Last Updated:February 06, 2025, 19:05 IST
Explainer- डिजिटल वर्ल्ड में लोगों ने जहां सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करने के लिए घूमना बढ़ा दिया है, वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अनोखे तरीके से घूमते हैं और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगने देते.
घूमने का अपना अलग ही मजा है. ट्रैवलिंग करने के भी अलग-अलग तरीके होते हैं. कुछ लोग फैमिली या दोस्तों के साथ घूमना पसंद करते हैं तो कुछ अकेले. किसी को पहाड़ पसंद होते हैं तो किसी को समुद्र. किसी को पॉपुलर टूरिस्ट डेस्टिनेशन अच्छी लगती हैं तो किसी को ऐसी जगह पसंद हैं जो लोगों की भीड़ भाड़ से दूर हो. आजकल चुपचाप से शांत जगहों पर घूमने का चलन बढ़ रहा है. इसे साइलेंट ट्रैवल कहते हैं.
साइलेंट ट्रैवल को समझें
ट्रैवल एक्सपर्ट निक्की सैनी कहती हैं कि साइलेंट ट्रैवल शब्द सुनकर लगता है कि ऐसी जगह पर घूमना जो सुनसान हो लेकिन ऐसा नहीं है. साइलेंट ट्रैवलिंग एक ऐसी यात्रा है जहां शोर और लोगों की भीड़ नहीं होती. इन जगहों पर जाकर लोगों को सुकून मिलता है. दुनिया भर में इस तरह की घुमक्कड़ी का ट्रेंड बढ़ गया है क्योंकि लोग अब इस ट्रैवलिंग के जरिए डिजिटल डिटॉक्स करना चाहते हैं. साइलेंट ट्रैवल को quiescent question भी कहते हैं. इसमें ट्रैवलर लोगों से दूर रहकर खुद को नेचर से कनेक्ट करते हैं. 2025 में भले ही साइलेंट ट्रैवल नया शब्द हो लेकिन इसका चलन सदियों पुराना है. बौद्ध धर्म में इस प्रैक्टिस को विपश्यना कहते हैं यानी वास्तव में सत्य को जीने का अभ्यास करना.
इंट्रोवर्ट लोगों की पहली पसंद
माना जाता है जो लोग कम बोलते हैं या लोगों से जल्दी घुलते मिलते नहीं है, वह सोलो ट्रैवलिंग करना पसंद करते हैं. लेकिन साइलेंट ट्रैवलिंग भी इंट्रोवर्ट लोग ज्यादा करते हैं. ऐसे लोग अकेले पहाड़ों पर चढ़ना या समुद्र के किनारे सूरज ढलते देखना पसंद करते हैं. साइलेंट ट्रैवलिंग में लोगों के शोर की जगह चिड़िया के चह-चहाने की आवाज, तेज हवाओं के झोंके, नदी के बहते पानी या समुद्र की लहरों का शोर सुनाई देता है.
साइलेंट ट्रैवलिंग से सेहत दुरुस्त रहती है (Image-Canva)
ऑफ सीजन है पहली पसंद
अक्सर लोग पीक सीजन में घूमना पसंद करते हैं लेकिन साइलेंट ट्रैवलिंग के शौकीन लोग ऑफ सीजन में घूमना पसंद करते हैं क्योंकि इस समय लोगों की भीड़ नहीं होती. वह इन जगहों को रिलैक्स होकर करीब से देखते हैं और ज्यादा से ज्यादा समय बिताते हैं. ऑफ सीजन घूमने से फ्लाइट, ट्रेन, होटल और बाकी जगहों के टिकट भी सस्ते मिलते हैं यानी साइलेंट ट्रैवलिंग पॉकेट फ्रेंडली भी होती है.
सोशल मीडिया पर नहीं डालते फोटो
साइलेंट ट्रैवलिंग की एक खूबी है कि ट्रैवलर इस घुमक्कड़ की फोटो कभी सोशल मीडिया पर नहीं डालते. जबकि आजकल अधिकतर लोग केवल सोशल मीडिया पर शो ऑफ के चक्कर के घूमते हैं. साइलेंट ट्रैवलिंग बिल्कुल खामोशी से होती है, दुनियावालों को बिना बताए.
इन जगहों पर जाकर मिल सकती है शांति
अक्सर ट्रैवलर पॉपुलर डेस्टिनेशन में घूमना पसंद करते हैं लेकिन साइलेंट ट्रैवलिंग में वह जगहें शामिल होती हैं जो गुमनाम होती हैं यानी अधिकतर टूरिस्ट ऐसी जगहों पर नहीं जाते. जैसे अधिकतर लोग समुद्र और सनसेट को देखने ग्रीस या मालदीव जाना पसंद करते हैं लेकिन वही खूबसूरत नजारा अल्बानिया में भी दिखता है लेकिन यह जगह सैलानियों के बीच पॉपुलर नहीं है. भारत की बात करें तो मध्य प्रदेश का भेड़ाघाट, हिमाचल प्रदेश में स्पीति वैली और तोश पार्वती वैली, लद्दाख में हंगले, केरल में पूवर आइलैंड, जम्मू-कश्मीर में युसमर्ग और गुरैज, उत्तराखंड में लैंडोर जैसी जगहें साइलेंट ट्रैवल के लिए बेस्ट हैं. अगर आप ट्रैकिंग पसंद करते हैं या जंगलों में कैंप लगाना पसंद करते हैं तो यह भी अच्छा ऑप्शन है.
टेक्नोलॉजी से दूर
साइलेंट ट्रैवलिंग की सबसे खास बात यह है कि लोग इस दौरान टेक्नोलॉजी से दूर रहते हैं. घूमने के दौरान वह ना मोबाइल, ना टैब और ना ही लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं. वह फोन पर बात करने या वॉट्सऐप पर चैटिंग की जगह लोकल लोगों से कनेक्ट होते हैं. उनसे बात करते हैं और उनके जैसे रहते हैं. साइलेंट ट्रैवलिंग एक तरह से मेडिटेशन की तरह है क्योंकि ट्रैवलर अकेले में वक्त बिताते हैं और नेचर के करीब बैठकर ध्यान से प्रकृति का लुफ्त उठाते हैं.
साइलेंट ट्रैवलिंग से शहर के ध्वनि प्रदूषण से दूर रहने का मौका मिलता है (Image-Canva)
नेचर के करीब रहना फायदेमंद
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई तनाव से घिरा हुआ है. साइलेंट ट्रैवलिंग में नेचर को करीब से देखा जाता है, उसे महसूस किया जाता है जिससे बॉडी में कार्टिसोल नाम का स्ट्रेस हार्मोन कम होने लगता है और मूड अच्छा होता है. इस तरह की ट्रैवलिंग से मेंटल हेल्थ भी दुरुस्त रहती है और डिप्रेशन-एंग्जाइटी जैसी समस्याएं दूर रहती हैं. घूमने के दौरान कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है जिससे फिजिकल हेल्थ भी सुधरती है. वहीं नेचर के करीब रहने से दिमाग क्रिएटिव बनता है, नए-नए आइडिया आते हैं और जिंदगी की कई उलझनें दूर होती हैं.
ब्लड प्रेशर रहता है कंट्रोल
हार्वर्ड हेल्थ की स्टडी के अनुसार घूमने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या दूर होती है. क्योंकि घूमने के दौरान व्यक्ति तनाव मुक्त रहता है. इसके अलावा नींद भी सुधरती है. शहरों की भागदौड़ के बीच लोगों की सबसे ज्यादा नींद ही प्रभावित होती हैं. नेचर के करीब रहने और शांत माहौल से नींद समय पर आती है. दरअसल इस दौरान शरीर की जैविक घड़ी नेचर के हिसाब से काम करती है. सूरज उगते ही नींद खुल जाती है और शाम ढलते ही नींद आने लगती है. वहीं नींद को डिस्टर्ब करने के लिए डिजिटल गैजेट्स भी नहीं होते.
Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
February 06, 2025, 19:05 IST