Agency:News18 Bihar
Last Updated:February 11, 2025, 14:35 IST
Valmiki Tiger Reserve : वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व की खूबसूरती एवं जैव विविधता ने मगध यूनिवर्सिटी के जंतु विशेषज्ञों को आश्चर्य में डाल दिया है.अपने तीन दिनों की ट्रीप पर VTR डिविजन–01 के गोवर्धना रेंज पहुंचे, जूलॉ...और पढ़ें
प्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स
- वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व की जैव विविधता ने विशेषज्ञों को चौंकाया.
- सफारी के दौरान स्लॉथ बियर और टाइगर के निशान मिले.
- VTR की भौगोलिक संरचना हिमालय की तराई में स्थित है.
पश्चिम चम्पारण. वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व की खूबसूरती एवं जैव विविधता ने मगध यूनिवर्सिटी के जंतु विशेषज्ञों को आश्चर्य में डाल दिया है.अपने तीन दिनों के ट्रीप पर VTR डिविजन–01 के गोवर्धना रेंज पहुंचे, जूलॉजी प्रोफेसर्स की सात सदस्यीय टीम ने जंगल को एक्सप्लोर करने के दौरान कुछ ऐसी चीजों का अध्ययन किया, जो वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के घने जंगलों को जैव विविधता तथा कुदरत के अद्वितीय नज़रों का गढ़ बनाता है.
विशेषज्ञों की मानें तो, बोधगया से चलते वक्त उन्हें इस बात का ज़रा भी अनुमान नहीं था कि बिहार के इकलौते टाइगर रिज़र्व की भौगोलिक संरचना इतनी खास होगी. जंगल में सफारी के दौरान वो उस वक्त पूरी तरह से आश्चर्यचकित रह गए, जब उन्हें रेत पर टाइगर के एकदम ताज़ा पगमार्क मिलें. इतना ही नहीं, सफर के पहले पड़ाव में ही उन्हें स्लॉथ बियर के झडे हुए बाल भी मिले, जिसे भालू ने पेड़ पर शरीर को रगड़ने के दौरान गिराया था.
मगध यूनिवर्सिटी से VTR पहुंची जंतु विशेषज्ञों की टीम
सफारी के पहले शिफ्ट में ही जंगल के सबसे बड़े प्रीडेटर की मौजूद ने विशेषज्ञों को इस बात का एहसास करा दिया कि जंगल पूरी तरह से जीवंत एवं वन्य जीवों से भरा हुआ है. ऐसे में उनकी जिज्ञासा और बढ़ी जिसने उन्हें जंगल को एक्सप्लोर करने के लिए प्रेरित किया. लोकल 18 की टीम से बात करते प्रो. एस.एन.पी यादव दीन ने बताया कि 7 जनवरी को उनके साथ बोधगया से कुल 7 लोगों की एक टीम वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के गोवर्धना रेंज पहुंची. इनमें प्रो.पूनम सिंह, प्रो.आभा कुमारी, डॉ. सरफराज़ अली, डॉ. एल.के तरुण, डॉ.विजेंद्र कुमार तथा रिटायर्ड प्रो.सुनील कुमार सिंह शामिल थे. बकौल प्रो.यादव, प्रो.सुनील को छोड़ अन्य सभी सदस्य बोधगया स्थित मगध यूनिवर्सिटी में पीजी डिपार्टमेंट ऑफ जूलॉजी एंड बायो टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर्स के रूप में कार्यरत हैं.
जैव विविधता एवं भौगोलिक सुंदरता देख हुए मंत्रमुग्ध
सफारी के दौरान सभी विशेषज्ञों ने पाया कि वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व की भौगोलिक संरचना बेहद खास है. हिमालय की तराई में बसे होने के कारण यहां वैसे जीव जंतुओं का बसेरा है, जो मुख्य रूप से तराई क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं. इनमें हिमालयन सेरो (पहाड़ पर चढ़ने वाली बकरी), एक सिंग वाला गैंडा, ढोल( जंगली कुत्ते), बार्किंग डियर( भौंकने वाली हिरन), क्लाउडेड लेपर्ड तथा स्लॉथ बियर सहित अन्य दुर्लभ जीव शामिल हैं. इतना ही नहीं, विशेषज्ञों ने यहां पक्षियों की भी ऐसी कई प्रजातियों का दीदार किया, जिसे देखना आमतौर पर बहुत मुश्किल होता है.
दो डिविजन तथा आठ रेंजों में बंटा है वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व
बता दें कि बिहार के पश्चिम चम्पारण ज़िले में बसा वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व क़रीब 900 वर्ग किलोमीटर में फैला है. पर्यटकों की सुविधा के लिए इसे दो डिविजन्स में बांटा गया है. डिविजन एक में मंगुराहां, गोवर्धना तथा रघिया नामक रेंज आते हैं. वहीं डिवीजन दो में मदनपुर, वाल्मीकि नगर, हरनाटांड़, गनौली तथा चिउटाहां जैसे रेंज आते हैं. बोधगया के मगध यूनिवर्सिटी से आयी पीजी डिपार्टमेंट के जूलॉजी एंड बायो टेक्नोलॉजी प्रोफेसर्स की टीम, VTR के डिविजन एक के अंतर्गत आने वाले गोवर्धना रेंज पहुंची थी.
Location :
Pashchim Champaran,Bihar
First Published :
February 11, 2025, 14:35 IST