Maha Kumbh: अब कब होगा महाकुंभ का अगला स्नान? यहां जान लें सही डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व

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magh purnima Image Source : INDIA TV माघ पूर्णिमा

महाकुंभ का तीसरा और अंतिम अमृत स्नान (शाही स्नान) आज खत्म हो रहा है। उम्मीद की जा रही है कि आज स्नान के बाद नागा साधु अपने-अपने धाम की ओर लौटने लग जाएंगे। जानकारी के मुताबिक, सुबह 8 बजे तक कुल 62.37 लाख लोगों ने बसंत पंचमी के मौके पर संगम में डुबकी लगाई है। शाम तक यह संख्या 1 करोड़ के पार पहुंचने की उम्मीद है। अब लोगों के मन में सवाल कौंध रहा है कि अब अगला बड़ा स्नान कब आएगा, ऐसे में आइए जानते हैं कि अब कब आयोजित होगा महाकुंभ का अगला स्नान...

कब है अगला बड़ा स्नान?

जानकारी के लिए बता दें कि महाकुंभ का अगला बड़ा स्नान अब माघ पूर्णिमा तिथि पर होगा यानी 12 फरवरी को। हिंदू पंचांग के मुताबिक, माघ पूर्णिमा की तिथि का आरंभ 11 फरवरी की शाम 06.55 बजे हो रही है और अगले दिन यानी 12 फरवरी को शाम 07.22 बजे खत्म होगी। चूंकि सनातन धर्म में उदया तिथि को महत्व दिया जाता है। ऐसे में 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा तिथि मनाई जाएगी। ऐसे में महाकुंभ का अगला बड़ा स्नान 12 फरवरी को आयोजित होगा।

शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 05.19 बजे से 06.10 बजे तक।
  • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06.07 बजे से शाम 06.32 बजे तक।
  • अभिजीत मुहूर्त - नहीं है।
  • अमृत काल - शाम 05.55 बजे से रात 07.35 बजे तक।

माघ पूर्णिमा की कथा

पौराणिक कथा की मानें तो, एक बार जब भगवान श्रीहरि क्षीर सागर में विश्राम कर रहे थे, तो उसी समय नारद जी आ गए। नारद जी को देख विष्णु भगवान ने पूछा हे महर्षि बैकुंठ में आपके आने की क्या वजह है? तब नारद जी ने बताया कि मुझे ऐसा कोई उपाय बताएं, जिसे करने से लोगों का कल्याण हो सके। इस पर नारायण ने कहा कि जो जातक संसार के सुखों को भोगना चाहता है और मृत्यु के बाद मोक्ष चाहता है, तो उसे पूर्णिमा तिथि पर सच्चे मन से सत्यनारायण पूजा करनी चाहिए। इसके बाद नारद जी ने भगवान श्रीहरि विष्णु ने व्रत विधि के बारे में बताया।

भगवान विष्णु ने कहा कि इस व्रत के दौरान जातक को दिन भर उपवास रखना चाहिए और शाम को भगवान सत्य नारायण की कथा का पाठ करना चाहिए और भोग चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से सत्यनारायण देव प्रसन्न होते हैं, वे जातक को सुख, वैभव और मोक्ष देते हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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