संजीव गुप्ता ने मुसहर समुदाय को नई पहचान देने के लिए नौकरी छोड़ी
गाजीपुर: कभी इंजीनियरिंग के छात्र रहे संजीव गुप्ता ने अपनी नौकरी छोड़कर उत्तर प्रदेश के मुसहर समुदाय के हजारों लोगों की ज़िन्दगी को बदल दी. उनकी इस अनोखी पहल ने मुसहरों को न केवल घर मुहैया कराया बल्कि शिक्षा और सम्मान का हक भी दिलाया.
इंजीनियरिंग से समाजसेवा की ओर रुख
गाजीपुर के संजीव गुप्ता ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक अच्छी नौकरी हासिल कर ली थी, लेकिन उनका मन समाजसेवा में लगने लगा 1998 में उन्होंने मुसहर समुदाय के लिए काम करने का फैसला किया, जो वनवासी और समाज के सबसे पिछड़े वर्गों में से एक हैं. उनका मानना था कि मुसहर समुदाय की गरीबी और अनदेखी सिर्फ सरकारी योजनाओं से हल नहीं हो सकती, इसके लिए समाज की सीधी भागीदारी जरूरी है.
मुसहरों को मिला स्थायित्व और सम्मान
संजीव गुप्ता का सबसे बड़ा योगदान मुसहर समुदाय के बेघर लोगों को घर दिलाने में रहा. 2017 में उन्होंने मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत मुसहर समुदाय के लिए विशेष घर बनाने की शुरुआत की. इसके परिणामस्वरूप पूर्वी उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में लगभग 20 लाख मुसहरों को स्थायी निवास मिला. गाजीपुर जिले में करीब 9-10 हजार मुसहर परिवारों को पक्का घर मिला, जिसने उन्हें समाज में स्थायित्व और सम्मान प्रदान किया.
शिक्षा और खेलों में मुसहर समुदाय की नई पहचान
संजीव गुप्ता के प्रयासों से मुसहर समुदाय के बच्चों को शिक्षा और खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका मिला. स्थायित्व मिलने के बाद इन बच्चों ने अच्छे स्कूलों में पढ़ाई शुरू की और अब वे खेलकूद में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल भी जीत रहे हैं. यह मुसहर समुदाय की एक नई पहचान बनी है.
‘द लास्ट मैन इन लाइन’: जागरूकता की पहल
मुसहर समुदाय के जीवन और संघर्ष को दुनिया के सामने लाने के लिए संजीव गुप्ता ने एक डॉक्यूमेंट्री ‘द लास्ट मैन इन लाइन’ बनाई. यह डॉक्यूमेंट्री भारतीय ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं को दिखाई गई, ताकि वे इस समुदाय की अनदेखी को समझ सकें और उनके जीवन में सुधार लाने के प्रयासों में सहयोग कर सकें.
संजीव गुप्ता के आदर्श और प्रेरणा
संजीव गुप्ता के आदर्श अवध बिहारी जी रहे हैं, और उनके समाजसेवा के सफर में मनोज सिन्हा ने भी भरपूर सहयोग दिया. उनका मानना है कि अगर मुसहर समुदाय को सही दिशा और अवसर दिए जाएं, तो वे किसी भी अन्य जाति या समुदाय से कम नहीं हैं. उनकी इस पहल ने न केवल उत्तर प्रदेश के मुसहर समुदाय को एक नई ज़िंदगी दी, बल्कि समाज को भी यह सिखाया कि एक व्यक्ति का साहसिक कदम हजारों लोगों की तकदीर बदल सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 13:40 IST