मां मजदूर, पिता चलफिर नहीं सकते.. अब 16 साल की बेटी ने पूरे देश में बजाया डंका

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Agency:News18 Jharkhand

Last Updated:February 08, 2025, 11:22 IST

Inspiring Story: झारखंड की अनुष्का का चयन अंडर 17 महिला फुटबॉल टीम में हुआ है. गरीबी और संघर्षों के बावजूद अनुष्का ने फुटबॉल में अपनी जगह बनाई. उनके पिता भी फुटबॉलर थे, लेकिन...

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अनुष्का

अनुष्का और उसकी कोच सुशीला 

हाइलाइट्स

  • अनुष्का का चयन अंडर 17 महिला फुटबॉल टीम में हुआ.
  • गरीबी और संघर्षों के बावजूद अनुष्का ने सफलता पाई.
  • अनुष्का रोजाना 3-5 घंटे फुटबॉल की प्रैक्टिस करती हैं.

हजारीबाग. भारत के अंडर 17 महिला फुटबॉल टीम में झारखंड की बेटियों का दबदबा देखने को मिल रहा है. इस वर्ष के अंडर 17 में झारखंड की पांच बेटियों का चयन हुआ है. इसमें हजारीबाग से अनुष्का का भी चयन हुआ है. अनुष्का अंडर 17 खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी. अनुष्का मूल रूप से रांची के ओरमांझी की रहने वाली हैं और पिछले 4 साल से हजारीबाग के आवासीय विद्यालय एथलीट और फुटबॉल खेल छात्रावास में रहकर फुटबॉल की ट्रेनिंग ले रही हैं.

अनुष्का की कहानी संघर्षों और गरीबी से भरी हुई है. माता पिता दोनों किसान है. घर चलाने के लिए माता पिता मजदूरी भी किया करते थे. एक हादसे के बाद पिता के पैरों में घाव हो गया है. जिस कारण से उनके पिता को सही तरीके से चलने में भी समस्या है. अब पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनकी माता पर आ चुकी है.

लोकल 18 झारखंड से बातचीत करते हुए अनुष्का कुमारी ने बताया कि उन्हें बचपन से ही फुटबॉल से लगाव है. बचपन से ही उन्होंने गांव की लड़कियों को फुटबॉल खेलते हुए देखा है. उनके पिता भी एक जमाने में फुटबॉल खेला करते थे. इन कारणों से उनका भी लगाव फुटबॉल की ओर आ गया. पिछले 4 साल से फुटबॉल के गुण सीखने के लिए हजारीबाग के कर्जन ग्राउंड स्थित आवासीय विद्यालय एथलीट और फुटबॉल खेल छात्रावास रहकर यहां ट्रेनिंग प्राप्त कर रही है.

संघर्ष भरा है जीवन 
अनुष्का कहती हैं कि वह ओरमांझी के बेहद पिछड़े इलाके से आती है. 3 साल पहले हुए एक हादसे के कारण अब उनके पिता को चलने फिरने में भी समस्या है. माता किसी तरीके से खेती बाड़ी और मजदूरी कर घर खर्च चलाती हैं. घर में दो भाई हैं, एक कक्षा दसवीं में पढ़ रहा है. वहीं दूसरा अभी काफी छोटा है. फुटबॉल ही उनके और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को ठीक कर सकता है. इसलिए वह जी जान लगाकर फुटबॉल के प्रति समर्पित हैं.

फुटबॉलर बनाने का सपना 
अनुष्का के पिता भी एक जमाने में फुटबॉल खेला करते थे, जिस कारण से उसके पिता यह चाहते हैं कि वह आगे चलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम रोशन करें. उनका सपना है कि वह अपनी बेटी को अंतरराष्ट्रीय मैच खेलते हुए मैदान से देखें. इसलिए नेशनल टीम में चयन के बाद अनुष्का ने सबसे पहला फोन अपने पिता को किया. उनके लिए यह चयन की प्रक्रिया किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं थी. जिसके लिए उन्होंने जी जान लगाकर समर्पित भाव से खेला.

खेल के लिए छोड़ देते हैं पढ़ाई
अनुष्का कहती हैं कि वह रोजाना 3 से 5 घंटे मैदान में प्रैक्टिस करती हैं. कभी-कभी प्रैक्टिस और खेल के कारण से उनकी पढ़ाई भी छूट जाती है. वहीं कई बार फुटबॉल खेलने के लिए पढ़ाई भी छोड़ देती थी. अनुष्का अभी संत कोलंबस कॉलेजिएट स्कूल की कक्षा 9वीं की छात्रा हैं.

डाइट पर विशेष ध्यान 
फुटबॉल काफी थका देने वाला खेल है, इसके लिए शरीर में ऊर्जा की मात्रा अधिक होनी बहुत जरूरी है. पर्याप्त डाइट के माध्यम से ही शरीर को ऊर्जावान रखा जा सकता है. अनुष्का की ट्रेनर सुशीला कुमारी भी कहती हैं कि फुटबॉल के लिए विशेष डाइट की जरूरत होती है. एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी को तैयार करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है. रोजाना तीन से पांच घंटे की मेहनत बेहद जरूरी है. वह खुद एक फुटबॉल की खिलाड़ी रह चुकी हैं, उन्हें अनुष्का जैसी बच्चियों में खुद की छवि दिखती है. उनका भी सपना है कि उनके द्वारा तैयार किए गए खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का परचम लहराएं.

अनुष्का की कहानी संघर्षों की कहानी है विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने फुटबॉल से नाता नहीं तोड़ा, बल्कि फुटबॉल के माध्यम से ही परिवार की आर्थिक स्थिति और खुद को बेहतर साबित करने के लिए संघर्षरत है.

Location :

Hazaribagh,Jharkhand

First Published :

February 08, 2025, 11:22 IST

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मां मजदूर, पिता चलफिर नहीं सकते.. अब 16 साल की बेटी ने पूरे देश में बजाया डंका

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