किसानों के लिए वरदान है चावल अनुसंधान केंद्र, देश को दीं 15 से अधिक वैरायटी

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Agency:News18 Jharkhand

Last Updated:January 21, 2025, 14:04 IST

Rice Research Centre: मासीपीढ़ी का चावल अनुसंधान केंद्र न केवल हजारीबाग बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है. इसकी विकसित की गई धान की प्रजातियां न केवल उपज बढ़ा रही हैं, बल्कि कृषि क्ष...और पढ़ें

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केंद्र का बोर्ड 

Hazaribagh atom probe center: झारखंड के हजारीबाग जिले के मासीपीढ़ी में स्थित केंद्रीय वर्षाश्रित उपराऊं भूमि चावल अनुसंधान केंद्र (Rainfed Upland Rice Research Station) ने देश भर के किसानों के लिए एक नई उम्मीद की किरण जगाई है. यह अनुसंधान केंद्र धान की नई और उन्नत प्रजातियों को विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. अब तक, इस केंद्र ने 15 से अधिक धान की प्रजातियां विकसित की हैं, जिससे किसान कम संसाधनों में अधिक पैदावार हासिल कर रहे हैं.

कम पानी में अधिक उपज की तकनीक
यह केंद्र, जो राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक (ओडिशा) की एक ऑर्गनाइजेशन है, खासकर से वर्षाश्रित और उपजाऊ भूमि के लिए धान की फसल के अनुसंधान पर केंद्रित है. वैज्ञानिकों ने ऐसे बीज विकसित किए हैं, जो कम पानी और कम लागत में अधिक पैदावार देते हैं.

पहली प्रजाति: इस केंद्र की पहली बड़ी सफलता “वंदना” थी, जो 90-95 दिनों में तैयार हो जाती है. जबकि पारंपरिक धान की फसल को पकने में 110-120 दिन लगते हैं.
सूखा-रोधी प्रजातियां: केंद्र ने सूखा आधारित किस्में जैसे आईआर 64 सूखा प्रमुख और सहभागी धान विकसित की हैं. ये प्रजातियां कठिन परिस्थितियों में भी अच्छी पैदावार देती हैं.
नई प्रजातियां: हाल के वर्षों में CR320 और CR804 जैसी नई प्रजातियां विकसित की गई हैं, जिनसे बेहतर उत्पादन हो रहा है.
महिला किसानों की सफलता की कहानी
इस केंद्र से जुड़े किसान और खासतौर पर महिला किसान बड़ी संख्या में लाभ उठा रहे हैं. महिला किसान रूबी देवी कहती हैं कि पहले की तुलना में अब डेढ़ गुना अधिक धान की पैदावार हो रही है. केंद्र से प्राप्त बीज से न केवल उत्पादन बढ़ा है, बल्कि मुनाफा भी ज्यादा हो रहा है.

धान की बीमारियों से बचाव पर काम
यह अनुसंधान केंद्र न केवल नई प्रजातियों के विकास में जुटा है, बल्कि फसल में लगने वाली बीमारियों से बचाव के लिए भी कार्य कर रहा है. इससे किसानों को अपनी फसल को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है.

केंद्र की स्थापना और उद्देश्य
1980 में स्थापित यह केंद्र, 1986 में “उपराऊं भूमि चावल अनुसंधान केंद्र” के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है. इसका उद्देश्य था उपजाऊ भूमि में चावल की उत्पादकता बढ़ाना. स्थानीय किस्मों को ऊपरी जमीन के लिए अनुकूल बनाना. धान आधारित फसल चक्र को बढ़ावा देना.

केंद्र का योगदान
इस अनुसंधान केंद्र ने धान की उत्पादकता में वृद्धि की, किसानों को सशक्त बनाया. देश को सूखा-रोधी और उच्च पैदावार वाली किस्में दीं. आगे, केंद्र का लक्ष्य है अधिक जलवायु-अनुकूल और रोग-प्रतिरोधी प्रजातियों को विकसित करना, ताकि किसानों की उपजाऊ भूमि में उत्पादन और भी अधिक हो सके.

Location :

Hazaribagh,Jharkhand

First Published :

January 21, 2025, 14:04 IST

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