उदयपुर में राज परिवार सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ को 77वें महाराणा की उपाधि मिलने के बाद परिवार का आपसी क्लेश अब आम जनता के बीच आ चुका है. मेवाड़ के महाराणा खुद को दीवान मानकर मेवाड़ के आराध्य देव के रूप में पूजे जाने वाले भगवान एकलिंग नाथ को राजा मानते हैं. यह परंपरा मेवाड़ के संस्थापक बप्पा रावण के समय से चली आ रही है, तब से ही मेवाड़ के जो भी महाराणा हुए हैं, वह दीवान के रूप में मेवाड़ के शासक की भूमिका निभाते हैं.
कौन है एकलिंग नाथ
दरअसल, मेवाड़ के तत्कालीन महाराणा बप्पा रावल को एक ऋषि के कहने पर जमीन से मुखी शिवलिंग की प्राप्ति हुई थी. उस शिवलिंग की आराधना करते हुए मेवाड़ के शासक रहे बप्पा रावल ने भारत अफगानिस्तान तक अपना कब्जा किया था. इसके बाद मेवाड़ के शासकों ने कई लड़ाइयां लड़ी.
हमेशा से ही भगवान एकलिंग नाथ को राजा के रूप में पूजा और खुद को दीवान मानकर शासन किया. इसी वजह से मेवाड़ के राजाओं के नाम के आगे राजा महाराजा जैसी उपाधि नहीं लगी. उन्हें राणा या महाराणा के नाम से जाना जाने लगा मेवाड़ ही एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर इस तरीके की उपाधियां दी जाती थी.
मंदिर प्रवेश पर भी लगाई रोग
आजादी के बाद से ही सिटी पैलेस और एकलिंग जी मंदिर मेवाड़ चैरिटेबल ट्रस्ट के अंतर्गत आने लगा. उसी समय से ही ट्रस्टियों के द्वारा निर्णय किया जाता था कि क्या व्यवस्था रहने वाली है. मेवाड़ राज परिवार के दोनों भाइयों के बीच विवाद चल रहा है यह कोर्ट में भी निर्णय को लेकर प्रस्तावित है. इसी बीच विश्वराज सिंह को मेवाड़ के 77वें महाराणा की उपाधि प्रदान की गई. मेवाड़ चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से मंदिर और सिटी पैलेस दोनों में ही प्रवेश पर रोक का नोटिस जारी कर बंद कर दिया गया.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 12:13 IST