सरसो की खेती
भरत चौबे/सीतामढ़ी: यदि आप रबी फसल उगाने वाले किसान हैं और कम मेहनत में अच्छी पैदावार के साथ मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए उपयोगी साबित हो सकती है. सरसों की खेती में हाइड्रोजेल तकनीक का उपयोग करके आप सिंचाई की समस्याओं से बच सकते हैं और बेहतर उत्पादन हासिल कर सकते हैं.
हाइड्रोजेल: नई सिंचाई तकनीक का परिचय
हाइड्रोजेल एक दानेदार कैप्सूल के रूप में उपलब्ध कृषि इनपुट है. इसे सरसों की बुवाई के समय मिट्टी में डाला जाता है. यह सामग्री मिट्टी में घुले बिना पानी को सोखकर अपने अंदर जमा करती है और जरूरत के समय धीरे-धीरे पौधों की जड़ों में पानी छोड़ती है.
– पानी सोखने की क्षमता: हाइड्रोजेल अपने वजन का 350 गुना पानी सोख सकता है.
– पानी की कमी से बचाव: मिट्टी में नमी की कमी होने पर हाइड्रोजेल पानी छोड़ता है, जिससे पौधे सूखे से बचते हैं.
– लागत-प्रभावी समाधान: यह तकनीक विशेष रूप से उन इलाकों में उपयोगी है जहां सिंचाई की सुविधा सीमित है.
हाइड्रोजेल क्यों है फायदेमंद?
कृषि वैज्ञानिक डॉ. सचिदानंद प्रसाद के अनुसार, सरसों की खेती अक्सर उन क्षेत्रों में होती है जहां पानी की कमी की समस्या आम है.
– सूखे से बचाव: अचानक मौसम में गर्मी बढ़ने या पानी की कमी होने पर सरसों की वृद्धि और पैदावार में 17 से 94 प्रतिशत तक की गिरावट हो सकती है.
– उत्पादन में वृद्धि: हाइड्रोजेल पौधों को समय पर पानी उपलब्ध कराता है, जिससे उनकी वृद्धि में सुधार होता है.
– देखरेख की कम आवश्यकता: हाइड्रोजेल को एक बार खेत में डालने के बाद अलग से देखरेख की जरूरत नहीं होती.
कैसे करें हाइड्रोजेल का इस्तेमाल?
1. खरीद: हाइड्रोजेल बाजार में आसानी से उपलब्ध है.
2. मात्रा:
– बारानी क्षेत्रों में (जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है): प्रति हेक्टेयर 5 किलो.
– सामान्य सिंचाई वाली स्थिति में: प्रति हेक्टेयर 2.5 किलो.
3. समय: सरसों की बुवाई के दौरान इसे मिट्टी में मिलाएं.
कम लागत, ज्यादा फायदा
हाइड्रोजेल तकनीक का उपयोग करने से किसानों को सिंचाई की चिंता से राहत मिलती है. यह तकनीक पौधों को उनकी जरूरत के अनुसार पानी देती है, जिससे सरसों के दाने बेहतर तरीके से परिपक्व होते हैं.
कृषि के क्षेत्र में नवाचार का एक और कदम
हाइड्रोजेल तकनीक, विशेष रूप से पानी की कमी वाले क्षेत्रों में, रबी फसलों के उत्पादन को बेहतर बनाने का एक बेहतरीन उपाय है. यह न केवल किसानों की मेहनत को कम करता है, बल्कि उत्पादन लागत को भी नियंत्रित रखता है. यदि आप भी सरसों की खेती करते हैं, तो हाइड्रोजेल तकनीक अपनाकर कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 17:25 IST