जंगल की महिलाओं ने राष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान, कारीगरी के मुरीद हुए पीएम

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Agency:News18 Bihar

Last Updated:February 06, 2025, 17:47 IST

West Champaran News: दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित ग्रामीण भारत महोत्सव में प्रदर्शनी में पश्चिम चंपारण जिले की निर्मला तथा कौशल्या देवी ने अपना स्टॉल लगाया था. पीएम ने जिन दो स्टॉल्स का दौरा किया, उसमें एक ...और पढ़ें

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प्रतीकात्मक तस्वीर 

हाइलाइट्स

  • पीएम मोदी ने ग्रामीण भारत महोत्सव में निर्मला और कौशल्या के स्टॉल का दौरा किया.
  • पीएम ने महिलाओं को दीदी कहकर संबोधित किया और उनकी कारीगरी की तारीफ की.
  • थरुहट की विलुप्त हो रही सभ्यता को जीवित रखने के लिए पीएम ने धन्यवाद दिया.

पश्चिम चम्पारण. ज़िले के थरुहट क्षेत्र की रहने वाली निर्मला तथा कौशल्या देवी इन दिनों सुर्खियों में हैं. वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के घने जंगलों के बीच, बेहद पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र से होने के बावजूद भी उनकी धमक राजधानी दिल्ली तक हो चुकी है. कभी खेतों में काम कर परिवार का भरण-पोषण करने वाली चम्पारण की इन महिलाओं की कारीगरी एवं हौंसले को आज राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिल चुका है. दरअसल, बीते 4 जनवरी से 9 जनवरी तक दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित ग्रामीण भारत महोत्सव में चम्पारण की इन महिलाओं ने थरुहट की विलुप्त हो रही सभ्यता एवं संस्कृति को दर्शाने वाले उत्पादों को प्रस्तुत किया.

आपको जानकर हैरानी होगी, महोत्सव में प्रदर्शनी के लिए देशभर से कुल 186 स्टॉल्स को चयनित किया गया था, जिनमें से सिर्फ दो स्टॉल्स का दौरा प्रधानमंत्री मोदी ने किया. गौरवान्वित करने वाली बात यह कि इन दो स्टॉल्स में से एक स्टॉल चम्पारण स्थित थरुहट की रहने वाली निर्मला तथा कौशल्या देवी का था.

थारू समाज से संबंध रहती हैं दोनों महिलाएं.

बता दें कि कौशल्या पश्चिम चम्पारण ज़िले के रामनगर प्रखंड स्थित नौरंगिया पंचायत के अंतर्गत आने वाले बगही गांव की रहने वाली हैं, तो वहीं निर्मला रामनगर प्रखंड के ही नौरंगिया दोन गांव की रहने वाली हैं. ज़िले के इस प्रखंड के वनवर्ती क्षेत्रों में मुख्य रूप से थारू तथा उरांव जनजाति के लोगों का बसेरा है. दोनों महिलाएं भी थारू समाज से ही संबंध रखती हैं.

जंगल के वेस्ट से बनाती हैं सजावटी आइटम

जहां एक तरफ निर्मला के पति परिवार चलाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करते हैं, वहीं दूसरी तरफ कौशल्या के पति परिवार चलाने के लिए बेहद ही छोटे स्तर का अस्थाई कारोबार करते हैं. पति का बोझ हल्का करने तथा परिवार चलाने में अपनी भागीदारी निभाने के लिए दोनों महिलाओं ने सीक तथा मूज से झाड़ू तथा मैट सहित अन्य सजावटी वस्तुओं को बनाने का काम शुरू किया. बड़ी बात यह है कि दोनों महिलाएं जंगल के वेस्ट से इतनी खूबसूरत तथा उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करती हैं, जिसकी कल्पना भी आप नहीं कर सकते हैं.

बर्जिना फाउंडेशन से हुई नई शुरुआत

समझने वाली बात यह है कि कौशल्या तथा निर्मला ने जंगल के वेस्ट से डेकोरेटिव वस्तुओं को बनाना तो शुरू कर दिया, लेकिन बेहद कम बिक्री होने की वजह से ये काम भी सार्थक नहीं हो सका. कारोबार की तलाश में ही उनकी मुलाकात बर्जिना फाउंडेशन की संचालन तान्वी शुक्ला से हुई, जो महिला सशक्तिकरण के साथ विलुप्त हो रही सांस्कृतिक एवं जनजातीय वस्तुओं के निर्माण पर काम करती हैं.
तान्वी ने दोनों महिलाओं की कला को एक आधार दिया और फिर वहां से शुरू हुआ एक नया सफर.

ग्रामीण भारत महोत्सव में बनाई जगह

तान्वी के साथ जुड़कर दोनों महिलाओं ने थरुहट की विलुप्त हो रही सांस्कृतिक वस्तुओं के निर्माण पर कार्य किया, जहां वो जलकुंभी तथा जूट से फ्लावर पॉट, पर्स, टी कॉस्टर, हॉट पोट, दउरा, डलिया तथा टोपी सहित अन्य दर्जनों सजावटी एवं उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करने लगीं. यहां से उनकी कला को एक नई पहचान मिली. इस वर्ष ही 4 से 9 जनवरी तक दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित ग्रामीण भारत महोत्सव में जनजातीय वस्तुओं को प्रदर्शित करने के लिए बर्जिना फाउंडेशन का चयन किया गया. जिसकी तरफ से कौशल्या तथा निर्मला ने अगुवाई की.

कारीगरी देख चौंक गए पीएम मोदी

समझने वाली बात यह है कि ग्रामीण भारत महोत्सव में प्रदर्शनी के लिए चयनित देशभर के कुल 186 स्टॉल्स में से कुल 20 स्टॉल्स का चयन प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के लिए किया गया. लेकिन, पीएम ने सिर्फ दो स्टॉल्स का ही दौरा किया, जिसमें से एक स्टॉल कौशल्या तथा निर्मला ने लगाया था. दौरे के दौरान पीएम ने महिलाओं को दीदी कहकर संबोधित किया. निर्मला से बात के क्रम में पीएम ने पूछा कि आप कहां से आई हैं. आज की तारीख में ये वस्तुएं विलुप्त होती जा रही है, जिसे आपने ज़िंदा रखा है. इसके लिए आपको बहुत धन्यवाद है.

Location :

Pashchim Champaran,Bihar

First Published :

February 06, 2025, 17:47 IST

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