क्या कहता है विज्ञान: ठोस होने पर भी पारदर्शी क्यों है कांच?

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Last Updated:February 02, 2025, 11:27 IST

आमतौर पर हम देखते हैं कि बहुत से तरल पदार्थ के आर पार दिख जाता है, लेकिन ठोस चीजों के पार नहीं देखा जा सकता है. पर कांच या ग्लास इसका अपवाद दिखता है. कई लोगों का कहना है कि कांच एक तरह का तरल पदार्थ है. लेकिन व...और पढ़ें

 ठोस होने पर भी पारदर्शी क्यों है कांच?

पारदर्शी होने के बाद भी कांच का ठोस होना हैरान करता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

आमतौर पर हम देखते हैं कि पानी जैसे ही तरलपदार्थ के हम आरपार देख पाते हैं. इसकी वजह ये है कि रोशनी तरल पदार्थ से आसान से गुजर सकती है जो कि ठोस पदार्थ में संभव नहीं होता है. इसलिए ठोस पदार्थ हमें किसी ना किसी रंग के दिख जाते हैं, जबकि कई तरल पदार्थ हमें पारदर्शी दिखते हैं और हवा या अधिकांश गैसें तो पारदर्शी ही होती हैं. लेकिन  कांच तो ठोस ही होता है. फिर आखिर उससे आर पार कैसे दिख जाता है. कांच में ऐसा क्या होता है जिससे यह संभव हो जाता है. आइए जानते हैं कि इस पर क्या कहता है विज्ञान?

ठोस या तरल?
शायद आपने भी सुना होगा. कुछ लोग दलील देते  हैं कि जहां लकड़ी और बाकी धातु ठोस होते हैं.  ग्लास बहुत ही गाढ़ा तरल पदार्थ होता है. वे यह भी कहते है कि ग्लास में परमाणु इतनी दूर होते हैं कि रोशनी उनके बीच में से आसानी से निकल जाती है. इसी तरह की  कुछ पारदर्शी बर्फ के लिए भी दी जाती है.

तो क्या वाकई में तरल होता है कांच?
लेकिन असल में कांच तरल होता ही नहीं है. यह खास तरह का ठोस होता है जिसे अमॉर्फस सॉलिड यानी एक तरह का बेढंगा ठोस होता है.  यह पदार्थ की ऐसी अवस्था होती है जिसमें अणु और परमाणु नियमित तौर पर नहीं बल्कि बहुत ही बेतरतीब तरीके से स्थित होते हैं. इसका नतीजा ये होता है कि ग्लास ठोस की तरह कड़ा तो होता है, लेकिन उसके अणु तरल पदार्थ की तरह बिखरे होते हैं.  इसके अवाला कांच के सारे गुण ठोस के होते हैं.

तो होता है क्या है ग्लास?
इस तरह के ठोस पदार्थ तब बनते हैं जब वे ऊच्च तापमान पर पिघलाने के बाद तेजी से ठंडे किए जाते हैं. इस प्रक्रिया को क्वेंचिंग कहते हैं.  कई तरह से ग्लास असलम  सिरेमिक की तरह होते हैं. उनके टिकाऊपन, मजबूती, भंगुरता यानी टूटने पर बिखर कर चूरा होने, बिजली और तापमान का प्रतिरोध, जैसे गुण  यही बताते हैं.

चीजों और रोशनी के सबसे छोटे कण
लेकिन कांच की एक खासियत और होती है. वह दिखाई देने वाली तरगों के लिए पारदर्शी होता है. इसका राज पदार्थ के परमाणुओं की संरचना और रोशनी के कणों के साथ उनके बर्ताव में छिपा है. हर वस्तु के परमाणु के इलेक्ट्रॉन उसके केंद्रक या न्यूक्लियस के चारों ओर खास ऊर्चा के स्तर पर चक्कर लगाते हैं. ज्यादा स्तर पर जाने केलिए इलेक्ट्रॉन ऊर्जा लेते हैं और कम स्तर पर जाने पर ऊर्जा निकाल देते हैं.

जब होता है रोशनी का टकराव
जब रोशनी के सबसे छोटे कण, जिन्हें फोटोन कहते हैं पदार्थ से गुजरते हैं तो तीन तरह के हालात हो सकते हैं. या तो पदार्थ फोटोन को अवशोषित कर लेगा और वह ऊर्जा इलेक्ट्रन को मिल जाएगी. इससे इलेक्ट्रॉन ऊंचे स्तर पर चला जाएगा और फोटोन गायब हो जाएगा.  दूसरी स्थिति ये हो सकती है कि फोटोन के कण पदार्थ से टकारा कर लौट जाएंगे.

कैसे पार होती है रोशनी?
लेकिन तीसरी स्थितिमें फोटोन के कण बिना किसी बदलाव के पदार्थ के आरपार निकल जाएंगे. इसी गुण को पारदर्शिता कहते हैं. यह  कांच के  साथ होता है. फोटोन के कण ग्लास के पदार्थ से पार निकल जाते हैं वे ना तो टकरा कर लौट पाते हैं और ना ही पदार्थ के इलेक्ट्रॉन को ऊर्जा दे पाते हैं.  बल्कि वे इलेक्ट्रॉन के ऊर्जा के स्तरों के बीच से ही पार निकल जाते हैं. कांच में यह बीच की जगह अधिक होती है. जिससे दिखाई देने वाली खास तौर से पार निकल जाती है.

लेकिन कम वेवलेंथ वाली तरंगे जैसे पराबैंगनी विकिरण के फोटोन में ऊर्जा अधिक होती है और वे ग्लास के इलेक्ट्रॉन को ऊर्जा देने के काबिल होते हैं कि वजह अपने ऊर्जा के स्तर में बदलाव कर सके , इसलिए पराबैंगनी विकिरण कांच के पार नहीं जा पाता है. वहीं अधोरक्त तरंगें, जिनकी वेवलेंथ अधिक होती है वे इलेक्ट्रॉन के ऊर्जा स्तरों के अंतर से ज्यादा चौड़ी होती हैं इसलिए वे भी कांच से पार नहीं हो पाती हैं इसी लिए कांच में ग्रीन हाउस प्रभाव देखने मिलता है. इसमें ऊर्जा  रोशनी  के तौर पर अंदर तो आती है, लेकिन अधोरक्त तरंगे बाहर नहीं जा पाती हैं.

Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

February 02, 2025, 11:27 IST

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