Last Updated:February 04, 2025, 07:21 IST
Ram Mandir Trust News: दिल्ली हाईकोर्ट ने CIC को निर्देश दिया है कि वह राम मंदिर ट्रस्ट को 'सार्वजनिक प्राधिकरण' मानने का निर्णय ले. RTI आवेदक नीरज शर्मा की याचिका पर यह आदेश पारित हुआ.
नई दिल्ली: राम मंदिर ट्रस्ट पब्लिक अथॉरिटी है या नहीं? हाईकोर्ट ने सेंट्रल इनफॉर्मेशन कमिशन को इसका निर्धारण करने को कहा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने सीआईसी यानी केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) को यह तय करने का निर्देश दिया है कि क्या अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और प्रबंधन के लिए गठित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट एक पब्लिक अथॉरिटी यानी सार्वजनिक प्राधिकरण है. अगर ऐसा है तो यह राम मंदिर ट्रस्ट सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत नागरिकों को जानकारी देने के लिए बाध्य होगा.
राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 में फैसला दिया था. इसके बाद अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हुए 5 फरवरी 2020 को केंद्र की ओर से राम मंदिर ट्रस्ट का गठन किया गया था. इस ट्रस्ट में 15 सदस्य शामिल हैं. इनमें सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील के. पारासरन, जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर, स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज शामिल हैं और नृपेंद्र मिश्रा इसके प्रमुख हैं.
टीओआई की खबर के मुताबिक, आरटीआई आवेदक नीरज शर्मा की याचिका का निपटारा करते हुए जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने यह आदेश पारित किया है. नीरज शर्मा ने आरटीआई कानून के तहत आवेदन कर मंदिर ट्रस्ट के लिए नियुक्त केंद्रीय लोक सूचना अधिकारियों (सीपीआईओ) और प्रथम अपीलीय प्राधिकरण के नाम मांगे थे. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह कहते हुए उनके आवेदन को ठुकरा दिया था कि राम मंदिर ट्रस्ट एक स्वायत्त संगठन है और पब्लिक अथॉरिटी यानी सार्वजनिक प्राधिकरण के दायरे में नहीं आता है.
सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 4 ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ की परिभाषा के दायरे में आने वाले प्राधिकरणों को अनिवार्य रूप से संबंधित जानकारी का खुलासा करने, कानून के तहत आवेदनों को सुविधाजनक बनाने के लिए अपने दस्तावेजों और अभिलेखों को बनाए रखने का आदेश देती है.
20 दिसंबर को हुई थी सुनवाई
अदालत ने पिछले साल 20 दिसंबर को पारित अपने आदेश में कहा था, ‘याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण और प्रतिवादियों के लिए ASG चेतन शर्मा की दलीलें सुनने के बाद यह बात सामने आई है कि CIC ने इस मामले में उठाए गए सवाल पर कोई फैसला नहीं सुनाया है कि क्या विचाराधीन ट्रस्ट को सार्वजनिक प्राधिकरण माना जा सकता है या नहीं. इन परिस्थितियों में इस अदालत की राय है कि इस सवाल पर पहले CIC के समक्ष विचार-विमर्श किया जाना चाहिए.’
क्या था मामला
हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर को याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि वह अपने कारणों का संकेत देते हुए एक विस्तृत आदेश पारित करेगा. विस्तृत आदेश हाल ही में हाईकोर्ट के पोर्टल पर अपलोड किया गया था. नीरज शर्मा ने 19 जनवरी 2021 को गृह मंत्रालय (MHA) के लोक सूचना अधिकारी (PIO) के पास एक आरटीआई आवेदन दायर कर राम मंदिर ट्रस्ट के लिए नियुक्त CPIO और प्रथम अपीलीय प्राधिकरण के नाम मांगे थे.
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First Published :
February 04, 2025, 07:21 IST