चावल की फसल पर लग जाते हैं कीटाणु? कृषि विशेषज्ञ से जानें बेस्ट उपाय

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नासिक: पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण महाराष्ट्र के कई हिस्सों में फसलों को नुकसान पहुंचा है. नासिक जिले के इगतपुरी तालुका में करीब 25 हेक्टेयर चावल की खेती प्रभावित हुई है. लगातार हो रही बारिश के कारण धान और अन्य फसलों पर कीटाणुओं का खतरा बढ़ गया है. इस स्थिति में चावल की फसल को कीट और रोगों से बचाने के लिए नासिक कृषि विभाग ने विशेष सलाह जारी की है.

धान की फसल के सबसे आम रोग
धान की फसल पर सबसे आम रोगों में स्मट, फुल स्मट, लीफ रॉट, ब्राउन स्पॉट, और एज स्मट प्रमुख हैं. “काडा करपा” रोग एक जीवजनित बीमारी है, जो चावल की पत्तियों के किनारों और सिरे को हल्का हरा और भूरा बना देती है. इससे पत्तियों के रंग और आकार में परिवर्तन हो जाता है, और रोगग्रस्त पत्तियां खुरदरी हो जाती हैं.

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कृषि विशेषज्ञ से जानें धान की रोग नियंत्रण के टिप्स
कृषि विशेषज्ञों ने इस रोग के नियंत्रण के लिए कुछ विशेष छिड़काव तकनीकों का सुझाव दिया है. रोग की शुरुआत होते ही कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (25 ग्राम), स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (2.5 ग्राम), और स्टीकर (10 मिली) को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इसके साथ ही, 10 से 15 दिन के अंतराल पर 2 से 3 बार छिड़काव दोहराना चाहिए.

इसके अलावा, कार्बोनडिज्म 50 डब्लूपी, प्रोपिकोनाज़ोल 25 ईसी, या हेक्साकोनाजोल 10 ग्राम/मिली, या मैग्नोजेब 75 डब्लूपी 25 ग्राम के साथ स्टीकर मिलाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है. पहला छिड़काव रोग दिखाई देते ही करना चाहिए और बाद के 2-3 छिड़काव 10 दिन के अंतराल पर करना चाहिए.

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धान की पत्तियों पर पतझड़ रोग के लक्षण
धान की पत्तियों पर पतझड़ रोग के लक्षण भी देखने को मिलते हैं. पत्तियों के किनारों पर अर्धवृत्ताकार पीले धब्बे दिखाई देते हैं, जो बाद में भूरे रंग में बदल जाते हैं. इस रोग से निपटने के लिए भी कार्बोडानजाइम 50 डब्लूपी या प्रोपीकोनाज़ोल 25 ईसी जैसे रसायनों का छिड़काव करने की सलाह दी गई है.

नासिक के उपविभागीय कृषि अधिकारी अभिजीत घुमरे ने किसानों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि वे समय-समय पर इन छिड़कावों का उपयोग करें, ताकि फसलों को अधिक नुकसान से बचाया जा सके और उत्पादन सुरक्षित रह सके.

Tags: India agriculture, Local18, Nashik news, Paddy crop

FIRST PUBLISHED :

September 30, 2024, 14:57 IST

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