भारतीय शेयर बाजार (Indian Share Market) में जिस तरह की बिकवाली विदेशी निवेशक कर रहे हैं, उससे तो यही लग रहा है कि वे बाजार से बोरिया-बिस्तर बांध कर ही निकलेंगे! ऐसा जनवरी में अभी तक के बिकवाली से लग रहा है। विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक 64,156 करोड़ रुपये निकाले हैं। अब सवाल उठता है कि विदेशी निवेशक क्यों लगातार पैसा निकाल रहे हैं। अगर आपकी वजह ढूंढ रहे हैं तो हम बताते हैं। दरअसल, डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में बड़ी गिरावट, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों के चलते ऐसा हो रहा है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने दिसंबर में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
रुपये में लगातार गिरावट से दबाव में विदेशी निवेशक
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स इंडिया के संयुक्त निदेशक-शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय रुपये में लगातार गिरावट से विदेशी निवेशकों पर काफी दबाव है, जिससे वे भारतीय इक्विटी बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा हाल ही में हुई गिरावट, अपेक्षाकृत कमतर तिमाही नतीजों और व्यापक आर्थिक प्रतिकूलताओं के बावजूद भारतीय शेयर बाजारों का उच्च मूल्यांकन निवेशकों को सावधान कर रहा है। इसके अलावा, डोनाल्ड ट्रंप की अप्रत्याशित नीतियों ने भी निवेशकों को सावधानी से कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है। ऐसे में निवेशक जोखिम भरे निवेश के रास्ते से दूर रहने के लिए मजबूर हैं। आंकड़ों के अनुसार एफपीआई ने इस महीने (24 जनवरी तक) अब तक भारतीय इक्विटी से 64,156 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।
दो जनवरी को छोड़कर लगातार बिकवाली
एफपीआई ने इस महीने दो जनवरी को छोड़कर सभी दिनों में बिकवाली की। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि डॉलर की लगातार मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि एफआईआई की बिक्री को बढ़ावा देने वाले मुख्य कारक रहे हैं। जब तक डॉलर सूचकांक 108 से ऊपर रहेगा और 10 साल के अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल 4.5 प्रतिशत से ऊपर रहेगा, तब तक बिक्री जारी रहने का अनुमान है।'' वित्तीय क्षेत्र को खासतौर से एफपीआई की बिकवाली का नुकसान उठाना पड़ रहा है। दूसरी ओर, आईटी क्षेत्र में कुछ खरीदारी देखी गई।