरह की तरह गंगा नदी में भी कई तरह के सूक्ष्मजीव रहते हैं तो पानी की गंदगी को  खुद ही साफ करते हैं. ऐसा वे जैविक और रासायनिक प्रक्रियाओं के जरिए करते हैं. इसीलिए कहा जाता है कि नदी के अंदर जैविक तंत्रों को होना उसके साफ होने की निशानी है. नदी की इसी प्रक्रिया को सेल्फ प्यूरिफिकेशन सिस्टम कहते हैं.

फिर भी दबाव से निपटने की जरूरत
जब छोटी नदियों में पास के शहर के आबादी बढ़ने से गंदा पानी बढ़ जाता है तो नदियां का खुद को साफ करने का ये सिस्टम फेल हो जाता है और कुछ ही दिन में छोटी नदी खुद ही नाले में बदल जाती है. पर बड़ी नदियों के साथ यह आसान नहीं होता है. फिर जब बड़ी नदियों के किनारे के शहरों की आबादी और उद्योग बढ़ने लगें तो उन पर भी दबाव बढ़ता है, हमारी गंगा नदी भी इस दबाव से अछूती नहीं है. इसीलिए सरकार ने इस दबाव को कम करने के लिए नमामि गंगे परियोजना शुरू की है और उसका असर भी दिख रहा है.

गंगा नदी के साथ एक और बहुत ही बढ़िया संयोग है जो इस नदी को बहुत ही खास बनाता है. माना जाता है कि हिमालय से निकलकर यहां पानी वहां कि जड़ी बूटियों के संपर्क में आते हुए आता है. इससे गंगाजल वैज्ञानिक तौर पर भी दूसरी नदियों के तुलना में अधिक गुणाकारी होती है. इस सबसे बड़ा सबूत यही है कि आप गंगा जल को किसी बोतल में सालों तक सहेज कर रख सकते हैं, वह खराब नहीं होता है, जबकि अन्य नदियों के पानी के साथ ऐसा नहीं है. यही कारण है कि गंगा नदी का पानी वैज्ञानिकों के लिए भी अनुसंधान का विषय रहा है.

Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

January 24, 2025, 11:50 IST

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