मौत को छूकर टक से वापस आया यह शख्स, 120 मिनट तक सिने पर बैठा रहा यमराज और...

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ओडिशा: क्या आप यकीन करेंगे कि किसी इंसान का दिल 2 घंटे तक धड़कना बंद कर दे और उसके बाद भी वह जिंदा बच जाए? हमारी तरह आपको भी यकीन नहीं होगा. मगर जो असंभव दिखे उसका संभव होना ही तो चमत्कार कहलाता है. जी हां, ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में यह चमत्कार हुआ है. एक शख्स मौत को छूकर टक से वापस आ गया. मगर यह सब संभव हो पाया है डॉक्टरों की वजह से. भुवनेश्वर एम्स में डॉक्टरों की एक टीम ने 24 वर्षीय शख्स की जान बचाकर मेडिकल चमत्कार कर दिखाया है. सख्स का दिल करीब 120 मिनट तक धड़कना बंद हो गया था. डॉक्टरों ने एडवांस्ड ईसीपीआर तकनीक का इस्तेमाल करके उसे नई जिंदगी दी.

भुवनेश्वर एम्स में मेडिकल चमत्कार से जिस शख्स की जान बची है, उसका नाम सुभकांत साहू है. वह नायगढ़ के ओडापल्ला गांव के रहने वाले हैं. सोमवार को अस्पताल प्रशासन ने इस मेडिकल चमत्कार की जानकारी दी. सुभकांत का दिल ब्लॉकेज की वजह से काम करना बंद कर दिया था. उनके परिवार ने उम्मीद लगभग छोड़ दी थी. सुभकांत को 30 सितंबर की रात अचानक कमजोरी महसूस हुई. उनके परिवार वालों ने जब उनकी धड़कन कम होते देखी तो उन्हें रणपुर के एक स्थानीय मेडिकल सेंटर ले गए. वहां के डॉक्टरों ने उन्हें तुरंत एम्स-भुवनेश्वर रेफर कर दिया.

कैसे हुआ यह चमत्कार
ओडिशा टीवी की खबर के मुताबिक, जब तक सुभकांत एम्स पहुंचे, तब तक कार्डियोजेनिक शॉक की वजह से उनका दिल काम करना बंद कर चुका था और उनका ब्लड प्रेशर काफी कम हो गया था. डॉक्टरों ने दवा के जरिए उनका ब्लड प्रेशर बढ़ाने की कोशिश की लेकिन उनकी धड़कन और कमजोर होती गई. इसके बाद अचानक सुभकांत को कार्डियक अरेस्ट आ गया. उनका दिल पूरी तरह से धड़कना बंद कर चुका था. इसके बाद मेडिकल टीम ने उन्हें सीपीआर देना शुरू किया. 40 मिनट तक सीपीआर देने के बाद भी जब उनकी धड़कन वापस नहीं आई तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित करने से पहले एक बार फिर उन्हें बचाने की चुनौती स्वीकार की. इसके बाद ईसीएमओ मशीन के जरिए दोबारा सीपीआर देने की कोशिश की गई.

डॉक्टर्स के आगे काल ने मानी हार
सच कहें तो डॉक्टर्स की उम्मीद कम होती जा रही थी, मगर उन्होंने हार नहीं मानी. डॉक्टर्स की मेहनत के आगे काल ने भी हार मान ली और करीब दो घंटे बाद सुभकांत की धड़कन धीरे-धीरे वापस आने लगी. ईसीएमओ सपोर्ट और लगातार सीपीआर देने से 36 घंटे के बाद उनकी धड़कन सामान्य हो गई और चार दिन बाद उनके दिल ने फिर से काम करना शुरू कर दिया. हालांकि तब तक उनके फेफड़े, किडनी और लीवर पर काफी असर पड़ चुका था. उन्हें पूरी तरह से स्वस्थ होने में लगभग डेढ़ महीने का समय लग गया.

ओडिशा के इतिहास में पहली बार यह चमत्कार
उनका इलाज कर रहे एम्कस के डॉक्टरों की मानें तो ओडिशा में ऐसा पहली बार हुआ है. सुभकांत अब स्वस्थ हैं और एक-दो दिन में उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिलने की उम्मीद है. सुभकांत की मां मीनाती साहू का कहना है कि उनके बेटे का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने उनसे भगवान और उन पर भरोसा रखने को कहा था. धीरे-धीरे उनके बेटे के दिल की धड़कन फिर से शुरू हो गई. वहीं, इलाज करने वाली टीम के डॉक्टर श्रीकांत बेहरा का कहना है कि उनके पास दो ही रास्ते थे, या तो मरीज को ‘मृत’ घोषित कर दिया जाए या फिर अपने पास मौजूद नई तकनीक (ईसीएमओ) का इस्तेमाल करके ई-सीपीआर करते रहा जाए. करीब दो घंटे बाद युवक के दिल की धड़कन धीरे-धीरे फिर से शुरू हो गई.

Tags: Aiims doctor, Aiims patients, Odisha news

FIRST PUBLISHED :

November 19, 2024, 12:37 IST

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