Last Updated:January 18, 2025, 10:19 IST
Khargone News: मध्य प्रदेश के खरगोन का शासकीय महाविद्यालय का नाम बदल गया है. सीएम मोहन यादव ने इसकी घोषणा की थी, जिसके बाद मकर संक्रांति के दिन डीएम ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया. जानें कौन थे मंडन मिश्र...
खरगोन के इस कॉलेज नाम बदला.
खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन का शासकीय महाविद्यालय मंडलेश्वर, जिसका नाम बदलने की मांग लंबे अरसे की जा रही थी, वह अब पूरी हो चुकी है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की घोषणा पर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा मकर संक्रांति के दिन आदेश जारी कर दिए गए हैं. अब यह कॉलेज आचार्य मंडल मिश्र शासकीय महाविद्यालय कहलाएगा. लेकिन, आश्चर्य की बात है कि यहां के अधिकांश विद्यार्थी और लोग मंडन मिश्र को जानते तक नहीं हैं या बहुत कम जानते हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि पंडित मंडन मिश्र कौन थे? क्षेत्र से उनका क्या जुड़ाव था और उन्हीं के नाम पर कॉलेज का नाम क्यों रखा गया?
इतिहास के जानकर दुर्गेश कुमार राजदीप के अनुसार, पंडित मंडन मिश्र, माहिष्मती (महेश्वर) के मंडन मोहल्ले (मंडलेश्वर) में रहते थे. हालांकि, वे मूल रूप से बिहार के रहने वाले थे. वह और उनकी पत्नी भारती देवी का आदि गुरु शंकराचार्य के साथ विश्व विख्यात शास्त्रार्थ हुआ था, जिसका वर्णन श्री दिग्विजय शंकर नामक किताब में विस्तार से मिलता है. किताब के मुताबिक माहिष्मती के मंडन मोहल्ले में ही यह शास्त्रार्थ हुआ था. वर्तमान में यह स्थान मंडलेश्वर का प्राचीन श्री छप्पन देव मंदिर माना जाता है. शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक मठ का पहला शंकराचार्य भी मंडन मिश्र को बनाया गया था.
भारती देवी से हार गए थे शंकराचार्य
वहीं, परमानंद केवट बताते हैं कि मंडन मिश्र और आदि गुरु शंकराचार्य के बीच हुए शास्त्रार्थ में मंडन मिश्र की पत्नी भारती देवी निर्णायक थी. इस शास्त्रार्थ में मंडन मिश्र पराजित हो गए थे. लेकिन, वे शादीशुदा थे इसलिए हार आधी मानी गई. उनकी जगह भारती देवी ने शंकराचार्य से शास्त्रार्थ किया और काम संबंधित प्रश्न पूछा, ब्रह्मचारी होने से शंकराचार्य जवाब नहीं दे पाए और हार गए. लेकिन, उन्होंने छह महीने का समय मांगा और अमरक नामक राजा के मृत शरीर में परकाया प्रवेश किया.
परकाया प्रवेश के समय यहां रखा स्थूल शरीर
मृत राजा जीवित हो गया, जिससे उसकी रानियां और प्रजा खुश हो गई. फिर राजा की पत्नियों के साथ सांसारिक जीवन में रहकर शंकराचार्य ने काम संबंधित ज्ञान प्राप्त किया. वापस लौटकर उन्होंने भारती देवी को सही जवाब देकर पराजित किया. तब मंडन मिश्र और भारती देवी ने शंकराचार्य को अपना गुरु माना. वही, शंकराचार्य ने मंडन मिश्र के सम्मान में मंडनेश्वर शिवालय की स्थापना भी की. परकाया प्रवेश के दौरान शंकराचार्य का स्थूल शरीर मंडलेश्वर में ही प्राचीन गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की गुफा में शिष्यों की निगरानी में रखा गया था.
देश के प्रसिद्ध आचार्यों में से एक
कॉलेज प्रभारी प्रिंसिपल डॉ. मुकेश साठे ने बताया कि मंडन मिश्र देश के प्रसिद्ध और विद्वान आचार्यों में से एक थे. शिक्षा जगत में उनका बड़ा योगदान रहा है. वह इतने ज्ञान थे कि उनके घर के बाहर तोता मैना भी संस्कृत में शास्त्रार्थ किया करते थे. ऐसी शख्सियत के नाम पर कॉलेज का नाम होना हमारे लिए गर्व की बात है. नए नाम के आदेश हो चुके है, जल्द ही कॉलेज भवन पर नया नाम लिखा जाएगा.
Location :
Khargone,Madhya Pradesh
First Published :
January 18, 2025, 10:19 IST
अब आचार्य मंडन मिश्र के नाम से जाना जाएगा एमपी का ये कॉलेज, CM ने की थी घोषणा