Flood successful East Champarn
पूर्वी चंपारण : साल भर क्या खाएंगे ? बच्चे कैसे रहेंगे. पूरा एक साल मुश्किल हो जाएगा. कर्ज लेकर खेती किए थे…कहां से कर्ज चुका पाएंगे. पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी प्रखंड के गांवों में बाढ़ का कहर ऐसा टूटा है कि किसानों की मेहनत और सपने दोनों पानी में बह गए. बाढ़ की चपेट में आने से फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. इस प्राकृतिक आपदा ने किसानों के लिए साल भर का संकट खड़ा कर दिया है. बच्चे क्या खाएंगे और परिवार का गुजारा कैसे होगा, यह सवाल हर किसान की जुबां पर है.
छह पंचायतों में फसलें बर्बाद
झिटकहिया, नौरैया, लखौरा, कटहा, रामगढ़वा सहित लगभग छह पंचायतों की पूरी फसल बर्बाद हो चुकी है. बाढ़ के पानी ने खेतों में ऐसे चादर बिछा दिए हैं कि दूर-दूर तक सिर्फ पानी ही नजर आता है. किसानों की मानें तो यह वही समय है जब फसल काटने की तैयारी हो रही थी, पर अब खेतों में सिर्फ पानी का सैलाब है. एक किसान ने लोकल18 से बातचीत में कहा, “यह ऐसा है जैसे कोई हमारे सामने परोसा खाना छीन ले गया हो”
कर्ज के बोझ तले दबे किसान
किसानों का कहना है कि उन्होंने कर्ज़ लेकर खेती की थी, लेकिन अब कर्ज़ चुकाना असंभव लग रहा है. एक किसान ने बताया कि उसने 35,000 रुपये का कर्ज़ लिया था, पर अब फसल बर्बाद होने के बाद उसे लौटाना बेहद मुश्किल हो गया है. सरकार की तरफ से 7,000 रुपये मुआवज़ा देने की बात कही जा रही है, पर किसानों का मानना है कि इतने कम पैसे में न तो कर्ज़ चुकाया जा सकता है और न ही परिवार का पेट भरा जा सकता है.
खाने के लाले पड़े
बाढ़ के कारण किसानों के सामने दोहरी समस्या खड़ी हो गई है. एक तरफ कर्ज़ का बोझ है, और दूसरी तरफ खाने की समस्या. कई किसान इस चिंता में डूबे हैं कि उनका परिवार साल भर कैसे गुज़ारा करेगा. फसल बर्बाद होने से उनकी आजीविका का प्रमुख साधन छिन गया है और अब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है.
सरकारी से मदद की दरकार
अभी तक तो कोई हाल चाल लेने नहीं आया है लेकिन किसानों को अब भी सरकार से उम्मीद है कि उन्हें उचित मुआवजा और सहायता मिले ताकि वे इस संकट से उबर सकें. फसल बर्बाद होने से वे पूरी तरह से निराश हैं और भविष्य की चिंता उन्हें खाए जा रही है. अब देखना यह होगा कि सरकार इन किसानों की सहायता के लिए क्या कदम उठाती है और उन्हें किस तरह राहत प्रदान की जाती है.
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FIRST PUBLISHED :
October 7, 2024, 15:29 IST