Last Updated:January 21, 2025, 09:46 IST
RBI Michael Patra- आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा की टिप्पणियां और प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके बयान हमेशा बाजार और आर्थिक विशेषज्ञों के लिए महत्वपूर्ण माने जाते थे. उनके इनपुट ने न केवल मौद्रिक नीति को आकार...और पढ़ें
लेखिका :लता वेंकटेश
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा (Michael Patra) का कार्यकाल पिछले हफ्ते समाप्त हो गया. उनके कार्यकाल के अंत के साथ ही आरबीआई में एक महत्वपूर्ण युग का भी समापन हो गया. देश की मौद्रिक नीति (Monetary Policy) को नियंत्रित करने, रुपये की स्थिरता बनाए रखने और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखने में उनकी भूमिका को लंबे समय तक याद किया जाएगा. उनकी गहरी आर्थिक समझ ने न केवल आरबीआई बल्कि देश की मौद्रिक नीति को भी एक नई दिशा दी.
माइकल पात्रा ने आरबीआई में अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण विभागों का नेतृत्व किया. इनमें मौद्रिक नीति विभाग, वित्तीय बाजार संचालन, आर्थिक और नीति अनुसंधान, और वित्तीय स्थिरता इकाई जैसे विभाग शामिल थे. उन्होंने रुपये के मूल्य को स्थिर रखने और आरबीआई को मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण केंद्रीय बैंक के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
पात्रा की गहरी समझ और विशेषज्ञता
माइकल पात्रा को देश के सबसे योग्य मैक्रोइकोनॉमिस्ट में से एक माना जाता है. उनके पास आर्थिक सिद्धांतों की गहरी समझ थी. वह टेलर नियम से लेकर लाफर कर्व तक और हारोड-डोमर मॉडल से लेकर केनेसियन सिद्धांत तक, हर पहलू में निपुण थे. उनकी सबसे बड़ी ताकत यह थी कि वह सिद्धांतों को व्यावहारिक आर्थिक वास्तविकताओं से जोड़ने में माहिर थे.
पात्रा ने उर्जित पटेल समिति की रिपोर्ट को लागू करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसने मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण को आरबीआई की प्राथमिकता बनाया. वह अक्टूबर 2016 से दिसंबर 2024 तक मौद्रिक नीति समिति (MPC) की सभी बैठकों के सदस्य रहे. फरवरी 2025 की बैठक पहली MPC बैठक होगी जिसमें माइकल पात्रा उपस्थित नहीं होंगे. यह उनकी नीतिगत समझ और नेतृत्व का ही परिणाम था कि आरबीआई ने कई वैश्विक और घरेलू आर्थिक चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया.
डिप्टी गवर्नर के रूप में पात्रा के इनपुट ने रुपये के दैनिक मूल्य को प्रभावित किया, चाहे वह रेपो या रिवर्स रेपो की मात्रा पर उनका प्रभाव हो, आरबीआई का बांडों की खुली बाजार बिक्री या खरीद का निर्णय हो या विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप हो. पिछले साल विनिमय दर को स्थिर रखने या रुपये की तरलता को कड़ा रखने में आरबीआई की भूमिका के लिए पात्रा को जिम्मेदार ठहराया गया है.
अंग्रेजी पर मजबूत पकड़
पात्रा को उनकी अंग्रेजी भाषा पर पकड़ के लिए भी याद किया जाएगा. उन्होंने कथित तौर पर आरबीआई द्वारा जारी हर प्रमुख रिपोर्ट को पढ़ा और संपादित किया. वास्तव में, हर आरबीआई मासिक बुलेटिन में “अर्थव्यवस्था की स्थिति” लेख को न केवल एक पूर्वानुमान के लिए बल्कि परिचय और निष्कर्ष की कविता के लिए भी पढ़ा जाता है. जनवरी बुलेटिन का अंत टेनीसन के उलीसेस के एक उद्धरण के साथ होता है, जहां पात्रा शायद खुद का जिक्र कर रहे हैं, “सर्दी का भी अपना संगीत होता है – एक आखिरी उछाल प्रकाश के मरने के खिलाफ गुस्से में…हम वह ताकत नहीं हो सकते जो एक बार पृथ्वी और स्वर्ग को हिला देती थी, लेकिन जो हम हैं, हम हैं: मजबूत इच्छाशक्ति में प्रयास करने, खोजने और हार न मानने के लिए.”
बैंक ग्राहकों को दिया तोहफा
पात्रा ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) की अध्यक्षता भी की. उनके कार्यकाल में अधिकतम बीमा राशि को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया गया. इसके अलावा, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि असफल बैंकों के जमाकर्ताओं को उनकी बीमित राशि 90 दिनों के भीतर मिले. यह कदम जमाकर्ताओं के लिए एक बड़ी राहत साबित हुआ. यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, क्योंकि पहले असफल बैंकों के जमाकर्ताओं को अपने बीमित राशि प्राप्त करने के लिए वर्षों तक इंतजार करना पड़ता था.
चुनौतियों और आलोचनाओं का सामना
हालांकि पात्रा ने अपने कार्यकाल में कई उपलब्धियां हासिल कीं, लेकिन उन्हें चुनौतियों और आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा. कई बिजनेस पत्रकार और बाजार अर्थशास्त्री उनकी अर्थव्यवस्था की दिशा पर अपने विचार बदलने की क्षमता से हैरान थे. लेकिन यह पेशे का जोखिम है जिसे पात्रा ने पूर्णता के साथ निभाया. दूसरी तिमाही में आर्थिक मंदी को पहचानने या सही पूर्वानुमान लगाने में आरबीआई की असमर्थता या अनिच्छा ने केंद्रीय बैंक और विशेष रूप से पात्रा को कई निजी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा.
लेकिन इन सभी बाधाओं के बावजूद, पात्रा ने अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और कुशलता के साथ निभाया. लेकिन बड़े परिप्रेक्ष्य में, यदि आज भारतीय रिजर्व बैंक को वैश्विक स्तर पर सबसे परिष्कृत केंद्रीय बैंकों में से एक माना जाता है, तो इसका श्रेय पात्रा जैसे लोगों को जाता है जो चुपचाप संख्याओं और आरबीआई के संचार की भाषा पर काम करते हैं.
वन्यजीव फोटोग्राफी का शौक
अर्थशास्त्र और केंद्रीय बैंकिंग से परे, माइकल पात्रा का वन्यजीव फोटोग्राफी के प्रति गहरा लगाव था. ताडोबा, पेंच, और रणथंभौर जैसे वन्यजीव अभयारण्यों में समय बिताना उनका शौक था. उनके ऑफिस में उनके इस शौक के प्रमाण के रूप में कई तस्वीरें सजी रहती थीं. अब जब पात्रा अपने अगले अध्याय की ओर बढ़ रहे हैं, उम्मीद है कि वह अपनी नई यात्रा में भी उतनी ही सफलता और प्रेरणा देंगे. उनके योगदान को सलाम और उनकी नई शुरुआत के लिए शुभकामनाएं!
(लेखिका CNBC-TV18 में एग्जिक्यूटिव एडिटर हैं)
Location :
New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
January 21, 2025, 09:46 IST