Agency:News18 Uttar Pradesh
Last Updated:February 06, 2025, 16:35 IST
Organic Farming Ke Fayde : जैविक खेती सेहत और कमाई दोनों के लिए अच्छी है. इन दिनों किसानों का रुझान खेती की इस विधि की तरफ बढ़ा है. केंद्र और राज्य सरकारें भी जैविक खेती को बढ़ावा दे रही हैं, ताकि खेत और लोग दोन...और पढ़ें
अब हर कोई खेती में अपनाना चाहेगा यह तरीका
हाइलाइट्स
- जैविक खेती सेहत और कमाई दोनों के लिए बेहतर है.
- गोबर से जैविक खाद बनाकर लाखों की कमाई हो रही है.
- जैविक खाद का बिजनेस बड़ा मार्केट बन गया है.
सोनभद्र. दुनिया दोबारा जैविक तौर तरीकों की तरफ लौट रही है. स्थिति ऐसी है कि मार्केट में जैविक चीजों की जितनी डिमांड है उसकी सप्लाई नहीं हो पा रही है. प्रगृतिशील किसानों ने अपने अभिनव प्रयोगों से जैविक खेती को और उन्नत बनाया है. सोनभद्र के बाबू लाल मौर्या भी उन्हीं किसानों में से एक हैं. नौकरी से मुंह मोड़कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को जैविक प्रक्रियाओं से जोड़ने वाले बाबू लाल मौर्या जनपद में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. उनकी पहचान एक ऐसी उन्नतशील खेती के कारण है जिसमें कम रकबे और कम लागत में बड़ी आय अर्जित की जा सकती है.
ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई करने वाले बाबू लाल मौर्या दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत हैं. लोकल 18 से बातचीत में बाबू लाल कहते हैं कि जैविक खेती सेहत और कमाई दोनों के लिहाज से बेहतर है. विशेषज्ञ भी जैविक खेती से उगाई गई आर्गेनिक सब्जी खाने की सलाह देते हैं. इन दिनों किसानों का रुझान आर्गेनिक की खेती की तरफ हो रहा है. केंद्र और राज्य सरकार भी जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं.
लाखों की कमाई
बाबू लाल मौर्या पशुओं के गोबर से जैविक खाद तैयार कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. पिछले कुछ सालों में जैविक खाद की मांग बढ़ी है. बाबू लाल के अनुसार, गोबर से खाद बनाकर भी कारोबार किया जा सकता है. गोबर से खाद बनाने में डेढ़ से दो महीने का वक्त लगता है. जिले के कई किसान इन दिनों जैविक खाद से सरसों, गेहूं और बाजरा जैसी फसलों के अलावा अनेक किस्म की सब्जियां व फल उगाने लगे हैं. इनमें गोभी, आलू, टमाटर, भिंडी, तरोई, बैंगन, ब्रोकली, पालक, गाजर, खरबूजा, तरबूज और सकरकंदी शामिल हैं.
बड़ा मार्केट
इन दिनों जैविक खाद बनाने और इसे बेचने का बिजनेस भी एक बड़े मार्केट के रूप में उभरा है. बाबू लाल मौर्या का कहना है कि आजकल खेतों में रासायनों का प्रयोग बहुत बढ़ गया है. इसका बुरा असर खेत की मिट्टी पर तो पड़ ही रहा है. ऐसे खेत से उत्पादित अनाज, फल और सब्जियों में भी इन रसायनों का असर देखने को मिल रहा है. इनके सेवन से हमारी सेहत खराब हो रही है. जैविक खेती खेतोंं और हमारे स्वास्थ्य दोनों के लिए गुणकारी है. इसलिए हमें जैविक खेती की ओर बढ़ने की जरूरत है. रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कम करते हुए जैविक खाद को बढ़ावा देने की जरूरत है.
Location :
Sonbhadra,Uttar Pradesh
First Published :
February 06, 2025, 16:35 IST