बिहार के जहानाबाद में एक अनोखा गांव है, जहां ना तो पुलिस का कोई काम है और ना ही ग्रामीणों को बकरी पालने की इजाजत। दरअसल, इस गांव के किसी भी आदमी पर आजादी के बाद से न तो कोई एफआईआर दर्ज हुई है और न ही कोई आज तक कोर्ट कचहरी के चक्कर में पड़ा है। एक और हैरतअंगेज बात यह है की तकरीबन सवा सौ घरों की इस आबादी में सामाजिक बहिष्कार के डर से कोई भी बकरी पालन नहीं करता है।
गांव में एक आदमी पर भी दर्ज नहीं है FIR
यह गांव घोषी प्रखंड के धौताल बिगहा में है। वैसे तो देखने में किसी आम गांव की तरह ही लगता है। लेकिन इस गांव की एक अलग ही खासियत है जो अन्य गांवों से इसे अलग करती है। शायद आपको भी सुनने में हैरत होगी कि इस गांव में आजादी के बाद से अब तक किसी भी व्यक्ति पर थाने में कोई FIR दर्ज नहीं हुई है। अगर गांव में किसी भी व्यक्ति से दूसरे का मनमुटाव हो जाता है तो सभी ग्रामीण आपस में मिल बैठ कर मामले को रफा-दफा कर देते है। जिससे ग्रामीणों को थाना पुलिस और कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाना न पड़े।
पूरे गांव में कही भी नहीं किया जाता बकरी पालन
इस गांव की एक और अनोखी बात यह है कि पूरे गांव में एक भी घर में बकरी पालन नहीं किया जाता है। ग्रामीणों ने बताया की इस गांव के ज्यादातर लोग किसान हैं और खुद खेती-बाड़ी का काम करते हैं। ऐसे में बकरी द्वारा खेती चर जाने से विवाद ना खड़ा हो जाए इसलिए इस गांव के लोगों ने बकरी पालना ही छोड़ दिया। ग्रामीणों ने बताया की कोई चार दशक पहले अन्य गांवों की तरह इस गांव में भी बकरी पालन किया जाता था और बकरी के खेतों में चले जाने से आपसी विवाद की समस्या खड़ी हो जाती थी। जिसकी रोकथाम को लेकर सभी ग्रामीणों ने एक बैठक कर पूरे गांव में ही बकरी पालने पर प्रतिबंध लगा दिया जो अभी तक जारी है।
पूरे देश को अमन-चैन का पैगाम दे रहा यह गांव
इधर जिले के प्रभारी डीएम धनंजय कुमार ने बताया कि घोसी के धौताल बिगहा जिले के लिए ही नहीं बल्कि पूरे राज्य के लिए एक नाजिर है। यहां पर सामुदायिक शक्ति का प्रभाव दिखता है। बहरहाल जहां छोटी छोटी बातों को लेकर खून खराबा हो जाती है। वहीं यह गांव पूरे देश के लोगों के लिए प्रेरणादायी मिसाल बन कर लोगों को अमन चैन का पैगाम दे रहा है।
(जहानाबाद से मुकेश कुमार की रिपोर्ट)
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