रेंट रिसिप्‍ट की होने लगी ढंग से जांच, टैक्‍स बचाने का टूट सकता है आपका सपना

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Last Updated:February 02, 2025, 13:34 IST

Old Tax regim- फर्जी दान और निवेश दावों से टैक्‍स कटौती हासिल करने की कोशिश करने वाले 90 हजार आयकरदाताओं को दिसंबर 2024 तक ही आयकर विभाग ने धर लिया.

रेंट रिसिप्‍ट की होने लगी ढंग से जांच, टैक्‍स बचाने का टूट सकता है आपका सपना

नौकरीपेशा लोगों को हाउस रेंट अलाउंस (HRA) मिलता है.

नई दिल्ली. वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में नई टैक्‍स रीजीम में 12 लाख तक की कमाई टैक्‍स फ्री करके इसे और आकर्षित बना दिया है. बजट में ओल्‍ड टैक्‍स रीजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया है. आयकरदाता ओल्‍ड और न्‍यू, दोनों में से किसी एक कर व्‍यवस्‍था को अपनाकर आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं. पुरानी कर व्‍यवस्‍था में टैक्‍स कटौतियों का लाभ मिलता है, जबकि नई टैक्‍स रीजीम में यह सुविधा नहीं मिलती. आज भी आज भी 30 फीसदी से ज्‍यादा आयकरदाता पुरानी कर व्‍यवस्‍था अपनाकर आईटीआर भरते हैं. टैक्‍स छूट हासिल करने को उन्‍हें निवेश के सबूत देने होते हैं. हाउस रेंट अलाउंस (HRA Exemption) छूट हासिल करने के लिए रेंट रिसीप्‍ट भी लगाने होती है. टैक्‍स बचाने को फर्जी किराया रसीदें भी खूब लगाई जाती हैं. इसका कारण यह है कि बहुत से टैक्‍सपेयर किराए पर नहीं रहते, लेकिन टैक्‍स बचाने को वे एचआरए छूट का दावा करते हैं.

अब अवैध तरीके अपनाकर टैक्‍स बचाने की जुगत भिड़ा रहे लोगों पर आयकर विभाग की नजर टेढी हो गई है. फर्जी दान और निवेश दावों से टैक्‍स कटौती हासिल करने की कोशिश करने वाले 90 हजार आयकरदाताओं को दिसंबर 2024 तक ही आयकर विभाग ने धर लिया. आयकर अधिनियम की धारा 80C (निवेश पर छूट), 80D (स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम), 80E (शिक्षा ऋण), 80G (चैरिटी दान) और 80GGB व 80GGC (राजनीतिक दलों और चुनावी ट्रस्ट को दान) जैसे प्रावधानों का दुरुपयोग किया गया. जानकारों का कहना है कि अगर आयकर विभाग ढंग से जांच करे तो रेंट रिसिप्‍ट से टैक्‍स बचाने का कईयों का सपना चकनाचूर हो सकता है.

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जांच में आया घपला सामने
आयकर विभाग की जांच में यह भी पाया गया कि कई लोग एजुकेशन लोन पर ब्याज भुगतान का दावा कर रहे थे, जबकि कोई ऋण लिया ही नहीं था. इसी तरह, कुछ व्यक्तियों ने हाउस रेंट अलाउंस (HRA) का फर्जी दावा किया, जबकि उन्होंने कोई संपत्ति किराए पर नहीं ली थी. इसके अलावा, चैरिटी दान के फर्जी दावे और टैक्स फ्री निवेश से संबंधित कई उल्लंघन सामने आए हैं.

विभाग ले रहा है एआई की मदद
इनकम टैक्स विभाग अब फर्जी रसीदों के जरिए टैक्स में छूट लेने वालों पर शिकंजा कसने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल का सहारा ले रहा है. इस तकनीक की मदद से टैक्स रिटर्न फॉर्म में दी गई जानकारी को पैन कार्ड से जुड़े ट्रांजेक्शन्स के साथ मिलान किया किया जाता है. अगर कोई व्यक्ति 1 लाख रुपये से अधिक किराए की रसीद लगाकर छूट का दावा करता है, तो विभाग मकान मालिक का पैन कार्ड नंबर भी अनिवार्य रूप से मांगेगा. इसके बाद AI के माध्यम से यह जांचा जाएगा कि किराएदार ने जो रकम रसीद में दिखाई है, वह मकान मालिक के पैन कार्ड पर भी इनकम के रूप में दर्ज हो रही है या नहीं.

क्‍या है एचआरए?
नौकरीपेशा लोगों को हाउस रेंट अलाउंस (HRA) मिलता है. यह अधिकांश कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर का एक पार्ट होता है. अगर आप किराये घर में रहते हैं तो एचआरए पर टैक्स में छूट का लाभ ले सकते हैं. कुछ शर्तों के साथ एचआरए पर इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 10 (13ए) के तहत छूट मिलती है. नौकरीपेशा व्यक्ति के टैक्सेबल आय की गणना एचआरए को घटाकर की जाती है. अगर कोई कर्मचारी अपने घर में रह रहा है और किसी घर के लिए किराया नहीं देता है तो एचआरए पूरी तरह से टैक्‍स के दायरे में आ जाता है.

कोई वेतनभोगी व्‍यक्ति मकान के किराए के रुप में जितने पैसे चुकाता है, उस पर एचआरए टैक्‍स छूट का लाभ ले सकता है. एचआरए छूट की गणना कई तथ्‍यों पर निर्भर करती है. यह छूट एचआरए के रूप में मिली रकम, मेट्रो सिटी में किराए के मकान में रहने पर वेतन (बेसिक सैलरी +डीए) का 50 फीसदी और गैर मेट्रो शहरों के लिए 40 फीसदी सालाना सैलरी (बेसिक सैलरी+डीए) से 10 फीसदी से ज्‍यादा चुकाई गई रकम पर ली जा सकती है.

फर्जी क्‍लेम पर जुर्माना 
आयकरदाता द्वारा अपनी आय की गलत रिपोर्टिंग करने पर उसके खिलाफ आयकर अधिनियम की धारा 270ए के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है. पास गलत रिपोर्ट की गई आय पर लागू कर का 200 प्रतिशत तक जुर्माना भरना पड़ सकता है. आय की गलत रिपोर्टिंग में तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करना या छिपाना, दस्तावेजी साक्ष्य द्वारा समर्थित न होने वाले व्यय का दावा करना, अकाउंट बुक में किसी भी गलत इंट्री को दर्ज करना आदि शामिल है.

आयकर अधिकारी को अगर लगे की किराया रसीदें फर्जी है तो वह इनको ठुकराकर आयकरदाता की आय की गणना फिर से कर सकता है. साथ ही वह नोटिस भेजकर स्‍पष्‍टीकरण मांग सकता है. आयकर अधिनियम की धारा 271एडी के अनुसार, जाली या झूठे दस्तावेजों या दस्तावेजी सबूतों को तोड़-मरोड़कर पेश करना गलत एंट्री माना जाता है और ऐसा करने पर 10,000 रुपये का जुर्माना या कर चोरी के आरोप में दंड लगाया जा सकता है.

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New Delhi,New Delhi,Delhi

First Published :

February 02, 2025, 13:34 IST

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