Last Updated:February 08, 2025, 08:46 IST
भारत में भी अब एग्रीकल्चर यानी खेती किसानी में तरह तरह के प्रयोग हो रहे हैं. इस मामले में बिहार के किसान भी पीछे नहीं हैं. लोकल 18 से बात करते हुए चंपारण के किसान कमलेश ने अपनी अनोखी खेती के बारे में विस्तार से...और पढ़ें
प्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स
- कमलेश चौबे रंगीन सब्जियों की खेती में प्रसिद्ध हैं.
- काले आलू, काली प्याज़, काली मूली की सफल खेती की है.
- काले आलू और काली मूली स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं.
पश्चिम चम्पारण. ज़िले के नरकटियागंज प्रखंड के अंतर्गत आने वाले मुशहरवा गांव के किसान कमलेश चौबे, रंगीन सब्ज़ियों एवं अनाजों की खेती करने के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध हैं. वैसे तो उन्होंने साल 2013 से खेती की शुरुआत की, लेकिन परंपरागत कृषि से अलग हटकर कुछ खास करने की वजह से कुछ ही वर्षों में उन्होंने अपनी एक विशेष पहचान बना ली है.
यूपी, बिहार, झारखंड, असम, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों के किसान उन्हें रंगीन फसलों की खेती करने वाले किसान के रूप में जानते हैं. आश्चर्य की बात यह है कि कमलेश ने ऐसी रंगीन सब्ज़ियों की सफल खेती का ली है, जिसे ज्यादातर लोगों ने देखा तक नहीं होगा. चलिए हम आपको बताते हैं कि कमलेश की रंगीन फसलों की सूची के आख़िरकार कौन-कौन से फसल हैं.
रंगीन फसलों की खेती करते हैं कमलेश
लोकल 18 से बात करते हुए कमलेश ने बताया कि उन्होंने अब तक अपनी खेतों में काले आलू, काली प्याज़, काली मूली, काला टमाटर, गुलाबी लहसुन, लाल मूली, लाल भिंडी और काली हल्दी जैसी सब्ज़ी एवं मसलों की सफल खेती कर ली है. इतना ही नहीं, यदि बात अनाज की कि जाए, तो इस सूची में भी उन्होंने लाल, काली तथा हरी सहित क़रीब 8 रंगों की धान एवं गेहूं की खेती की है.
खास बात यह है कि ऐसी रंगीन अनाज एवं सब्ज़ियों की खेती करने वाले किसान के रूप में कमलेश पश्चिम चम्पारण ज़िले के सबसे पहले और बिहार के गिने चुने किसानों में से एक हैं.
साधारण से महंगी बिकती हैं रंगीन सब्जियां
कृषि विशेषज्ञों की माने तो, सामान्य की तुलना में काली या रंगीन सब्ज़ियों में पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है. यदि बात काली मूली की कि जाए, तो यह सफेद मूली की कीमत से अधिक महंगी बिकती है. पिछले कुछ वर्षों में भारत सहित पूरी दुनिया में इसकी डिमांड तेजी से बढ़ी है.
यह एक तरह की सब्जी है, जिसे स्पैनिश रैडिश के नाम से भी जाना जाता है. यह ऊपर से काले रंग की होती है, लेकिन इसके अंदर का हिस्सा सफेद होता है. यह दिखने में गोल शलजम की तरह होता है. इसलिए कुछ लोग इसे काला शलजम भी कहते हैं.
पोषक तत्वों का भंडार होती है काली मूली
कृषि वैज्ञानिक धीरू कुमार तिवारी बताते हैं कि काली मूली में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भरपूर होती है, जो हमारे हृदय के लिए बेहद खास है. इसके अंदर मौजूद प्रोटीन, विटामिन-बी 6, थायमिन, विटामिन-ई जैसे पोषक तत्व हमारे शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं. इसके सेवन से हड्डियों की समस्या के साथ त्वचा संबंधित समस्याएं भी कम होती हैं.
हार्ट एवं कैंसररोधी गुणों से भरपूर है काला आलू
कृषि वैज्ञानिक अभिक पात्रा बताते हैं कि साधारण आलू की तुलना में काले आलू में कार्बोहाइड्रेड की मात्रा 20 प्रतिशत तक कम होती है. इसका सेवन डायबिटीज के मरीज भी कर सकते हैं. इसमें पाए जाने वाले कॉपर, मैंगनीज और फाइबर जैसे औषधीय तत्व, हार्ट, लीवर और फेफड़े के लिए फायदेमंद हैं. खून की कमी से जूझ रहे मरीजों के लिए यह संजीवनी से कम नहीं है. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर काला आलू हमारे शरीर में कैंसर के सेल्स को बनने से रोकता है.
First Published :
February 08, 2025, 08:46 IST
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