Agency:NEWS18DELHI
Last Updated:January 23, 2025, 10:28 IST
Delhi: एक समय था जब यूपीएससी परीक्षा में बिहार राज्य के कैंडिडेट्स का दबदबा रहता था लेकिन समय के साथ चीजें बदली हैं. अब इस राज्य के कैंडिडेट परीक्षा में सफल हो रहे हैं. एक्सपर्ट से जानते हैं इसके पीछे के संभावि...और पढ़ें
संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी में हमेशा से ही बिहार का दबदबा रहा है
दिल्ली. संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी में हमेशा से ही बिहार का दबदबा रहा है. जब भी बात आती है यूपीएससी या आईएएस अधिकारी बनने के लिए सलाह लेने की, तो लोगों की जुबान पर बिहार का ही नाम आता है. लेकिन अब यह ट्रेंड बदल रहा है. अब यूपीएससी क्रैक करने में उत्तर प्रदेश राज्य टॉप पर है. आखिर हमेशा से बिहार या उत्तर प्रदेश का ही दबदबा यूपीएससी में क्यों देखने को मिलता है, इसके पीछे क्या कारण हैं?
ये जानने के लिए हमने दिल्ली के मुखर्जी नगर में श्री राम आईएएस नाम से मशहूर कोचिंग चला रहे संजय सिन्हा से बात की. संजय खुद बिहार से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने बताया कि पहले यूपीएससी में सिर्फ बिहार का ही दबदबा था, लेकिन अब ट्रेंड तेजी से बदल गया है.
ये राज्य आया पहले नंबर पर!
अब बिहार दूसरे नंबर पर आ गया है जबकि उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है. इसके अलावा पंजाब और हरियाणा भी यूपीएससी में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि महानगर जैसे मुंबई और दिल्ली समेत दूसरे शहर यूपीएससी की दौड़ में कभी रहे ही नहीं. महानगर से जो भी स्टूडेंट यूपीएससी क्रैक करके अधिकारी बन रहा है, वह भी मूल रूप से यूपी-बिहार का ही होता है. बस फर्क इतना होता है कि वे इन महानगरों में बस गए होते हैं.
पैसों से ज्यादा पद-प्रतिष्ठा में होती है दिलचस्पी
संजय सिन्हा ने बताया कि उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग कभी भी पैसों के पीछे नहीं भागते. इनमें पैसों से ज्यादा रुतबा, पद, प्रतिष्ठा और हुकूमत वाली सोच होती है. ये इस सोच के हिसाब से चलते हैं, क्योंकि यूपी-बिहार में सामंतवादी व्यवस्था हमेशा से ही ज्यादा हावी रही है. यहां की राजनीति हो या फिर राजनेता, पूरी दुनिया भर में नाम कमाते हैं.
यूपी-बिहार के लोग बेहद मेहनती होते हैं. ये रुतबा, पद, प्रतिष्ठा और हुकूमत की सोच लेकर चलने की वजह से किसी और रास्ते पर न जाकर यूपीएससी क्रैक करके अधिकारी बनते हैं. इसके बाद उन्हें राज्य के अलग-अलग हिस्सों में जिलाधिकारी समेत तमाम पदों पर बैठने का मौका मिलता है.
इस वजह से हैं महानगर पीछे
संजय सिन्हा ने बताया कि महानगर जैसे दिल्ली, मुंबई, इंदौर, मध्य प्रदेश और गुड़गांव समेत देश के दूसरे महानगरों से यूपीएससी में टॉपर्स नहीं होते या कम होते हैं. इसकी वजह यह है कि महानगरों के लोग अपना माइंडसेट बिजनेस वाला रखते हैं. उनके माता-पिता का बिजनेस होता है, तो वे माता-पिता के बाद उनके बिजनेस को ही संभालना ज्यादा जरूरी समझते हैं, न कि सरकारी नौकरी या यूपीएससी की ओर ध्यान देते हैं.
महानगरों के लोगों की सोच लग्जरी जीवन पर ज्यादा होती है. महानगरों के लोग पैसों के पीछे भागते हैं, पावर के पीछे नहीं. यही वजह है कि यूपीएससी में महानगर हमेशा से ही पीछे रहे हैं. हालांकि ये बात पूरी तरह से किसी शहर पर लागू नहीं होती पर ज्यादातर केसेस में यही देखने को मिलता है.
Location :
West Delhi,Delhi
First Published :
January 23, 2025, 10:28 IST