किले-महल और स्मारक के अलावा हाथी सवारी भी बन रही जयपुर की पहचान

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Agency:News18 Rajasthan

Last Updated:January 21, 2025, 13:50 IST

Jaipur News: जयपुर घूमने आने वाले पर्यटक आमेर महल देखने के साथ ही हाथी सवारी के प्रति भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं. यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज मॉन्यूमेंट्स की लिस्ट में शामिल आमेर महल में हाथी स्टैण्ड से जलेब चौक त...और पढ़ें

किले-महल और स्मारक के अलावा हाथी सवारी भी बन रही जयपुर की पहचान

70 से अधिक हाथी रहते हैं. 

पर्यटन की दृष्टि से गुलाबी नगरी जयपुर बहुत प्रसिद्ध है. यहां पर किले-महल, स्मारक के बारे में जाने ओर देखने के लिए हर साल लाखों देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं. महल और किलो के अलावा अब जयपुर वाइल्ड लाइफ के क्षेत्र में भी जाना जाने लगा है.

यहां पर पर्यटकों को लायन, टाइगर, लेपर्ड सफारी के साथ ही हाथी सवारी करने का अवसर मिलता है. इसी का नतीजा है कि हाथी गांव हो या फिर आमेर महल में संचालित हाथी सवारी दोनों ओर पर्यटकों में इसका क्रेज देखने को मिल रहा है. पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए जयपुर के हाथी गांव में 70 से अधिक हाथी रखे जा रहे हैं.

दोनों जगह हर साल बढ़ा ग्राफ
जयपुर घूमने आने वाले पर्यटक आमेर महल देखने के साथ ही हाथी सवारी के प्रति भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं. यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज मॉन्यूमेंट्स की लिस्ट में शामिल आमेर महल में हाथी स्टैण्ड से जलेब चौक तक हाथी सवारी कराई जाती है. इसके लिए पर्यटकों को 1500 रुपए शुल्क देना पड़ता है. साथ ही पर्यटकों को आकर्षित करने कई नवाचार भी किए जा रहे हैं.

हाथीगांव में 70 से ज्यादा हाथी
प्रदेश का पहला हाथीगांव जयपुर में ही देखने को मिलता है. कहा जाए तो ये हाथियों का गांव है. जहां 70 से अधिक हाथी रहते हैं. इन्हें यहां रखने के लिए वन विभाग की ओर से थान आवंटित किए गए हैं. यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या हर साल बढ़ी है.

रोजाना देशी विदेशी पर्यटक करते हैं हाथी सवारी 
आपको बता दें कि रोजाना पर्यटक रोजाना आमेर महल में पहुंचने के लिए हाथी की सवारी का आनंद लेते हैं. इस महल में बड़ी संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं. हाथी की सवारी घूमने के अलावा कुछ नया अनुभव करता है, इसलिए साल भर पर्यटकों की संख्या आमेर महल में काफी अधिक रहती है.

Location :

Jaipur,Rajasthan

First Published :

January 21, 2025, 13:50 IST

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किले-महल और स्मारक के अलावा हाथी सवारी भी बन रही जयपुर की पहचान

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