रुपये के गिरने से लेकर GST तक, वित्त मंत्री ने संसद में दिए कई सवालों के जवाब

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Last Updated:February 11, 2025, 19:35 IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में रुपये की कमजोरी, जीएसटी के महत्व और बजट की चुनौतियों पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि जीएसटी से अप्रत्यक्ष कर दरें 15.8% से घटकर 11.3% हो गई हैं. वैश्विक अनिश्चितताओं के क...और पढ़ें

रुपये के गिरने से लेकर GST तक, वित्त मंत्री ने संसद में दिए कई सवालों के जवाब

वित्त मंत्री आज बजट डिबेट में सवालों का जवाब दे रही थीं.

हाइलाइट्स

  • रुपये की कमजोरी पर वैश्विक और घरेलू कारकों का प्रभाव.
  • जीएसटी से अप्रत्यक्ष कर दरें 15.8% से घटकर 11.3% हुईं.
  • बजट बनाना वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण चुनौतीपूर्ण.

नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में रुपये की कमजोरी से लेकर जीएसटी के महत्व सरीके कई सवालों का जवाब दिया. रुपये की कमजोरी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू पर कई वैश्विक और घरेलू कारक प्रभाव डाल रहे हैं. अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच भारतीय रुपया 3.3% कमजोर हुआ है, लेकिन यह गिरावट कुछ अन्य एशियाई मुद्राओं की तुलना में कम रही है.

इस दौरान दक्षिण कोरियाई वॉन 8.1% और इंडोनेशियाई रुपिया 6.9% तक गिर चुका है. वहीं, सभी G-10 मुद्राओं में भी 6% से अधिक की गिरावट देखी गई, जिसमें यूरो 6.7% और ब्रिटिश पाउंड 7.2% कमजोर हुआ.

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अप्रत्यक्ष कर हुआ कम
उन्होंने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को लेकर कहा कि इसके लागू होने के बाद अप्रत्यक्ष करों (indirect taxes) में काफी कमी आई है. बकौल वित्त मंत्री, पुरानी कर प्रणाली के तहत औसत अप्रत्यक्ष कर दर 15.8% थी, जो अब घटकर 11.3% हो गई है. तृणमूल कांग्रेस (AITC) के सांसद नदीमुल हक के एक सवाल का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि GST लागू होने के बाद से कर की दरों में लगातार गिरावट देखी गई है. उन्होंने कहा, “पहले रोजमर्रा की चीजों पर 15.8% कर लगता था, लेकिन अब यह घटकर 11.3% हो गया है. GST काउंसिल द्वारा लगातार दरों में कटौती की जा रही है.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि GST से किसी भी वस्तु पर कर भार नहीं बढ़ा, बल्कि कई उत्पादों पर टैक्स दरें घटी हैं.

बजट बनाना पहले से ज्यादा चुनौतीपूर्ण
सीतारमण ने कहा, “पिछले 10 वर्षों में वैश्विक स्थिति पूरी तरह बदल गई है, जिससे बजट बनाना पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है. सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष (2025-26) के लिए उधार ली गई राशि का 99% पूंजीगत व्यय (capital expenditure) के लिए इस्तेमाल करने का फैसला किया है.”

उन्होंने बताया कि 2025-26 के लिए विभिन्न क्षेत्रों में बजट आवंटन इस प्रकार है:

कृषि क्षेत्र को ₹1.71 लाख करोड़
ग्रामीण विकास को ₹2.67 लाख करोड़
शहरी विकास और परिवहन को ₹6.45 लाख करोड़
स्वास्थ्य और शिक्षा को ₹2.27 लाख करोड़
रक्षा क्षेत्र (पेंशन छोड़कर) को ₹4.92 लाख करोड़

वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच आया बजट
वित्त मंत्री ने कहा कि मौजूदा वैश्विक माहौल में कई चुनौतियां हैं, जिनका असर भारत के बजट पर भी पड़ रहा है. उन्होंने कहा, “मध्य पूर्व में जारी संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध, वैश्विक GDP में ठहराव और उभरते बाजारों में लगातार बनी हुई महंगाई जैसे मुद्दों ने आर्थिक माहौल को अस्थिर कर दिया है. जहां मुक्त व्यापार को बढ़ावा मिलना चाहिए, वहां हमें प्रतिबंध देखने को मिल रहे हैं. जहां वैश्वीकरण की जरूरत है, वहां विघटन की स्थिति बन रही है. जहां वित्तीय अनुशासन आवश्यक है, वहां कर्ज बढ़ता जा रहा है.”

सीतारमण ने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों ने बजट तैयार करने की प्रक्रिया को और अधिक जटिल बना दिया है. सीतारमण के मुताबिक, “यह बजट ऐसे समय में पेश किया गया है, जब अनिश्चितताओं का माहौल बना हुआ है. बदलते वैश्विक मैक्रोइकोनॉमिक हालात इसे और चुनौतीपूर्ण बना रहे हैं. हमें उन वैश्विक मुद्दों को भी ध्यान में रखना पड़ा है, जिनका असर हमारी अर्थव्यवस्था और बजट निर्माण पर पड़ रहा है.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

February 11, 2025, 19:35 IST

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