हाइलाइट्स
कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने जेएमएम को माना बड़ा भाई. दिल्ली में हेमंत सोरेन और कांग्रेस आलाकमान की हुई थी मुलाकात. केशव महतो कमलेश ने कहा बड़े भाई की भूमिका में रहेगा झामुमो. अगली गठबंधन की बैठक के बाद तय होगा सीट शेयरिंग का फार्मूला.
रांची. हरियाणा चुनाव के नतीजे क्या आए लगता है कांग्रेस पार्टी भीतर से हिल गई है. इसके साइड इफेक्ट झारखंड में भी दिखने लगे हैं, क्योंकि कांग्रेस पार्टी के सुर बदलते दिख रहे हैं. दरअसल, जो कांग्रेस पार्टी झारखंड में बड़े भाई की भूमिका के लिए फील्डिंग कर रही थी उसने अब खुले तौर पर यह घोषणा कर दी है कि वह झारखंड में छोटा भाई बनकर ही रहेगी. झारखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो ने साफ तौर पर कहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ही बड़े भाई की भूमिका में रहेगा. उन्होंने यह भी बताया कि अगली गठबंधन की बैठक के बाद सीट शेयरिंग का फार्मूला भी तय हो जाएगा. बता दें कि इसी महीने राहुल गांधी का दौरा झारखंड में हो सकता है और उससे पहले कांग्रेस के तेवर में यह बदलाव आगामी सियासत के लिए एक बड़ा संकेत है.
दरअसल, हाल के दिनों में कांग्रेस के नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया था कि झारखंड में कांग्रेस पिछली बार की तुलना में कुछ अधिक सीटें चाहती है. संकेत यह थे कि कांग्रेस झारखंड में बड़े भाई की भूमिका में भी आना चाहती थी. हालांकि, झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया तो सामने नहीं आई थी, लेकिन कांग्रेस के तेवर हरियाणा चुनाव से पहले निश्चित तौर पर एक अलग कहानी बता रही थी. लेकिन, अब जब कर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार हो गई है और वहां भारतीय जनता पार्टी को जबरदस्त जीत मिली है, तो झारखंड में इसका असर साफ तौर पर दिख रहा है. आज तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने ही इस बात का ऐलान कर दिया है कि जेएमएम ही झारखंड में बड़े भाई की भूमिका में होगी.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने खुला ऐलान किया
बता दें कि आज जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश दिल्ली से रांची एयरपोर्ट पहुंचे तो कार्यकर्ताओं के स्वागत के बाद उन्होंने मीडिया से बात की. इस क्रम में उन्होंने कहा कि दिल्ली में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस के आलाकमान के बीच मुलाकात हुई थी और इसमें सीट शेयरिंग की चर्चा भी हुई थी. यहां मीडिया के सवाल पर केशव महतो कमलेश ने साफ तौर पर कह दिया कि झारखंड में हेमंत सोरेन की अगवाई में ही कांग्रेस चुनाव लड़ेगी और झारखंड मुक्ति मोर्चा बड़े भाई की भूमिका में रहेगा.
झारखंड कांग्रेस की थी अधिक सीटों की चाहत
बता दें कि इस बार कांग्रेस अधिक सीटों की दावेदारी के साथ आगे आई थी. दरअसल, पिछली बार 31 सीटों पर कांग्रेस लड़ी थी. 43 पर जेएमएम और 7 पर आरजेडी ने उम्मीदवार उतारे थे. इस बार कांग्रेस का तर्क है पिछली बार की 31 के अलावा उनके साथ दो विधायक और आए हैं. जेवीएम छोड़कर प्रदीप यादव और बंधु तिर्की आए थे. वहीं बीजेपी के सचेतक जेपी पटेल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस में आ गए. ऐसे में कांग्रेस अधिक सीटों की चाहत रखती है. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने रांची में पार्टी के संवाद कार्यक्रम में 35 -40 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह दी थी.
गुलाम अहमद मीर ने दिया था बड़ा बयान
सितंबर के अंतिम सप्ताह में कांग्रेस नेता गुलाम अहमद मीर ने तो इतना तक कह दिया था कि अगर कांग्रेस 25-30 सीटें जीत जाती हैं तो अगला मुख्यमंत्री रोटेशन के तहत कांग्रेस का होगा. गुलाम मीर ने कहा था कि झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इस बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और पार्टी ने अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. झारखंड कांग्रेस प्रभारी ने कहा था कि अगर आप गठबंधन के तहत चुनाव लड़ते हैं और महज 10 से 12 सीटों पर सिमट जाते हैं तब ऐसे में कोई भी आपको सीएम नहीं बनाएगा.
कांग्रेस के तेवर से सकते में था जेएमएम
गुलाम अहमद मीर ने आम कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाते हुए कहा था कि आप 25 से 30 सीटें लाकर दिखाएं तब रोटेशन के तहत कांग्रेस का सीएम जरूर बनेगा और कार्यकर्ताओं के काम ज्यादा तेजी से होंगे. बता दें कि पिछले चुनाव में कांग्रेस को गठबंधन में 31 सीटें मिली थीं. इनमें से 17 सीटों पर कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की थी. इस बार कांग्रेस की नजर कुछ और सीटों पर थी. इसके लिए पार्टी ने अभी से माहौल बनाना शुरू कर दिया था. इस बार कांग्रेस अधिक सीटों की दावेदारी के साथ आगे आई थी. लेकिन अब लगता है कि हरियाणा चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस की पूरी उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
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FIRST PUBLISHED :
October 12, 2024, 15:32 IST