लोहाघाट की कड़ाही पहचानने के 2 आसान तरीके, ठगने से बच जाएंगे

2 hours ago 1

Agency:News18 Uttarakhand

Last Updated:February 03, 2025, 19:17 IST

Lohaghat Karahi: लोहाघाट में लोहे की कड़ाही सदियों से बनाई जा रही है. लोहे की कड़ाही बनाना वहां का पैतृक कार्य है. यहां रहने वाले टम्टा और विश्वकर्मा परिवार इस काम को करते हैं. उनकी कई पीढ़ी लोहे के काम से जुड़ी ...और पढ़ें

X

लोहाघाट

लोहाघाट की कड़ाही उत्तराखंड में मशहूर है.

बागेश्वर. उत्तराखंड के कुमाऊं में लोहाघाट की कड़ाही (Lohaghat Karahi) काफी मशहूर है. यहां की कड़ाही को क्वालिटी में सबसे बेस्ट माना जाता है. खासतौर पर यहां लोहे की कड़ाही बनती है लेकिन आजकल इसी की तरह सेम कड़ाही नैनीताल जिले के रामनगर में भी बनाई जा रही हैं, जिन्हें बाजार में लोहाघाट की कड़ाही के नाम से बेचा जा रहा है. बागेश्वर के स्थानीय जानकार किशन मलड़ा ने लोकल 18 को बताया कि रामनगर में बनी लोहे की कड़ाही और लोहाघाट में हाथ से बनी कड़ाही में जमीन आसमान का फर्क है.

उन्होंने कहा कि लोहाघाट की कड़ाही क्वालिटी में बेस्ट होती है जबकि रामनगर में मशीन से बनी कड़ाही क्वालिटी में हल्की है. इसी खास फर्क को आप भी आसानी से पहचान सकते हैं. इसके लिए आपको दो तरीके अपनाने होंगे. पहला- रामनगर में बनी लोहे की कड़ाही जल्दी गर्म और ठंडी हो जाती है. वहीं लोहाघाट में हाथ से बनी कड़ाही गर्म और ठंडा होने में समय लेती है. दूसरा रामनगर की कड़ाही दिखने में बेहद ही आकर्षक और अच्छी फिनिशिंग वाली होती है क्योंकि इसमें मशीन का काम होता है, जबकि लोहाघाट की कड़ाही में अच्छी फिनिशिंग नहीं होती है क्योंकि इसे लोहे की चादर को हथौड़े से पीटकर बनाया जाता है. साथ ही रामनगर की कड़ाही वजन में हल्की होती है, वहीं लोहाघाट की लोहे की कड़ाही वजन में भारी होती है. इसमें हाथ से बने होने की वजह से हथौड़े की चोट के निशान साफ दिखते हैं. यह दिखने में आकर्षक होने के बजाय सामान्य दिखेंगी, इसलिए आप इन दोनों जगहों में बनी कड़ाही को देखकर वजन और डिजाइन से हिसाब से पहचान सकते हैं. ऐसा करने से आप बिना क्वालिटी वाली कड़ाही घर लाने से बच जाएंगे.

लोहाघाट की कड़ाही की खासियत
लोहाघाट में लोहे की कड़ाही पौराणिक काल से ही बनाई जाती है. लोहे की कड़ाही बनाना वहां का पैतृक कार्य रहा है. लोहाघाट में रहने वाले टम्टा और विश्वकर्मा लोग लोहे की मजबूत कड़ाही बनाते हैं. इन कड़ाहियों को हाथ से तैयार किया जाता है, इसलिए यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होती हैं क्योंकि इन्हें बनाने में किसी भी प्रकार का केमिकल यूज नहीं होता है. लोहाघाट की कड़ाही की कुमाऊं भर में खूब डिमांड रहती है. साथ ही अन्य राज्यों के लोग भी इन्हें खूब पसंद करते हैं. बागेश्वर में लोहाघाट की कड़ाही 300 रुपये से लेकर 20,000 रुपये तक बिकती है.

Location :

Bageshwar,Uttarakhand

First Published :

February 03, 2025, 19:17 IST

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article