सोमवती द्वारा बनाई गई ऊन की झालर
सुल्तानपुर: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर की 55 वर्षीय सोमवती ने यह साबित किया है कि हौसला और जुनून से किसी भी काम को सफलता के साथ किया जा सकता है. गुजरात में जन्मी और पारिवारिक पारंपरिक कला को सीखने वाली सोमवती अब सुल्तानपुर में महिला समूह से जुड़कर अन्य महिलाओं को ऊन की झालर बनाने की कला सिखा रही हैं. अपनी मेहनत और कला के दम पर वह न केवल अच्छा मुनाफा कमा रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं.
शिक्षा की कमी, लेकिन हुनर की भरमार
सोमवती का किताबों और पढ़ाई-लिखाई से कोई खास नाता नहीं रहा, लेकिन गुजरात में पली-बढ़ी इस महिला ने अपने परिवार से पारंपरिक कला सीखी. इस कला ने उनके दिमाग और हाथों को ऐसा हुनर दिया कि आज वह अपने पैरों पर खड़ी हैं और अपने परिवार के लिए एक आर्थिक स्तंभ के रूप में काम कर रही हैं. उनका यह संघर्ष और आत्मनिर्भरता अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है.
ऊन से बनाती हैं झालर
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के उत्तरदाहा गांव में रहने वाली सोमवती ऊन से दरवाजों, बेडरूम, पूजा स्थल, और प्रवेश द्वार की सजावट के लिए झालर बनाती हैं. लोकल 18 से बातचीत में उन्होंने बताया कि एक झालर की कीमत 220 रुपये होती है, जिसे ऑर्डर मिलने पर तैयार किया जाता है. हर महीने वह 25-30 झालर बुनकर लोगों को उपलब्ध करवाती हैं, जिससे उनकी अच्छी आमदनी होती है.
कला को आगे बढ़ाने की चाह
जय मां शक्ति महिला समूह से जुड़कर सोमवती अपनी इस कला को अन्य महिलाओं तक पहुँचाने का प्रयास कर रही हैं. वह चाहती हैं कि गांव की अन्य महिलाएं भी इस कला को सीखें और इसे रोजगार का साधन बनाकर आत्मनिर्भर बन सकें. पिछले 25 वर्षों से सोमवती यह कला अपनाए हुए हैं और इसे दूसरों तक हस्तांतरित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 14:11 IST