सदा के लिए मौन हो गई राम मंदिर की बुलंद आवाज, कामेश्वर चौपाल की अंतिम यात्रा

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Agency:News18 Bihar

Last Updated:February 08, 2025, 14:18 IST

Supaul News: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल का अंतिम संस्कार संपन्न हो गया. पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव सुपौल जिले के ...और पढ़ें

सदा के लिए मौन हो गई राम मंदिर की बुलंद आवाज, कामेश्वर चौपाल की अंतिम यात्रा

दिवंगत कामेश्वर चौपाल को श्रद्धांजलि देते हुए बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल.

हाइलाइट्स

  • पंचतत्व में विलीन हुए राम मंदिर आंदोलन के एक नायक कामेश्वर चौपाल.
  • पैतृक गांव में बेटे ने दी मुखाग्नि; बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष समेत कई मंत्री पहुंचे.

सुपौल. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और राम मंदिर आंदोलन के प्रथम कार सेवक कामेश्वर चौपाल का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव सुपौल जिले के मरौना प्रखंड के कममरेल में किया गया. इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल, नीरज बबलू, और नीतीश मिश्रा समेत कई प्रमुख नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. लंबे समय से बीमार रहने के कारण दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली थी.

जीवन परिचय और शिक्षा-कामेश्वर चौपाल का जन्म सुपौल जिले के कममरेल गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूलों से प्राप्त की. बाद में जेएन कॉलेज, मधुबनी से स्नातक किया और मिथिला विश्वविद्यालय से 1995 में एमए की डिग्री हासिल की. अपनी शिक्षा के दौरान ही वे सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलनों से जुड़ गए.

विश्व हिंदू परिषद और राम मंदिर आंदोलन में योगदान
1982 में कामेश्वर चौपाल ने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की सदस्यता ग्रहण की. 1989 में उन्हें विहिप का राज्य प्रभारी बनाया गया. इसी वर्ष, 9 नवंबर को, उन्होंने अयोध्या में रामलला मंदिर की आधारशिला रखी. यह ऐतिहासिक क्षण केवल एक धार्मिक आंदोलन नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और दलित सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया. संघ ने उन्हें प्रथम कार सेवक का दर्जा दिया. उनकी भूमिका ने उन्हें राम मंदिर आंदोलन का अमर नायक बना दिया.

कामेश्वर चौपाल का राजनीतिक सफर
कामेश्वर चौपाल ने 1991 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ली और सक्रिय राजनीति में कदम रखा था. वर्ष 1991 में उन्होंने रोसड़ा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. 1995 में वे बेगूसराय विधानसभा सीट से मैदान में उतरे, परंतु उन्हें सफलता नहीं मिली. 2002 से 2014 तक वे बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे और भाजपा के महत्वपूर्ण नेता के रूप में पहचाने गए. साल 2014 में उन्होंने सुपौल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2020 के विधानसभा चुनावों के दौरान उनका नाम उप-मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवारों में भी शामिल था.

सामाजिक और राजनीतिक विरासत
कामेश्वर चौपाल का जीवन संघर्ष और सेवा का आदर्श रहा. उन्होंने सामाजिक असमानताओं के खिलाफ आवाज उठाई और धर्म व राजनीति के बीच समरसता का मार्ग दिखाया. उनका योगदान केवल राम मंदिर आंदोलन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने सामाजिक उत्थान और दलित समुदाय के सशक्तिकरण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. उनके निधन से बिहार और देश ने एक प्रेरणादायक नेता खो दिया. उनका जीवन और विचार आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे.

First Published :

February 08, 2025, 14:18 IST

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