गजब डॉक्टर! फीस के बदले चार्ज करते हैं पुराने कपड़े, मरीजों की लगती है लाइन

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Agency:News18 Bihar

Last Updated:February 06, 2025, 16:29 IST

डॉक्टर संजीव मूल रूप से नालंदा के रहने वाले हैं.वो वर्ष 2006 से जिले के इस्लामपुर में आंख अस्पताल चलाते हैं.यहां पेशेंट्स की लंबी लाइन लगी रहती है.वर्ष 2016 के दौरान वो एक ट्रस्ट से जुड़े जिसका नाम "ओंगारी धाम ...और पढ़ें

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डॉक्टर

डॉक्टर संजीव.

हाइलाइट्स

  • डॉक्टर संजीव फीस में पुराने कपड़े लेते हैं.
  • कपड़े गरीबों की मदद के लिए ट्रस्ट को दिए जाते हैं.
  • डॉक्टर संजीव की पत्नी भी इस नेक कार्य में शामिल हैं.

नालंदा. भांति-भांति के लोग इस संसार में रहते हैं. कहीं पैसों की मारामारी है तो कहीं आज भी समाज में जिंदादिली है. कुछ ऐसे ही हैं नालंदा के डॉक्टर संजीव. जो कि आंखों के डॉक्टर हैं. इनके यहां पेशेंट्स की लंबी लाइन लगी होती है. कारण ये है कि ये फीस में रुपए पैसे की जगह पेशेंट्स से पुराने कपड़े की डिमांड करते हैं. आइए पूरी कहानी बताते हैं.

डॉक्टर संजीव मूल रूप से नालंदा के रहने वाले हैं. वो साल 2006 से जिले के इस्लामपुर में आंख का अस्पताल चलाते हैं. यहां पेशेंट्स की लंबी लाइन लगी रहती है. खास बात यह है कि डॉक्टर संजीव की पत्नी गीता कुमारी भी डॉक्टर है. वो भी अपने पति के साथ इस नेक कार्य में शामिल है.

क्यों चार्ज करते हैं पुराने कपड़े
डॉक्टर संजीव इस सवाल के जवाब पर कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि हम सभी पेशेंट्स से पुराने कपड़े ही मांगते हैं. पेशेंट्स अगर फीस देने में सक्षम हैं तो वो फीस दे देते हैं वरना, पुराने कपड़े की डिमांड की जाती है. वो इसलिए क्योंकि साल 2016 के दौरान वो एक ट्रस्ट से जुड़े जिसका नाम ‘औंगारी धाम ट्रस्ट’ है. यह ट्रस्ट गरीब असहाय लोगों की मदद करता है. ऐसे में उन्हें असहायों की मदद के लिए एक तरकीब सूझी कि क्यों ना उनसे फीस के बदले पुराने कपड़े चार्ज किए जाए.

उन कपड़ों का क्या होता है
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि डॉक्टर संजीव पुराने कपड़े चार्ज करते हैं. ऐसे में यह भी जानना जरूरी है कि उन कपड़ों का इस्तेमाल कहां किया जाता है. डॉक्टर संजीव के अनुसार हर व्यक्ति के घर में पुराने कपड़े होते ही हैं. चाहे वो जींस टीशर्ट हो या साड़ी या फिर बच्चों के कपड़े. सारे कपड़ों को ये अपने अस्पताल में स्टोर करते हैं और साल में एक बार नालंदा स्थित ‘औंगारी धाम ट्रस्ट’ को ट्रक से भेज दिया जाता है, ताकि ट्रस्ट के द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की सहायता की जाए. कभी कभार फटे पुराने कपड़े भी स्टोर हो जाते हैं. ऐसे में उन कपड़ों का इस्तेमाल रुई बनाने के लिए किया जाता है. संजीव कहते हैं कि इसमें स्थानीय व्यवसाय और लोगों का सहयोग भी मिल रहा है. डॉक्टर संजीव के द्वारा इस प्रकार का पहल निश्चित तौर पर सराहनीय है. जहां एक और वो चिकित्सकीय पद्धति से मानव सेवा में जुटे हुए हैं वहीं दूसरी और पुराने कपड़ों से भी मानव सेवा की जा रही है.

First Published :

February 06, 2025, 16:29 IST

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