कौन हैं ज्ञानी हरप्रीत सिंह, दमदमा साहिब के जत्थेदार पद से SGPC ने उन्हें क्यों हटाया

4 hours ago 1

नई दिल्ली:

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने सोमवार को तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को उनकी सेवा से बर्खास्त कर दिया. उनके स्थान पर ज्ञानी जगतार सिंह को जत्थेदार की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसका फैसला अमृतसर में सोमवार को हुई एसजीपीसी की कार्यकारी समिति की बैठक में लिया गया. समिति ने इस बैठक में ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया. हरप्रीत सिंह 18 साल पुराने घरेलू विवाद के मामले में आरोपों का सामना कर रहे थे. एसजीपीसी ने पिछले साल 20 दिसंबर को ज्ञानी हरप्रीत सिंह को कर्तव्यों का पालन करने से रोक दिया था. वे उन पांच सिख साहिबान में शामिल थे, जिन्होंने पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणी अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को तनखैया घोषित कर सजा सुनाई थी. एसजीपीसी के इस फैसले पर राजनीति भी शुरू हो गई है.

एसजीपीसी का फैसला

एसजीपीसी सचिव प्रताप सिंह ने इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि जांच समिति की रिपोर्ट पर सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि जांच में ज्ञानी हरप्रीत सिंह पर लगाए गए आरोप साबित हुए हैं. उन्होंने कहा कि तख्त के सम्मान और गरिमा को ठेस पहुंचाने के संबंध में कार्यकारी समिति ने कार्रवाई की है.

श्री अकाल तख्त का जत्थेदार बनाए जाने के बाद हरप्रीत सिंह.

श्री अकाल तख्त का जत्थेदार बनाए जाने के बाद हरप्रीत सिंह.

एसजीपीसी की कार्यकारी समिति की बैठक अमृतसर में एसजीपीसी मुख्यालय तेजा सिंह समुद्री हॉल में हुई.इसकी अध्यक्षता एसजीपीसी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने की. बैठक में कुल 13 सदस्यों ने भाग लिया. इनमें से तीन सदस्यों ने फैसले का विरोध किया. विरोध करने वाले सदस्य हैं- अमरीक सिंह, परमजीत सिंह रायपुर और जसवंत सिंह.इस विरोध के बाद समिति ने बहुमत से फैसला लिया. फैसलों का विरोध करने वालों ने जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह के फैसले की बात की था. ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा था कि जत्थेदार पर कार्रवाई एसजीपीसी के अधिकार क्षेत्र नहीं है. उन्होंने कहा था कि कोई भी कार्रवाई मर्यादा में रह कर ही की जाए. विरोध करने वालों ने फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया. 

किसने की थी हरप्रीत सिंह के खिलाफ शिकायत

हरप्रीत सिंह उन सिंह साहिबानों में शामिल थे, जिन्होंने दो दिसंबर को शिरोमणि अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल को तनखैया घोषित कर उन्हें सजा सुनाई थी.इसके बाद मुक्तसर निवासी गुरप्रीत सिंह ने 16 दिसंबर 2024 को एसजीपीसी अध्यक्ष के समक्ष  हरप्रीत सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. गुरप्रीत का आरोप था कि उसकी शादी जत्थेदार हरप्रीत सिंह की साली से हुई है. उनका आरोप था कि जत्थेदार ने उनके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप किया और उनकी पत्नी को बहकाया. इस वजह से उनका तलाक हो गया. गुरप्रीत का आरोप था कि हरप्रीत सिंह ने उन्हें परेशान करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया. 

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ ज्ञानी हरप्रीत सिंह.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ ज्ञानी हरप्रीत सिंह.

गुरप्रीत सिंह के आरोपों के बाद एसजीपीसी ने हरप्रीत सिंह को अपने कर्तव्यों का पालन करने से रोक दिया था. गुरप्रीत के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई गई थी. हरप्रीत सिंह पर बैन लगाने का फैसला लुधियाना के गुरुद्वारा देगसर साहिब कटाना में हुई कार्यकारी समिति की एक विशेष बैठक में लिया गया था. इसकी अध्यक्षता एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने की थी. आरोपों की जांच करने वाली समिति से 15 दिन में अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था. इसी कमेटी की जांच रिपोर्ट को स्वीकार कर हरप्रीत सिंह जत्थेदार पद से हटाया गया है.

जत्थेदार के पद से हटाए जाने पर हरप्रीत सिंह ने क्या कहा 

एसजीपीसी के फैसले पर ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि उन्हें पहले ही अनुमान था कि दो दिसंबर, 2024 को अकाल तख्त के आदेश के बाद उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी. उन्होंने कहा कि जब आपको पहले से पता हो कि कुछ होने वाला है, तो आपको आश्चर्य नहीं होता.उन्होंने कहा कि दो दिसंबर के बाद मुझे यकीन था कि मेरी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी. 

तनखैया घोषित किए जाने के बाद अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में सेवा करते सुखबीर सिंह बादल.

तनखैया घोषित किए जाने के बाद अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में सेवा करते सुखबीर सिंह बादल.

पंजाब के फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह खालसा ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह को तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार पद से हटाए जाने की निंदा की है. उन्होंने एसजीपीसी से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है.खालसा ने कहा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह को सच्चाई का साथ देने की सजा दी गई है. 

तनखैया घोषित किए गए सुखबीर सिंह बादल

सिख धर्म की सर्वोच्च धार्मिक संस्था श्री अकाल तख्त साहिब ने शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को 30 अगस्त को धार्मिक कदाचार का दोषी ठहराया था.अकाल तख्त ने 2007 से 2017 तक शिरोमणि अकाली दल की सरकार में हुई गलतियों के लिए बादल और उनकी कैबिनेट सहयोगी के सहयोगी सुखदेव सिंह ढींढसा, सुचा सिंह लंगाह, बलविंदर सिंह भुंदड़, दलजीत सिंह चीमा, हीरा सिंह गाबड़िया, गुलजार सिंह रानिके, जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, सुरजीत सिंह रखड़ा, बिक्रम सिंह मजीठिया, सोहन सिंह थंडल, महेशिंदर सिंह ग्रेवाल, शरणजीत सिंह ढिल्लो, चरणजीत सिंह, आदेश प्रताप सिंह कैरों और जनमेजा सिंह सेखों को भी 'तनखैया' घोषित किया गया था. इन लोगों को सजा दो दिसंबर को  सुनाई गई थी. बादल और अन्य नेताओं को गुरुद्वारे का वॉशरूम साफ करने, झाड़ू लगाने और बर्तन साफ करने की सजा दी गई थी. हालांकि, बादल ने 24 जुलाई को ही अकाली दल की सरकार में हुईं सभी गलतियों के लिए बिना शर्त माफी मांग ली थी. बादल ने कहा था कि वो गुरु के विनम्र सेवक हैं और गुरु ग्रंथ साहिब व अकाल तख्त के प्रति समर्पित हैं.

कौन हैं ज्ञानी हरप्रीत सिंह

शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को 30 अगस्त को तनखैया घोषित किया गया था. इसके बाद पिछले साल 12 अक्टूबर को अकाली दल बादल के विधायक और प्रवक्ता विरसा सिंह वल्टोहा ने कहा था कि अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने आरएसएस और बीजेपी के दबाव में बादल को तनखाइया घोषित किया है. वल्टोहा के इस बयान से आहत होकर ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार पद से इस्तीफा दे दिया था.इसके बाद अकाल तख्त के जत्थेदार रघबीर सिंह ने इसमें हस्तक्षेप करते हुए एसजीपीसी से कहा कि हरप्रीत सिंह का इस्तीफा स्वीकार न किया जाए. उन्होंने कहा कि अगर हरप्रीत का इस्तीफा स्वीकार किया गया तो वे भी इस्तीफा दे देंगे.इस पर एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने हरप्रीत का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था. बाद में हरप्रीत ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था.इसके बाद पांच सिंह साहिबान ने वल्टोहा पर 10 साल का राजनीतिक प्रतिबंध लगा कर उन्हें अकाली दल से निकालने का आदेश दिया था.  

अपनी सगाई समारोह में हरप्रीत सिंह का अभिवादन करते आप सांसद राघव चड्ढा और परिणीति चोपड़ा.र प

अपनी सगाई समारोह में हरप्रीत सिंह का अभिवादन करते आप सांसद राघव चड्ढा और परिणीति चोपड़ा.र प

मुक्तसर जिले के एक दलित परिवार से आने वाले हरप्रीत सिंह के पिता गांव के ग्रंथी थे. हरप्रीत सिंह ने गुरु काशी गुरमत इंस्टीट्यूट से ग्रेजुएशन किया है. वो प्रचारक के रूप में एसजीपीसी में 1997 में शामिल हुए थे. उन्हें 1999 में मुक्तसर के गुरुद्वारा दरबार साहिब का मुख्य ग्रंथी बनाया गया था. उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से धार्मिक अध्ययन में पीजी की डिग्री ली है. इस समय वो इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरान और गुरु ग्रंथ साहिब के तुलनात्मक अध्ययन पर पीएचडी कर रहे हैं.

एसजीपीसी ने अप्रैल 2017 में बठिंडा के तलवंडी साबो स्थित दमदमा साहिब तख्त का जत्थेदार नियुक्त किया था. उन्होंने ज्ञानी गुरमुख सिंह की जगह ली थी, जिन्होंने एसजीपीसी पर आरोप लगाए थे. अक्टूबर 2018 में हरप्रीत सिंह को अकाल तख्त का कार्यकारी जत्थेदार नियुक्त किया गया था. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा और फिल्म एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा के सगाई समारोह में शामिल होने को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद रघबीर सिंह ने अकाल तख्त के जत्थेदार का पद संभाला था.     

ये भी पढ़ें: रणवीर इलाहाबादिया बुरे फंसे, दो राज्यों की पुलिस से लेकर NHRC और संसदीय समिति तक, जानिए अब तक क्या हुआ

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article