यूपी विधानसभा की भर्ती में हुई थी गड़बड़ी, चहेतों को मिली थी नौकरी, हाईकोर्ट ने माना हैरान करने वाला मामला
उत्तर प्रदेश विधानसभा.
लखनऊ: सब इस बिल्डिंग से परिचित ही होगी. प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत. यहीं से कानून बनता है. प्रदेश की सारी व्यवस्था पर नजर रखी जाती है. लिहाजा कुछ नेताओं और बड़े अफसरों ने अपने बेटे -बेटियों और रिश्तेदारों को यहां नौकरी पर रखवा लिया. हां, अभी ये आरोप है, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे भर्ती घोटाले जैसा कह दिया है.
मामला यह है कि 2020-21 में कोविड की पहली लहर के दौरान विधान सभा और विधान परिषद सचिवालय में 138 पदों की भर्ती निकाली गई. इसके लिए करीब ढाई लाख लोगों ने अप्लाई किया. हाईकोर्ट में दायर मामले के मुताबिक असेंबली और सीएम ऑफिस के अफसरों समेत कुछ नेताओं और अधिकारियों को लगा यहां वे जुगाड़ कर सकते हैं. फिर क्या था एक ऐसी एजेंसी को टेस्ट कराने का जिम्मा दिया गया, जो इन ताकतवर लोगों के इशारे पर काम कर सके. हालांकि उसे भी भर्तियों में हिस्सा देना पड़ा. बताया गया है कि ताकतवर लोगों के जिन 38 लोगों को नौकरियां दी गईं, उसमें टेस्ट कराने वाली फर्म के भी 5 रिश्तेदार भी शामिल हैं.
मामला उजागर तब हुआ जब इसमें सलेक्ट न हो पाने वाले तीन कंडिडेट्स ने पूरा मामला हाईकोर्ट के सामने रखते हुए न्याय की गुहार लगाई. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे हैरान करने वाला कांड बताया. साथ ही कहा कि ये तो भर्ती घोटाले से कम नहीं है. उसने सीबीआई जांच के आदेश भी दे दिए. इसके विरुद्ध असेंबली अफसर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सीबीआई जांच पर रोक लगा दी. मीडिया ने उस समय स्पीकर समेत तमाम नेताओं अधिकारियों से उनका वर्जन जानने की कोशिश की, तो कुछ ने कहा कि उनका इसमें कोई रोल नहीं है. जबकि कुछ ने तो पल्ला ही झाड़ लिया. उस वक्त हृदयनाथ सिंह स्पीकर थे. उनके पीआरओ के बेटे को भी नौकरी मिली बताई जा रही है. सीएम ऑफिस के बड़े अधिकारी को इसमें फायदा मिला. यानि नौकरियों की इस बंदरबाट में स्पीकर का दफ्तर, सीएम का दफ्तर, उपलोकायुक्त, मंत्री, अफसर विधायक और टेस्ट लेने वाली एजेंसी सभी को फायदा मिला.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 11:49 IST